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गीतांजली कैंसर सेंटर में स्तन के कैंसर की उन्नत पद्धति त्वरित आंशिक स्तन विकिरण (एपीबीआई) द्वारा रोगी का हुआ सफल इलाज

 

कोरोना महामारी के दौरान गीतांजली कैंसर सेंटर में रेडियोथेरेपी द्वारा रोगियों का इलाज नियमित रूप से किया जा रहा है। महामारी के दौरान डॉक्टर्स द्वारा पूरी कोशिश की जा रही है कि मरीज़ों के इलाज की अवधि को कम से कम रखकर उनका इलाज किया जाये। इन्हीं प्रयासों में बहुत सी नवीनतम तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे कि इलाज की अवधि को कम से कम किया जा सके और रोगी को पूरा लाभ मिले। 

उदयपुर निवासी 68 वर्षीय सुनीता देवी (परिवर्तित नाम) के स्तन में एक छोटी सी गांठ थी| गांठ को लमपेक्टोमी सर्जरी द्वारा निकाला गया। यद्यपि रोगी गीतांजली कैंसर सेंटर रेडियोथेरेपी करवाने के बाबत आई थी। रेडिएशन ओंकोलोगिस्ट डॉ. रमेश पुरोहित द्वारा रोगी की रिपोर्ट्स देखने के पश्चात पाया गया कि रोगी रेडिएशन की उन्नत पद्धति एपीबीआई के लिए एकदम उपयुक्त थी, तथा सही समय पर आने पर रोगी का रेडिएशन मात्र एक हफ्ते के भीतर गीतांजली हॉस्पिटल में कोरोना वायरस के सभी प्रशासनसिक व चिकित्सकीय नयाचारों का पालन करते हुए पूर्ण किया गया। 

आमतौर पर स्तन की रेडियोथेरेपी को 5-6 हफ्ते का समय लगता है। इस पद्धति (एपीबीआई) का सबसे बड़ा लाभ ये रहा कि रोगी को जो इलाज का फायदा 5-6 हफ्ते में मिलता है वही फायेदा एपीबीआई पद्धति द्वारा मात्र 5-6 दिन में प्राप्त किया जा सका व इसके दुष्प्रभाव भी बहुत कम होते हैं। कोरोना महामारी के संक्रमण के खतरे के दौरान मात्र एक हफ्ते के भीतर रोगी का सफल इलाज किया गया। 

सफलतापूर्वक इलाज करने वाली रेडिएशन टीम में डॉ. रमेश पुरोहित, डॉ. किरण चिगुरुपल्ली, डॉ. मेनाल भण्डारी, डॉ. दीपांजली पटेल, डॉ. अभिषेक अरोड़ा, डॉ. अमित गेरा, शालू पीटर, राजेश आर, प्रीदु, व निहास सम्मिलित हैं। इस तरह की रेडिएशन की कई उन्नत तकनीकों से रोगियों का निरन्तर इलाज गीतांजली कैंसर सेंटर में किया जा रहा है। 

क्या है त्वरित आंशिक स्तन विकिरण (एपीबीआई) पद्धति एवं ये पद्धति किनके लिए है उपयोगी

पिछले 12 साल में असक्सेलरटेड आंशिक स्तन इरडीकेशन एपीबीआई पद्धति की खोज एक समर्थ विकल्प के रूप में सामने आई है। जो स्तन कैंसर की आरम्भिक अवस्था की इलाज के लिए उपयोगी साबित हुई। 5 दिनों में पूर्ण निदान की क्षमता के चलते इस पद्धति ने महिलाओं को एक और चिकित्सा विकल्प दिया है। एपीबीआई पद्धति एक नया और असरदार विकल्प है, जो सीधे ही टिश्यू को असरदार रेडिएशन डोस पहुंचा देता है, यह लक्ष्यात्मक पद्धति समय की बचत के साथ विपरीत परिणामों को भी रोकता है जो कि फेफड़े और ह्रदय पर पड़ते है। गत 8 वर्षों के साक्ष्य से निर्धारित गाईड लाइन्स के आधार पर कहा जा सकता है कि अधिकतर कैंसर की शुरुआत के रोगी एपीबीआई तकनीक से लाभ पाते है।

ज्ञात करा दें कि गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर में आने वाले सभी रोगियों को नवीनतम तकनीकों से लेस विश्वस्तरीय सेवाएँ उचित दरों पर उपलब्ध कराई जा रही हैं व भविष्य में भी कराई जाती रहेंगी।