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मात्र 2.4 किलो के नवजात शिशु की दुर्लभ पायी जाने वाली बीमारी की हुई सफल जटिल सर्जरी

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग
 

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग (शिशु शल्य चिकित्सा) में कोरोना महामारी के दौरान सभी निर्धारित कोरोना प्रोटोकॉल्स का पालन करते हुए अनवरत सेवाएं जारी हैं। उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान करने के अपने कार्य को जारी रखते हुए गीतांजली हॉस्पिटल के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग ने नवजात शिशु की जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। 

पीडियाट्रिक सर्जन डॉक्टर अतुल मिश्रा ने बताया कि उदयपुर निवासी जमुना देवी (परिवर्तित नाम) के नवजात शिशु को सांस की तकलीफ के साथ गीतांजली हॉस्पिटल के नवजात गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती कराया गया। पेट की अल्ट्रासाउंड जांच में बाई तरफ कंजेनाईटल डायफ्रामेटिक हर्निया का पता चला। इस बीमारी में सांस लेने के पर्दे डायफ्राम में छेद होता है और पूरी आंत पेट से छाती में चली जाती है। इसमें सांस लेना मुश्किल हो जाता है व इलाज के अभाव में जान भी जा सकती है। 

यह बीमारी प्रति 10,000 जन्में बच्चों में से 4 पाई जाती है। उपरोक्त बच्चे की प्रारंभिक जांच, ऑक्सीजन दवाइयों इत्यादि से हालत स्थिर करने के पश्चात सर्जरी की गई। लगभग 2.4 किलो वजनी इस बच्चे के ऑपरेशन के पश्चात मात्र 1 दिन में वेंटिलेटर से हटाने में सफलता मिली बच्चा और पूर्णता स्वस्थ है और आगे भी स्वस्थ रहे इसकी हम कामना करते हैं। 

इस जटिल ऑपरेशन में अतुल मिश्रा के साथ नवजात शिशु स्पेशलिस्ट डॉ बृजेश झा, विभागाध्यक्ष पीडियाट्रिक्स डॉ देवेंद्र सरीन, डॉ दिलीप गोयल, एनेस्थीसिया विभाग से डॉ ललिता जीनगर, फिरोज इत्यादि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गीतांजली हॉस्पिटल में नवजात शिशु इकाई (एन.आई.सी.यू), शिशु गहन चिकित्सा इकाई (पी.आई.सी.यू) वार्ड में सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से लेस है। गीतांजली मेडिसिटी पिछले 13 वर्षों से सतत् रूप से मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के रूप में परिपक्व होकर चतुर्मुखी उत्कृष्ट चिकित्सा सेंटर बन चुका है। यहाँ एक ही छत के नीचे जटिल से जटिल ऑपरेशन एवं प्रक्रियाएं निरंतर रूप से कुशल डॉक्टर्स द्वारा की जा रही हैं।