2020 तो चला गया लेकिन इसकी कुछ यादगार मुकाम छोड़ गया
कोराना संक्रमण का मामला पहली बार 30 जनवरी 2020 को सामने आया था । इस बीते साल में देश और दुनिया ने वह देखा जो अनपेक्षित था...
- नौकरशाही और प्रशासनिक उत्कृष्टता
- आमजन और बच्चो ने वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन पढाई में टेक्नोलॉजी का सहारा लिया
- देश में मजदूरों का सबसे बड़ा पलायन
- हज यात्रा में 1000 से ज्यादा सालों में पहली बार पाबंदी
- उदयपुर के विश्व प्रसिद्द आयोजनों पर COVID का साया
2020 के चंद महीने गुजरने के बाद ही महामारी ने देश में दस्तक दी। भारत में कोराना संक्रमण का मामला पहली बार 30 जनवरी 2020 को सामने आया था। कोरोना वायरस का ये पहला मामला दक्षिण भारतीय राज्य केरल से सामने आया था। वहीं कोरोना के मामलों को बढ़ते देखने के बाद भारत में लॉकडाउन लगा दिया गया था। लॉकडाउन लगाने के बाद भारत में कुछ इस तरह की घटनाएं हुई जिन्हें हम कभी नहीं भूल सकेंगे।
इतिहास में पहली बार भारत में लगाया गया था लॉकडाउन
भारत के इतिहास में पहली बार लॉकडाउन किया गया था। जिसमें दवा, किराना, मीडिया, पुलिस और चिकित्सा जैसी जरुरी सेवाएं छोड़कर सब कुछ बंद था। ऐसा पहली बार हुआ था, जब किसी महामारी की वजह से देश में कोई लॉकडाउन करने का फैसला किया गया हो।
कोरोना की वजह से हज यात्रा में 1000 से ज्यादा सालों में पहली बार पाबंदी
इस्लाम के पांच फर्ज है में से एक फर्ज हज भी है। कोरोना महामारी के बढ़ते मामलों की वजह से पहली बार ऐसा हुआ कि 1200 साल के बाद हज यात्रा पर 2020 पर पूर्ण पाबंदी लगा दी गई, जिससे सभी हज यात्रियों के चेहरे पर मायूसी रही।
पहली बार 2020 से ऐसा देखा गय़ा कि हम चाहते हुए भी अपने प्रियजनों से नहीं मिल सके
हम सभी ने इस साल को घर पर ही बिताया है। अपने प्रियजनों को चाह कर भी नहीं मिल सके। भारत के अलग अलग शहरों में रहने वाले या भारत से बहार रहने वाले तो सफ़र कर ही नहीं पाए, मगर एक ही शहर में रहते हुए भी अपनों से मुलाकात मुमकिन न हो सकी।
त्यौहार घर पर मनाए
भारत एक ऐसा मुल्क है जिसमे त्योहारों की बहुत एहमियत है और त्यौहार एक ज़रिया है अपनों से मिलने का। लॉकडाउन में सभी त्यौहार को अपने घर पर ही मनाया गया। पूजा, आराधना, नमाज़ पहली बार घर तक ही प्रतिबंधित रहीं।
लॉकडाउन के दौरान मजदूरों ने किया पैदल सफर-
कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन लगाया गया। प्रवासी मजदूरों को पलायन करने को मजबूर किया और लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हुआ। सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर घर जाने वाले मजदूरों की तस्वीरें और बयां करती कहानियां हमेशा लोगों के ज़हन में रहेगी।
कोरोना वायरस ने बॉलीवुड को दिया बड़ा झटका
कोरोना महामारी के संक्रमण से इंडस्ट्री को काफी नुकसान झेलना पड़ा। कई बड़ी फिल्मों को नुकसान हुआ। राजस्थान, दिल्ली, मुंबई, कर्नाटक, केरल, कई शहरों में थिएटर पर पाबंदी लगा दी गई ऐसा होने से जो फिल्में रिलीज़ हो चुकी थी उन्हें भारी नुकसान से गुज़रना पड़ा। वहीं कई फिल्मों की शूटिंग रोकी गई और कई फिल्मों की रिलीज डेट तक हटा दी गई।
विश्व प्रसिद्ध मेलों पर कोरोना का साया
वैश्विक महामारी कोरोना के चलते 2020 में एक के बाद एक लगभग सभी बड़े आयोजन पर रोक लगा दी गई। 2020 में विश्व प्रसिद्ध मेलों पर भी रोक लगा दी गई। उदयपुर की बात कहें तो गुरु गोबिंद सिंह की जयंती का जुलूस, महावीर जयंती का जुलूस, जगन्नाथ रथ यात्रा, मुहर्रम का जुलूस, अस्थल मंदिर पे जन्माष्टमी का आयोजन, गंगोर महोत्सव, हरियाली अमावस का मेला, विश्व प्रसिद्ध वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल और शिल्प ग्राम उत्सव, लेक फेस्टिवल, फ्लावर शो, शिल्पग्राम फ़ूड फेस्टिवल, आदि पर महामारी का साया पडा।
कोरोना के डर की वजह से भारत में स्कूलों को बंद करने का फैसला लिया
कोरोना महामारी में पहली बार ऐसा देखा गया कि सभी कॉलेज और स्कूलों को बंद कर दिया गया। सभी परीक्षाऐं ऑनलाइन शुरु की गई वहीं सभी शिक्षकों द्वारा ऑनलाइन क्लासेज द्वारा बच्चों को पढ़ाया गया।
कोरोना का असर टूर्नामेंट के इतिहास में पहली बार घर से कमेंट्री
कोरोना महामारी के कहर के बीच इंडियन प्रीमीयर लीग(IPL) में कुछ चीजें ऐसी हुई जो इतिहास में पहली बार दर्शकों को देखने को मिली। कोरोना वायरस के कहर के कारण घर पर बैठ कर ही कमेंट्री की गई। और न ही स्टेडियम मे कोई दर्शक मौजूद रहा। पहली बार चौके और छक्के लगाने पर स्टेडियम में चीयरलीडर्स जश्न मनाते नहीं नजर आए।
वर्क फ्रॉम होम में बढ़ावा और व्यावसायिक अचल संपत्ति में गिरावट
वर्क फ्रॉम होम की विशेष संकल्पना एक आम बाटी बन गयी। हर वोह काम जिसके लिए पहले दफतर जाना होता था, वह वर्क फ्रॉम होम के दाएरे में आ गए। इससे वसायिक अचल संपत्ति (commercial real estate) पर ख़ासा प्रभाव पढ़ा।
प्रदूषण में गिरावट
देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन का असर कई जगहों पर देखने को मिला था। लॉकडाउन की वजह से देश में प्रदूषण का स्तर कम हो गया था। लॉकडाउन की वजह सभी अपने- अपने घरों में कैद थे। यहां तक की ट्रेन, विमान और पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर पूरी तरह से रोक लगी हुई थी। ऐसे में लोगों को परेशानी का सामना तो करना पड़ा लेकिन हवा में सुधार देखने को मिला और पानी भी साफ हो गया था। साथ ही अमेरिकी अंतरिक्ष एंजेसी नासा ने भी कहा था कि लॉकडाउन में भारत का प्रदूषण स्तर काफी कम हो गया था।
आमजन ने लिया तकनीक का सहारा
लॉकडाउन के दौरान तकनीक लोगों का सहारा बनी। लोगों ने तकनीक का इस्तेमाल ऑफिस की मिटिंग, बच्चों की पढ़ाई और घरेलू सामान की खरीददारी जैसे तमाम कार्यों के लिए किया। साथ ही केंद्र से लेकर राज्य सरकारों तक ने भी विडियो कॉन्फ्रेंसिंग तकनीक के जरिए बैठकें की। लॉकडाउन में सभी स्कूल और कॉलेज ने बच्चों को पढ़ाने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का सहारा लिया। शिक्षक द्वारा ब्लैक बोर्ड पर टॉपिक लिख लिया जाता था और विषय को कैमरे के सामने ब्लैक बोर्ड प दिखा कर समझाया जाता था। वहीं शिक्षक द्वारा स्टूडेट्स को किसी भी विषय को समझाने के लिए व्हाट्सप ग्रुप पर भेज दिया जाता था।
नौकरशाही और प्रशासनिक उत्कृष्टता
ऐसे समय जब सभी कोरोना वायरस से डरे हुए थे। ऐसे में पुलिस ने अपनी अहम भूमिका निभाई। खासतौर पर राजस्थान का भीलवाड़ा मॉडल देश के लिए रोल मॉडल बन गया। जब भीलवाड़ा जिले में पहला मामला सामने आया तो हर व्यक्ति की स्क्रीनिंग की गई। सभी रास्तों को सील कर दिया गया। जिले की सभी सीमाएं सील कर आने जाने पर पाबंदी लगा दी गई। प्रशासन ने ज्यादा से ज्यादा टीमें बनाई। सभी वार्डो में संक्रमण रोकने के लिए छिड़काव किया गया। ऐसे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि दुध सप्लाई के लिए डेयरी सुबह थोड़े समय के लिए खोली गई। सभी वार्ड में किराना स्टोर की होम डिलीवरी की गई। शहर में सभी वार्ड में सब्जियां और फल पहुंचाने के लिए ड्यूटी लगाई गई। इस तरह कोरोना के मामलों को कम किया गया।