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विद्या भवन में दो दिवसीय ज़िला स्तरीय कार्यशाला सम्पन्न

आम जन में विश्वसनीयता कायम करने के लिए स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं में पारदर्शिता और जनप्रतिनिधियों में निःस्वार्थ सेवा की भावना ज़रूरी है। विद्यालय प्रबन्ध समितियों और ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण समितियों की सक्रियता गाँव-ढाणी तक मानवीय विकास हो सकता है। यह विचार विद्या भवन स्थानीय स्वशासन एवं उत्तरदायी नागरिकता संस्थान की ओर से […]

 

आम जन में विश्वसनीयता कायम करने के लिए स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं में पारदर्शिता और जनप्रतिनिधियों में निःस्वार्थ सेवा की भावना ज़रूरी है। विद्यालय प्रबन्ध समितियों और ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण समितियों की सक्रियता गाँव-ढाणी तक मानवीय विकास हो सकता है।

यह विचार विद्या भवन स्थानीय स्वशासन एवं उत्तरदायी नागरिकता संस्थान की ओर से शुक्रवार को ‘पंचायती राज सशक्तीकरण’ विषयक दो दिवसीय कार्यशाला में उभर कर आए। यहाँ विद्या भवन कृषि विज्ञान केन्द्र में आयोजित कार्यशाला के दूसरे दिन जनप्रतिनिधि, विभागीय अधिकारी व स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधियों ने तीन समूहों में विचार-विमर्श कर ज़मीनी स्तर के लिए ‘एक्शन-पॉइन्ट’ तैयार किए।

‘वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने में ग्राम पंचायत की भूमिका’ विषयक समूह ने माना कि पंचायत में आने वाला सारा धन जनता का है और जनप्रतिनिधि मुनीम है, जिसे मालिक जनता को हिसाब देना चाहिए। समूह ने सुझाव दिए कि ग्राम सभा तथा पंचायत की हर बैठक में स्वीकृतियों तथ आय-व्यय का विस्तृत ब्यौरा दिया जाए। वर्तमान में जारी प्रत्येक कार्य, लेन-देन व लाभार्थियों का विवरण सूचना पट्ट पर अंकित हो। हर वर्ष के बजट (प्रारूप-27) का अनुमोदन वॉर्ड पंचों व ग्राम सभा सदस्यों से लिया जाए। ग्राम सभाओं की तर्ज़ पर पंचायत बैठक व वॉर्ड सभाओं की भी वीडियो रिकॉर्डिंग हो। सचिव द्वारा पंचायत बैठक व ग्राम सभा की कार्यवाही पढ़ी जाए तथा सदस्य वहीं हस्ताक्षर करें। प्रस्तावों की क्रम संख्या सही हो व लाईनें छोड़ी हुई न हों। पंचायत की वित्त एवं कराधान स्थायी समिति बजट निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाए। सामाजिक अंकेक्षण मंचों को सजग करने के लिए जागरूकता के कार्यक्रम व कार्यशालायें हों। जनप्रतिनिधि सुनिश्चित करें कि चल-अचल सम्पत्ति रजिस्टर का समय पर संधारण हो तथा रोकड़ पंजिका व वित्तीय लेखों से सम्बन्धित सभी रजिस्टरों का प्रमाणीकरण हो। समूह के समन्वयक पूर्व विकास अधिकारी रमेश जैन थे, जबकि प्रस्तुतीकरण वीरधोलिया सरपंच खेमराज मेघवाल ने किया।

‘स्कूलों के सुधार में विद्यालय प्रबन्ध समिति (एस.एम.सी.) एवं ग्राम पंचायत की भूमिका’ विषयक समूह ने माना कि विद्यार्थी, अभिभावक, शिक्षक एवं जनप्रतिनिधियों में समन्वय से शिक्षा में अपेक्षित सुधार हो सकता है। एस.एम.सी. की महत्वपूर्ण भूमिका विद्यालय विकास योजना निर्माण में होनी चाहिए; जिसमें नामाँकन के साथ ही शैक्षिक व सह-शैक्षिक गतिविधियों एवं भौतिक स्थिति में सुधार तथा नवाचारों का विचार शामिल हो। हालात के मद्देनज़र समय-समय पर एस.एम.सी. को प्रशिक्षण मिले, जिसमें भागीदारी के लिए सदस्यों को समुचित मानदेय दिया जाए। मासिक बैठकें नियमित हों। अच्छी एस.एम.सी. की विज़िट कराई जाए। समिति को प्रशासनिक अधिकार मिलें तथा आकस्मिक व्यय व निर्बन्ध राशि का प्रावधान किया जाए। एस.एम.एस. आदि से सूचनाओं का तय समय में सम्प्रेषण हो। समूह की समन्वयक यूनिसेफ की ज़िला कार्यक्रम समन्वयक अल्पना जैन थीं, जबकि प्रस्तुतीकरण अतिरिक्त ब्लॉक शिक्षा अधिकारी विनोद सनाढ्य ने किया।

‘स्वास्थ्य एवं स्वच्छता की बेहतरी में ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण समिति तथा ग्राम पंचायत की भूमिका’ विषयक समूह ने सुझाव दिए कि जहाँ समिति की सक्रियता में जनप्रतिनिधि की भूमिका महत्वपूर्ण है, वहीं ग्राम स्वास्थ्य योजना निर्माण के लिए प्रशिक्षण भी आवश्यक है। समिति को प्राप्त रु.10 हज़ार की निर्बन्ध राशि की जानकारी वॉर्ड सभा व ग्राम सभा में दी जानी चाहिए। स्वास्थ्य दिवस पर समिति सदस्य व जनप्रतिनिधि अपनी भागीदारी निभायें। मिनी सचिवालय में समिति के कार्यों की पाक्षिक रिपोर्ट पेश की जाए। समिति की नियमित बैठकें हों, जिनके ज़रिए योजनाओं की जानकारी आम जन तक पहुँचे। ए.एन.एम. व आशा को लेखा संधारण के प्रशिक्षण की ज़रूरत है। समिति के समन्वयक एन.आर.एच.एम. के सम्भागीय समन्वयक कुमारिल अग्रवाल थे, जबकि प्रस्तुतीकरण आस्था की गिरिजा स्वामी ने किया।

समूहों की प्रस्तुतियों के दौरान चर्चा में ज़िला परिषद सदस्य मीरा गमेती, वीसमा सरपंच बदामी देवी, करदा सरपंच राधा पालीवाल, पदराड़ा सरपंच नरपत सिंह, वास उपसरपंच शान्तिलाल सुथार, मगवास पंच नाथूलाल जोशी, अति. बी.ई.ओ. सुरेन्द्रसिंह सोलंकी, महिला एवं बाल विकास सुपरवाईज़र अनुराधा गेमावत, विद्या भवन के.वी.के. के आनन्द सिंह जोधा, सेवा मंदिर के माधव टेलर आदि ने भाग लिया।

समापन सत्र के मुख्य अतिथि ज़िला परिषद सदस्य धर्मराज मीणा ने कहा कि विकास की नींव में शिक्षा है और हमारी यही नींव कमज़ोर है। कई दूरस्थ गाँवों में शिक्षक, आँगनवाड़ी कार्यकर्ता, ए.एन.एम. उपलब्ध ही नहीं होते हैं। वॉर्ड सभाएँ हों और उनके निर्णयों को मान्यता दी जाए, तो मजरे-ढाणी के स्तर से ग्रामीण विकास की प्राथमिकतायें तय हो पायेंगीं। अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद् प्रो. ए.बी. फाटक ने अंग्रेज़ी दौर की गुलामी की मानसिकता से निजात पाकर स्थानीय स्वशासन की पद्धतियों को अपनाने पर ज़ोर दिया। जनप्रतिनिधियों में सेवा भाव और कार्यों में पारदर्शिता आने के साथ ही अन्तिम व्यक्ति के विकास का सपना पूरा होगा। उन्होंने ‘एक्शन पॉइन्ट’ को ज़िला परिषद व राज्य सरकार को भेजने तथा पंचायत स्तर पर अमल करने का आग्रह किया।

प्रारम्भ में संकाय सदस्य सदस्य डॉ. सिम्पल जैन ने प्रथम दिवस की कार्यवाही की रिपोर्ट प्रस्तुत की। अकादमिक सलाहकार के.सी. मालू ने दूसरे दिन की कार्ययोजना बताई। संचालन स्मिता श्रीमाली ने किया। समूह समन्वयकों ने संक्षिप्त विषय प्रवेश वक्तव्य दिया। अन्त में आभार निदेशक अम्बरीश दूबे ने व्यक्त किया।