×

ओडा रेलवे ब्रिज कांड के आरोपियों को एटीएस की टीम ने किया कोर्ट में पेश, 5 दिन का मिला रिमांड       

आरोपियों को कड़ी सुरक्षा इन्तेजाम के बीच लाया गया कोर्ट परिसर

 

घटना के बारे में किया जाएगा अनसंधान, शुक्रवार सुबह मौका तस्दीक

उदयपुर के ओडा पुल ब्लास्ट मामले में गिरफ्तार हुए 2 आरोपियों को एटीएस की टीम ने शुक्रवार को उदयपुर कोर्ट में पेश किया जिसके दौरान अनुसधान अधिकारी के कोर्ट में 7 दिनों का पुलिस कस्टडी रिमांड माँगा जिसपर कोर्ट द्वारा 5 दिन का रिमांड दिया गया। 

अनुसन्धान अधिकारी द्वारा मामले के बारे में आगे के अनुसंधान करने के बारे में आरोपियो से पूछताछ करने का तर्क कोर्ट में दिया गया था जिस पर 5 दिन का रिमांड दिया गया। 

इससे पूर्व एटीएस की टीम शुक्रवार सुबह 2 आरोपियों धुलचंद और प्रकाश सहित हिरासत में लिए गए बाल अपचारी को लेकर घटना स्थल पर मौका तस्दीक करने के लिए पहुंची थी, जहां उनसे पूरी घटनाक्रम के बारे में पूछताछ की गई। 

आरोपियों की तरफ से वकील रजनीश कुमार ने बताया की आरोपी धुलचंद और उसके साथी प्रकाश को ज़िला उदयपुर में पेश किया गया था जहां अनुसन्धान अधिकारी की मांग पर उन्हें 5 दिन रिमांड दिया गया है और 5 दिन पश्चात फिर से उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा। 

अनुसधान अधिकारी ने ज़िला एवं सेशन कोर्ट के समक्ष आरोपियों से मामले से जुड़े अनुसंधान कर जरुरी सुचना प्राप्त करने की बात रखी गई थी। जिस पर कोर्ट द्वारा 5 दिन का रिमांड स्वीकृत किया है। रजनीश ने कहा की आरोपी धुल चंद कोर्ट में जिस तरह अपना व्यवहार कर रहा था उस से लगा की वो किसी अवसाद से ग्रस्त है और हो सकता है की वो किसी मानसिक बीमारी से भी ग्रसित हो, इसका पूरी तरह से मानसिक परीक्षण किया जाएगा और फिर पुनः इन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा। दोनों ही आरोपियों प्रकाश और धुलचंद को 5 दिन के रिमांड दिया गया है जिसके दौरान दोनों से एटीएस द्वारा अनुसंधान किया जाएगा। 

दोनों ही आरोपियों को एटीएस की टीम पूरी कड़ी सुरक्षा के बीच लेकर कोर्ट पहुंची थी जहाँ एटीएस के अंतर्गत आने वाले इमरजेंसी रेस्पोंस टीम (एएरटी) भी मौजूद रही। दोनों को एसीजेएम् 3 कोर्ट में पेश किया गया था। इस मामले में आरोपियों की तरफ से वकील रजनीश माहुर, संजीव शुक्ला को अधिवक्ता नियुक्त किया गया है। 

गौरतलब है की उदयपुर से करीब 25 किलोमीटर की दुरी पर स्थित ओडा रेलवे पुल पर 12 नवम्बर को एक विस्फोट हुआ था, जिसके बाद इस घटना को विभिन्न पहलुओं से जोड़ा जा रहा है। धमाके के लिए लोकल लेवल पर इस्तेमाल किये जाने वाले डेटोनेटर इस्तेमाल में लिए गए थे, घटना इतनी भीषण थी की पुल पर मौजूद रेल पटरियों में क्रेक आ गए और अगर हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लांच की गई उदयपुर असरवा ट्रेन जिसको घटना के कुछ घंटो बाद ही गुजरना था अगर वहां पहुँचती तो एक बड़ा हादसा हो सकता था जो की एक स्थानीय युवक की सतर्कता की वजह से टल गई। 

कुछ ही देर में एटीएस, एनआईए,आईबी आदि सुरक्षा एजेंसियों की टीम मौके पर पहुंची और मामले को अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट की धाराओं के तहत दर्ज कर अनुसन्धान शुरू किया गया और 5 दिनों की गहन जाँच और प्रयासों के बाद 17 नवम्बर को एटीएस, एसओजी और स्थानीय पुलिस के प्रयासों और सुचना तंत्रों की मदद से आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन ये मामला किसी संगठन द्वारा की गई साजिश नहीं बल्कि रेलवे विभाग और हिंदुस्तान जिंक द्वारा अवाप्त की गई ज़मीन और नौकरी नहीं मिलने से नाराज हो कर कारित की गई घटना थी। 

जहाँ एक तरफ एटीएस द्वारा 2 मुख्य आरोपियों को 5 दिन के रिमांड पर लिया गया है वही पुलिस विस्फोटक बेचने के आरोप में हिरासत में लिए गए अंकुश सुहालका से भी गहनता से पूछताछ कर रही है। 

एसपी विकास शर्मा का कहना है की सुहालका से पूर्व मे भी विस्फोटक किसी और को बेचने और इस घटना में उसकी भूमिका के बारे में लगातार पूछताछ की जा रही है।