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मुख्यमंत्री की क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से विडियो कॉन्फ्रेंसिंग
 

कोरोना संक्रमण के तहत जारी लॉकडाउन-3 के दौरान रविवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उदयपुर जिले के जनप्रतिनिधियों से जिले की स्थिति के संबंध में फीडबैक लिया।
 
इस मौके पर मुख्यमंत्री गहलोत ने भी राज्य सरकार की ओर से कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी और कोरोना से जीत की रणनीति पर विस्तार से मंथन किया।

उदयपुर, 10 मई 2020। कोरोना संक्रमण के तहत जारी लॉकडाउन-3 के दौरान रविवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उदयपुर जिले के जनप्रतिनिधियों से जिले की स्थिति के संबंध में फीडबैक लिया। सूचना एवं प्रोद्यौगिकी विभाग के माध्यम से आयोजित इस वीसी में सांसद सहित क्षेत्रीय विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्र के बारे में फिडबैक दिया।

इस मौके पर मुख्यमंत्री गहलोत ने भी राज्य सरकार की ओर से कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी और कोरोना से जीत की रणनीति पर विस्तार से मंथन किया।

इस अवसर पर उदयपुर सांसद अर्जुनलाल मीणा, उदयपुर शहर विधायक गुलाबचंद कटारिया, उदयपुर ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा, मावली विधायक धर्मनारायण जोशी, गोगुन्दा विधायक प्रताप गमेती, सलूंबर विधायक अमृतलाल मीणा, झाडोल विधायक बाबूलाल खराड़ी सहित राजसमंद विधायक किरण माहेश्वरी व अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद रहे और अपने-अपने क्षेत्र में कोरोना के प्रभाव और इससे जुड़े विषयों पर सुझाव देते हुए समस्याओं से अवगत कराया।

विडियोकांफ्रेंसिंग दौरान स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कोरोना संक्रमण से बचाव, प्रवासी श्रमिकों के लिए की जा रही व्यवस्थाओं, ग्रामीण क्षेत्रों में राशन वितरण, कृषि मण्डी बंद होने से आ रही समस्याओं, ग्रीष्मकाल में पेयजलापूर्ति के संबंध में मुख्यमंत्री को अवगत कराया और लोगों को राहत प्रदान करने की बात कही। मुख्यमंत्री ने सभी जनप्रतिनिधियों की बात सुनते हुए उनका जवाब दिया और आ रही समस्याओं के उचित निराकरण का आश्वस्त किया।

प्रभारी मंत्री मेघवाल ने भी दिए सुझाव

विडियो कांफ्रेंसिंग दौरान उदयपुर जिले के प्रभारी व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के मंत्री द्वारा प्रवासी श्रमिकों के संबंध मे  सुझाव दिया कि जिन श्रमिकों का राशन कॉर्ड नहीं बना हुआ है, उन्हें नरेगा में कार्य नहीं मिल पायेगा, ऐसे श्रमिकों के  परिवारों के बारें में भी सोचा जाना चाहिए। इसी प्रकार उन्होंने चूरु जिले का उदाहरण रख कर सुझाव रखा कि प्रवासी नागरिक व श्रमिकों को घर में आइसोलेशन ना रखकर वहीं के विद्यालय, धर्मशाला, सामुदायिक भवन अथवा अन्य भवन में रखा जाये जिससे गाँव के अन्य निवासी सुरक्षित रहे।