प्रकृति व मानवता को बचाने के लिए महिला संघठन का आगाज
वैश्विक स्तर पर प्रकृति मानव समर्थक व्यवस्था खडी करने के लिए जनअभियान प्रारम्भ करने के संकल्प के साथ प्रकृति मानव केंद्रित जन आंदोलन के अखिल भारतीय महिला सम्मेलन का समापन हुआ।
वैश्विक स्तर पर प्रकृति मानव समर्थक व्यवस्था खडी करने के लिए जनअभियान प्रारम्भ करने के संकल्प के साथ प्रकृति मानव केंद्रित जन आंदोलन के अखिल भारतीय महिला सम्मेलन का समापन हुआ।
सम्मलेन में आये तीन सो संभागियों व नेपाल के विभिन्न हिस्सों से आये अठारह प्रतिभागियों ने एकमत से कहा कि विश्व व्यवस्था को दुनिया भर के पुरुष व महिलाये मिलकर ही बदल सकते है। जिसके लिए लिंग समानता पहली शर्त है।
दुनिया के दोनों लिंगो की बराबरी ,भागीदारी एवं सशक्तिकरण ही प्रकृति व मानवता को बचाने की गारंटी है। मात्र सरकारों,औद्योगिक घरानो,सांस्कृतिक बुद्धिजीविओ की भागीदारी और ससषक्तीकरण से दुनिया को आनेवाले संकटो से नहीं बचाया जा सकता। सम्मेलन में भारत व नेपाल में प्रकृति मानव समर्थक जन कमेटियों के गठन का निर्णय लिया गया।
जनसंघठणो की प्रणेता डॉ जिनि श्रीवास्तव ने कहा कि जान आंदोलनों में महिलाओ की सशक्त भागीदारी व जिम्मेदारी होनी चाहिए। महिलाये निर्णय प्रक्रिया का हिस्सा होना चाहिए। कोटड़ा के धर्मचंद ने कहा आदिवासी ही जंगल की महिमा को समझ सकता है। बीकानेर के विपिन चन्द्र गोयल ने कहा आंदोलनों ने जब तक न्याय और निष्पक्षता नहीं आएगी तब तक समाज व् व्यवस्था में बदलाव मुश्किल होगा।
शोभा परंजे ने कहा विकास और बदलाव के लोग गवाह बने ऐसा सशत रास्ता चुनना हमारी प्राथमिकता हो।प्रकृति चिंतक सज्जन कुमार ने कहा कि प्रकृति और मानव को बचाने का सामूहिक जन प्रयास ही सार्थक होगा इसमे नयी ऊर्जा की जरुरत को आदमी और महिलाये पूरी करेंगी। केंद्रीय समिति के अध्यक्ष घनश्याम डेमोक्रेट ने निर्णयों में महिला भागीदारी को विशेष तवज्जो नहीं देने के व्यवस्था के रुख पर अफ़सोस व्यक्त किया।
उदयपर संभाग के संयोजक मन्नाराम डांगी ने आंदोलन के विस्तार और महिला भागीदारी की जरूरत पर बल दिया। समाज सेवी अब्दुल अज़ीज़ खान ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कवियत्री शकुंतला सरूपरिया ने महिला भागीदारी पर ग़ज़ल पस्तुत की। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र,पंजाब , हरियाणा, आंध्रा, बंगाल, राजस्थान के बीकानेर, जोधपुर, अजमेर,उदयपुर संभाग, नेपाल से आये संभागियों ने सम्मलेन को सफल व भागीदारी पूर्ण बतलाते हुए आने वाली नस्लों के लिए प्रकृति मानव केंद्रित एजेंडे की जरुरत बतलाई । कार्यक्रम का संचालन पूर्व महिला एवं बालविकास परियोजना निदेशक शशि प्रभा ने किया।