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राजस्थानी नाट्य समारोह में नाटक ‘‘गवाड़’’ का मंचन

नाटक में गवाड़ को एक पात्र के रूप में दर्शाया गया है जो अपनी व्यथा आम जन को सुनाता है कि मै पहले कैसा था और अब कैसा हो गया हूॅ। वह आमजन से यह आव्हान करता है कि इस धरती रूपी गवाड़ से बुराईयों का अंधेरा हटाकर अच्छाईयों का प्रकाश ला कर इस गवाड़ (धरती) की रक्षा करे।

 

भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर में आयोजित हो रहे राजस्थानी नाट्य समारोह के अंतिम दिन नाटक ‘‘गवाड़’’ का मंचन हुआ। भारतीय लोक कला मण्डल के मानद सचिव दौलत सिंह पोरवाल ने बताया कि भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर द्वारा राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर तथा कला, साहित्य, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग राजस्थान सरकार, जयपुर के सहयोग से आयोजित हो रहे तीन दिवसीय ‘‘राजस्थानी नाट्य समारोह’’ के अंतिम दिन दिनांक 27 मार्च को बीकानेर के मधु आचार्य द्वारा लिखित उपन्यास पर आधारित और आनन्द आचार्य द्वारा निर्देशित नाटक गवाड़ का मंचन हुआ।

संस्था के निदेशक डाॅ. लईक हुसैन ने बताया कि ‘‘गवाड़’’ का शाब्दिक अर्थ मोहल्ले से है। नाटक की कहानी मे सम्पूर्ण धरती और धरती पर रहने वाले समस्त मानव जगत को गवाड़ मानकर यह दर्शाने का प्रयास किया गया है कि धरती की उत्पती से लेकर मानव समाज द्वारा जो अमानवीय कृत्य किये जा रहे है और धन, लोभ, भोग विलास ने जिस प्रकार वर्तमान समय में अपनी जड़े जमा ली है वह एक न एक दिन इस मानवीय सभ्यता के विनाश का कारण बनेगी।

नाटक में गवाड़ को एक पात्र के रूप में दर्शाया गया है जो अपनी व्यथा आम जन को सुनाता है कि मै पहले कैसा था और अब कैसा हो गया हूॅ। वह आमजन से यह आव्हान करता है कि इस धरती रूपी गवाड़ से बुराईयों का अंधेरा हटाकर अच्छाईयों का प्रकाश ला कर इस गवाड़ (धरती) की रक्षा करे।

नाटक के मुख्य पात्र में गवाड़- रमेश शर्मा, नेता- प्रदीप भटनागर, लक्ष्मी- रिया मोटवानी, लिखारा- अनमोल भटनागर, दिपांशु पांडे, अक्षय सियोता, कौरस- ज्ञानांश आचार्य, छोटी लक्ष्मी- जाहन्वी आचार्य व नाटक के सह निर्देशक सुरेश आचार्य थे तथा प्रकाश व ध्वनि पर वसीम राजा कमल थे।

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उन्होने बताया कि दिनांक 28 मार्च से 30 मार्च तक भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर व दी परफोरमर्स के संयुक्त तत्वावधान में राजस्थान दिवस पर नाट्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है । जिसमें भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर द्वारा दि परफोरमर्स, उदयपुर के सहयोग से आयोजित कि जा रही नाट्य कार्यशाला के तहत तैयार नाटकों का मंचन होगा।

उन्होने यह भी बताया कि नाट्य समारोह में आज 28 मार्च को प्रबुद्ध पाण्डे के निर्देशन में डाॅ. शकर शेष द्वारा लिखित नाटक ‘‘आधी रात के बाद ‘‘ का मंचन होगा । 29 मार्च को श्रीमती अनुकम्पा लईक के निर्देशन में ‘‘अवतार’’ और 30 मार्च को इस ‘‘कम्बख्त साठे का क्या करे’’ का मंचन होगा। उन्होने यह भी बताया कि 28 व 29 मार्च को कार्यक्रम भारतीय लोक कला मण्डल के मुक्ताकाशी रंगमंच पर प्रतिदिन सांय 7ः30 बजे से होंगें तथा 30 मार्च को गोविन्द कठपुतली प्रेक्षालय में होगें। जिसमें दर्शको का प्रवेश निःशुल्क है।