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GMCH: मछली का कांटा बना गले की फांसएंडोस्कोपी से बची जान

 

गीतांजली मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल उदयपुर सभी चिकित्सकीय सुविधाओं से परिपूर्ण हैl यहां निरंतर रूप से जटिल से जटिल उपचार व ऑपरेशन कर रोगियों को स्वस्थ्य जीवन दिया जा रहा है|गीतांजली हॉस्पिटल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग से डॉ पंकज गुप्ता,डॉ धवल व्यासडॉ मनीष दोडमानी के अथक प्रयासों से एक 20 वर्षीय रोगी को स्वस्थ जीवन प्रदान किया गया|

विस्तृत जानकारी:

डॉ पंकज ने बताया कि रोगी 20 वर्षीय रोगी दोस्तों के साथ घूमने गया वहां जाकर फिशिंग की और मछली को पका कर खाया, मछली को खाते ही रोगी का गला चोक हो गया उसको स्थानीय हॉस्पिटल में भर्ती किया गया| रोगी के स्पाइनल कार्ड और भोजन नली के मध्य लगभग 20 मिलीलीटर पस इकट्ठा हो गया था| भोजननली  में 5 सेंटीमीटर लम्बा सुई के जैसा तीखा मछली का कांटा था|

रोगी को गीतांजली हॉस्पिटल आने पर ईएनटी विभाग में दिखाया गया चूँकि रोगी एक युवक था उसका ऑपरेशन किये बिना इस कांटे को बाहर निकलने का प्रयास करने के लिए डॉ नितिन शर्मा ने रोगी को गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ पंकज गुप्ता को रेफेर किया चूँकि गीतांजली हॉस्पिटल में आने वाले प्रत्येक रोगी का मल्टीडिसिप्लिनरी अप्र्रोच के साथ इलाज किया जाता है|

गैस्ट्रोएंटरोलॉजी टीम के द्वारा रोगी की एंडोस्कोपी की गयी व नुकीले कांटे को बाहर निकाल दिया गया| रोगी अब पूर्णतया स्वस्थ है सामान्य तरह से खा पी रहा है|

मुख्य सन्देश

डॉ पंकज ने बताया कि दो सेंटीमीटर से बड़ी कोई भी नुकीली चीज़ , वृद्धावस्था में डेंचर, खाने का बड़ा गस्सा निगलने की बिलकुल कोशिश ना करें| जिस घर में छोटे बच्चे हैं उनसे नुकीली चीज़ों को दूर रखें|

गीतांजली हॉस्पिटल में गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी तथा जीआईसर्जरी से संबंधित सभी एडवांस तकनीके व संसाधन एंडोस्कोपी यूनिट में उपलब्ध हैं जिससे जटिल से जटिल समस्याओं का निवारण निरंतर रूप से किया जा रहा है।

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल पिछले सतत् 17 वर्षों से एक ही छत के नीचे सभी विश्वस्तरीय सेवाएं दे रहा है और चिकित्सा क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित करता आया है, गीतांजली हॉस्पिटल में कार्यरत डॉक्टर्स व स्टाफ गीतांजली हॉस्पिटल में आने प्रत्येक रोगी के इलाज हेतु सदेव तत्पर है|