{"vars":{"id": "74416:2859"}}

जंगल में रहने वाला ही होता है वन वनरक्षक : नंदवाना

वन अधिनियम को समझने के लिए आज प्रदेश के सभी आदिवासियों ने उदयपुर के गाँधी ग्राउंड में शिरकत की। आज आयोजित इस आम सभा में वन वासियों ने उनकी वनभूमि को लेकर सरकार से हो रही परेशानी को दिल्ली से आए सुप्रीम कोर्ट के वकील संजय उपाध्याय को बताई और उनसे वन अधिनियम के बारे में जाना।

 

वन अधिनियम को समझने के लिए आज प्रदेश के सभी आदिवासियों ने उदयपुर के गाँधी ग्राउंड में शिरकत की। आज आयोजित इस आम सभा में वन वासियों ने उनकी वनभूमि को लेकर सरकार से हो रही परेशानी को दिल्ली से आए सुप्रीम कोर्ट के वकील संजय उपाध्याय को बताई और उनसे वन अधिनियम के बारे में जाना।

उदयपुर, प्रतापगढ़, भीलवाडा, टोंक, डूगरपुर, राजसमंद, पाली, चितौड़गढ़, बारां, सिरोही तथा बांसवाडा से भरी संख्या में आए वनवासियों ने भंडारी दर्शक मंडप वन अधिकार मान्यता कानून के विषय को सुना तथा इस सम्बन्ध में समस्याएँ और समाधान पर चर्चाए की गई।

वनवासियों को सुनने और उन्हें समाधान बताने के लिए मंच पर संभागीय आयुक्त सुबोध अग्रवाल, जंगल जमीन आन्दोलन के संयोजक रमेश नंदवाना, पर्यावरणवीद, चण्डीगढ़ से मधु सरीन तथा सुप्रीम कोर्ट वकील व आदिवासी मंत्रालय के सलाहकार संजय उपाध्याय मौजूद थे।

वनवासियों ने अपनी समस्याओ में बताया कि उनके पूर्वजो के समय से वनवासी जंगलो से ही अपनी जिन्दगी गुजार रहे हैं, अब चाहे उसमे खेतीबाड़ी हो या फिर जंगली फल, फुल और लकड़ियाँ। और अचानक वन विभाग उस जमीन को अपनी बता कर वहा से बेदखल कर देंगे तो आदिवासी कहा जाएँगे।

इस मौके पर रमेश नंदवाना ने बताया कि सरकार यह बताना होंगा की जो जंगल में रहता है, वही जंगलो को बचा सकता हैं, नंदवाना ने यह भी बताया कि जब तक वनवासियों को उनका अधिकार नही मिलता हैं तब तक आन्दोलन जारी रहेंगा।

इस दौरान आदिवासी नेता मेघराज तावड द्वारा लिखी ‘आदिवासियों की पंरपरागत प्रथाएँ’ और ‘आदिवासियों में मोताणा’ पुस्तक का विमोचन किया गया।

इस जन सुनवाई में आए सभी पीडितो ने बारी-बारी से अपना दर्द बया किया तथा इस सुनवाई में परिजनों के साथ आए बच्चो ने तो लम्बी लाइन में सोकर आराम किया।