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आगामी कुछ माह श्रेष्ठ मुहुर्त एवं सावे नहीं

नवंबर माह तक विवाह इत्यादि मांगलिक कार्यक्रम टालने की सलाह
 
 
कोरोना महामारी के संक्रमण की स्थितियों में लोगों का एकत्र होना इस महामारी को दावत देने जैसा है वहीं दूसरी ओर उदयपुर जिले के विभिन्न ज्योतिषियों एवं कर्मकांडी पंडितों ने भी आगामी नवंबर माह तक श्रेष्ठ मुहुर्त नहीं होने के कारण विवाह इत्यादि मांगलिक कार्य को स्थगित रखने की सलाह दी गई है।

उदयपुर, 21 अप्रेल। कोरोना महामारी के संक्रमण की स्थितियों में लोगों का एकत्र होना इस महामारी को दावत देने जैसा है वहीं दूसरी ओर उदयपुर जिले के विभिन्न ज्योतिषियों एवं कर्मकांडी पंडितों ने भी आगामी नवंबर माह तक श्रेष्ठ मुहुर्त नहीं होने के कारण विवाह इत्यादि मांगलिक कार्य को स्थगित रखने की सलाह दी गई है। इधर,जिला प्रशासन की ओर से अतिरिक्त जिला कलक्टर ओ.पी. बुनकर ने भी वर्तमान स्थितियों को देखते हुए जिलेवासियों से आगामी माहों में होने वाले विवाहों को टालने का आह्वान किया है।

ये है पंडितों की राय

पंडित पवन कुमार सुखवाल के अनुसार वर्तमान मे ग्रहों की चाल व उदय-अस्त एवं साथ ही खलाबल के अनुसार इस वर्ष विवाह हेतु 25 नवंबर से पूर्व का समय ग्रहों की गणना व दोष पूर्ण होने से उपयुक्त नहीं माना गया है। उन्होंने बताया कि 1 जुलाई से 25 नवंबर 2020 तक देवशयन दोष तथा अधिक मास दोष के कारण 17 सितंबर से 16 अक्टूबर, 2020 तक विवाह आदि शुभ कार्य वर्जित हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 25 नवंबर एवं उसके बाद ही विवाह-इत्यादि मांगलिक कार्य करना ही उचित होगा।

पंडित विजय शर्मा के अनुसार 14 मई से मकर राशि में गुरु वक्री होकर 29 जून को धनु राशि में प्रवेश करेगा। 15 जुलाई को देवशयनी एकादशी है और इस दिन देव सो जाते है। इसके साथ ही चातुर्मास लगने से अगले चार माह तक विवाह नहीं हो सकेंगे। फिलहाल 15 जुलाई से 16 नवंबर तक विवाह योग नहीं बन रहे है और इससे पहले ग्रहों के योग अनुकूल नहीं होने से विवाह करना अनुचित होगा।

नक्षत्र संस्थान के ज्योतिष व संरक्षक पंडित निरंजन भट्ट, अध्यक्ष डॉ. भगवती शंकर व्यास व संभाग मुख्यालय पर स्थित राजकीय महाराणा आचार्य संस्कृत कॉलेज चांदपोल के सह आचार्य डॉ. महामाया प्रसाद चौबीसा के अनुसार शनि-गुरू के निर्बल होने व मूल में केतु के कारण विवाह योग्य जातकों के लिए इस समय विवाह करना दाम्पत्य के लिए सुखकारक नहीं होगा। 

कर्मान्तरी पं. लोकेश ने बताया कि महामारी के योग में विवाह व दाम्पत्य को अतिचारी गुरु के कारण ठीक नहीं माना गया है। गुरु का 30 जून को वक्री होकर धनु में प्रवेश और दिनांक 21 जून को कंकणाकृति सूर्य ग्रहण होना भी शुभ संकेत नही है।

विभिन्न पंडितों की ज्योतिषी गणना के अनुसार सूर्य नक्षत्र से अगर कोई ग्रह 5 वां हो तो  विद्युत दोष होना बताया गया है, जो पुत्र नाश करता है। वहीं आठवां नक्षत्र हो तो शूल दोष होता है, जो पति का नाश करता है। इसी प्रकार 14 नक्षत्र हो तो शनिपात दोष होता है, जो वंश का नाश करता है। 18 वां नक्षत्र हो तो केतु दोष होता है, जो देवर का नाश करता है। 

इसी प्रकार 19 वां नक्षत्र हो तो उल्का दोष होता है, जो धन का नाश करता है। 22 वां नक्षत्र हो तो निधति दोष होता है, जो भाई का नाश करता है। 23 वां नक्षत्र हो तो कम्प दोष होता है, जो नित्य कम्पाता है। 25 वां नक्षत्र हो तो वज्र दोष होता है, जो स्त्री-पुरुष को व्यभिचार की तरफ धकेलता है। अभी गुरु व शनि दोनों ही 23 वे नक्षत्र पर चल रहे है, कम्प दोष बनता है। ग्रह- नक्षत्रों की इस स्थिति को देखते हुए विवाह इत्यादि मांगलिक कार्यों को अभी फिलहाल टालना ही उचित होगा।