उदयपुर के पर्यावरण को समृद्ध बनाने महिलाएं निभायेगी अग्रणी भूमिका
जल प्रबंधन व पर्यावरण सुरक्षा मे महिलाओं की भूमिका" विषयक संगोष्ठी मे लिया संकल्प
पर्यावरण के प्रति हमारा भाव " माता भूमि: पुत्रोहं पृथिव्या " होना चाहिए
उदयपुर, 11 जनवरी, उदयपुर के पर्यावरण को समृद्ध बनाने, जल की बूंद बूंद बचाने, पॉलीथीन नियंत्रण व कचरे के उचित निस्तारण के जन वैज्ञानिक अभियान में महिला वर्ग नेतृत्वकारी भूमिका निभायेगा। यह संकल्प सोमवार को " जल प्रबंधन व पर्यावरण सुरक्षा मे महिलाओं की भूमिका" विषयक संगोष्ठी मे लिया गया।
रोटरी मीरा व पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के संयोजकत्व तथा उदयपुर डेनमार्क जल प्रबंधन योजना के विद्या भवन शोध दल, ग्रीन ट्राइब सोसाइटी, इंडिया वॉटर पार्टनरशिप के तत्वावधान मे आयोजित इस संगोष्ठी की अध्यक्षता समाज सेवी डॉ श्रद्धा गट्टानी ने की।
डॉ गट्टानी ने कहा कि पर्यावरण के प्रति हमारा भाव "माता भूमि: पुत्रोहं पृथिव्या" होना चाहिए। इसी भाव से उदयपुर के प्राकृतिक संसाधनों का शोषण रुक सकेगा। गट्टानी ने कहा कि करुणा व वात्सल्य जैसे महिलाओं के स्वाभाविक गुण की हर व्यक्ति मे जागृति से उदयपुर के पहाड़, पेड़, पानी, पक्षी बचेंगे तथा शहर स्वस्थ व स्वच्छ बनेगा।
पर्यावरणविद डॉ मधु सरीन ने कहा कि पॉलीथीन व प्लास्टिक के बारीक कण हमारे शरीर में जा रहे है जिससे पुरुष व महिला की प्रजनन क्षमता पर विपरीत असर हो रहा है। उन्होंने कहा कि रोटरी के माध्यम से कपड़े व कागज की थैलियों को उपलब्ध कराया जायेगा ताकि पॉलीथीन की थैलियों पर नियंत्रण हो।
मुख्य वक्ता डॉ अनिल मेहता ने उदयपुर आयड बेडच बेसिन के जल प्रबंधन व पर्यावरण सुरक्षा पर प्रस्तुतीकरण किया व इसमे महिलाओं की अग्रणी भूमिका का आह्वान किया। शीतल मलिक ने कहा कि नहाने मे शावर का इस्तेमाल रोकना चाहिए। शीतल ने कहा कि यदि हम घर पर ही गीले कचरे का कंपोस्ट कर खाद बना ले तो शहर पर कचरे का भार कम होगा व मिट्टी का भी पोषण होगा।
कविता बल्दवा ने कहा कि आर ओ के निस्तारित पानी का घर में, बगीचे, गमले मे उपयोग करना चाहिए ताकि ताजा पानी बच सके। आकांक्षा ने कहा कि एक माँ, पत्नी व बहन के रूप मे जब महिला पर्यावरण संरक्षण मे जुटती है तो पूरा परिवार पर्यावरण अनूकूल जीवन जीने लगता है।
मीरा मजूमदार ने कहा कि यदि हम अपना घर एक पर्यावरण अनुकूल हरित घर बना सके तो शहर का पर्यावरण स्वत: समृद्ध हो जायेगा। मजूमदार ने कहा कि जीवन शैली मे रीड्युस, रीयूज व रीसाइकिल को समावेश करना होगा। पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के सह संयोजक नाहर सिंह ने पॉलीथीन नियंत्रण के लिए ईको ब्रिक " बनाने की विधि को समझाया। विद्या भवन सी डी टी पी संकाय के सुधीर कुमावत व दुर्गा माहेश्वरी ने भी विचार व्यक्त किये।