गीतांजली हॉस्पिटल में जन्मजात आंख के मोतियाबिंद का सफल ऑपरेशन
उदयपुर 5 जुलाई 2024। गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में जन्मजात मोतियाबिंद की बीमारी से जूझ रहे 28 वर्षीय रोगी का गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के नेत्र रोग विभाग ने अत्याधुनिक चिकित्सा तकनीक का उपयोग करते हुए सफल ऑपरेशन व लेंस प्रत्यारोपण कर स्वस्थ जीवन प्रदान किया। यहाँ चिकित्सा क्षेत्र में सभी उन्नत तकनीकों को अपनाकर कुशल टीम में विभागाध्यक्ष डॉ. लीपा मोहंती, डॉ अर्पित शर्मा एवं रेसिडेंट्स डॉ कौशंबी, डॉ गोविन्द, डॉ आकांशा व ओ.टी टीम, नर्स ने रोगी का सफलतापूर्वक इलाज किया।
विस्तृत जानकारी
28 वर्षीय रोगी अब्दुल अजीज़ उदयपुर में फॉरेन नेशनल की तरह उदयपुर में पढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह अफ्रीका नाईजीरिया से हैं। उनकी बाईं आँख में जन्म से ही कम दिखाई देने की शिकायत थी और उम्र से साथ साथ ये शिकायत बढ़ रही थी।
डॉ लीपा ने बताया की हाल ही में इस तरह का केस उनके पास आया, उस समय पता चला की रोगी की बाईं आँख की स्थिति काफी खराब हो चुकी थी। रोगी को जन्म से ही मोतियाबिंद था, रोगी की सभी खून व आँख की आवश्यक जांचें की गयी तत्पश्चात रोगी की बाईं आँख के मोतियाबिंद का ऑपरेशन और साथ ही लेंस प्रत्यारोपण किया गया।
यह केस बहुत दुर्लभ व चुनौतीपूर्ण था। रोगी की सफल सर्जरी हुई तथा ऑपरेशन के अगले ही दिन रोगी की आँख की रोशनी वापिस आ गयी। रोगी ने बताया की वह अपने ऑपरेशन से बहुत खुश हैं, डॉक्टर्स और स्टाफ ने उनका बहुत ध्यान रखा, रोगी ने गीतांजली हॉस्पिटल को दिल से आभार व्यक्त किया और कहा कि वह अपनी आँख की रोशनी पाकर संतुष्ट है।
डॉ लीपा ने कहा कि वैसे तो मोतियाबिंद प्रायः बढ़ती उम्र के साथ ज्यादा पाया जाता है लेकिन कभी कभी बच्चों व किशोरावस्था में भी पाया जाता है। यदि किसी की आँखों की रोशनी कम हो रही है तो आवश्यक है कि आँखों की विस्तृत जांच अवश्य करवाएं।
गीतांजली हॉस्पिटल के नेत्र रोग विभाग में सभी एडवांस तकनीके व संसाधन उपलब्ध हैं जिससे जटिल से जटिल समस्याओं का निवारण निरंतर रूप से किया जा रहा है।
गीतांजली हॉस्पिटल पिछले 17 वर्षों से सतत रूप से हर प्रकार की उत्कृष्ट एवं विश्व स्तरीय चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है एवं जरूरतमंदों को स्वास्थ्य सेवाएं देता आया है।