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अग्रसेन जयन्ती शोभायात्रा में उमड़ा भारी अग्रसमुदाय

चहुं और गूंजे अग्रसेन जयकारे, उत्साह से लवरेज झूमे-नाचे अग्रवाल

 
सैंकड़ों स्वागत द्वार, अग्र पताकाओं ध्वज से सजे घर बाजार

उदयपुर, 26 सितंबर 2022। अग्रकुल अधिष्ठाता भगवान अग्रसेन महाराज की 5146वीं अवतरण जयन्ती आज नगर ही नहीं वरण पूरे देश में हर्षोल्लास-उमंग-उत्साह जोर शोर धूमधाम से मनायी गयी। अग्र साम्राज्य रीत अनुसार अग्रकुल ने इस शुभ अवसर-उत्सव मांगलिक कार्य का शुभारंभ कुलदेवी मां आद्यलक्ष्मी एवं भगवान अग्रसेन जी के समक्ष धूप-द्वीप-नैवेद्य माल्यार्पण अर्पित कर उनके दरबार में भव्य हवन कुण्ड में जोड़े सहित यज्ञ किया। आज प्रातः 8 बजे जयन्ती मुख्य समारोह का उद्घाटन अग्रवाल भवन सुरजपोल प्रांगण में श्री अग्रसेन जयन्ति महोत्सव समिति के बैनर तले पांचों अग्रवाल पंचायत द्वारा सामूहिक रूप से अग्रध्वज पताका फहरा कर किया गया।

प्रवक्ता नारायण अग्रवाल ने बताया कि ध्वजारोहन एवं माल्यार्पण की रस्म अग्रवाल वैष्णव समाज अध्यक्ष एवं मुख्य जयन्ती संयोजक संजय अग्रवाल, प्रवासी अग्रवाल समाज अध्यक्ष बालमुकुन्द पित्ती, लक्ष्करी अग्रवाल पंचायत अध्यक्ष रामचन्द्र अग्रवाल अग्रवाल दिगम्बर जैन पंचायत अध्यक्ष बृज मोहन अग्रवाल, धानमण्डी अग्रवाल समाज अध्यक्ष ओम प्रकाश अग्रवाल एवं सभी महासचिव क्रमशः उपमुख्य संयोजक दिनेश बसंल, राजेश अग्रवाल, शिव प्रकश अग्रवाल, अशोक अग्रवाल, तरूण मंगल तथा समाज के गणमान्य अग्रबन्धुओं द्वारा रस्म निभायी गयी। अग्रगान एवं आरती महिला अध्यक्षा रश्मि गोयल, रमा मित्तल, अंजना अग्रवाल, हेमतला टेग्या, अमिता भण्डारी, मंत्री रेखा अग्रवाल, संतोष पित्ती, अंजली गुप्ता, अनित जैन, नीतू गुप्ता, इन्द्रा अग्रवाल आदि पदाधिकारियों ने गाकर सुरों से मां लक्ष्मी एवं अग्रसेन जी श्रृंगार किया।

पंडित पियुष शास्त्री के सानिध्य एवं शास्त्रित्व में समाज के वयोवृद्ध विमल मेड़तिया-अनिता मेड़तिया अठारह गौत्रों के अठारह जोड़ों के साथ सभी पदाधिकारियों, संयोजकों, समिति अध्यक्षों एवं गणमान्य अग्रबन्धुओं द्वारा विश्व कल्याण, प्राणी एवं जीव मात्र की कल्याण की मंगल कामनाओं के साथ यज्ञ में युगन्धित द्रव्य, दिव्य शाकल्य सुखा मेवो-फलफ्रुट-खोपरा, धृत-इत्र-सुगन्ध की आहुतियां पदरा थी। यज्ञ आरती की रस्म अदा की गयी। उपस्थित सैंकड़ों अग्रबन्धुओं द्वारा दरबार में पुष्प वर्षा एवं पुष्पांजलि अर्पित की गयी। महाप्रसाद, सुखे मेवो एवं सेगारी व्यंजनों का प्रसाद-अल्पाहार स्वरूप प्रदान किया।

नारायण अग्रवाल ने बताया कि द्वितीय चरण में प्रातः से ही ‘‘रक्तदान महादान करे जन-जन का कल्याण’’ भावना से ओत प्रोत हो हवन में उपस्थित अधिकांश अग्रबन्धुओं द्वारा रक्तदान केम्प में अपने अमूल्य तथा औरों की जिन्दगी का रक्षक रक्त (ब्लड) दान करने की होड़ लग गयी। संयोजक नीतू गुप्ता, राजेश अग्रवाल, की देख रेख में आर.एन.टी. मेडिकल कॉलेज ब्लड सेन्टर से डॉ. राजेश कुमार, डॉ. शील प्रभा नाहर काउन्सलर प्रमोद सिंह, नर्सिंग ऑफिसर सीमा कुमारी, लेब टेक्नीशियन विजिता पारीख, हितेश कुमार यादव की टीम की देखरेख में आयोजन किया गया।

प्रातः रस्म आठ बजे टाउन हॉल प्रांगण में भट्टी पूजन की रस्म अदा की गयी। 15 से अधिक भट्टियों एवं पचासों इन्दौर के कुशल कारीगरो, हलवाईयों एवं अनेक कर्मचारियों द्वारा विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों, सेगारी, फलाहारी, भोजन निर्माण प्रक्रिया प्रारम्भ की जो देर रात्रि तक जारी रही।

तीसरे चरण में सांय चार बजे नगर निगम टाउन हॉल प्रांगण से छत्रपति महाराजा अग्रसेन भगवान, महारानी माधवी की शोभायात्रा कुलदेवी आद्यलक्ष्मी संग नगर वासियों को दर्षन लाभ-आरती लाभ, सुख समृद्धि वैभव प्रसाद प्रभावना, सौभाग्य बांटते हुये प्रारम्भ हुई। उनके संग महाराजा अग्रसेन दरबार में सजीव रूप धरे 18 गौत्रों के प्रतीक अठारह पुत्र विराजमान हो जन-जन के आकर्षण का केन्द्र बने थे। शोभायात्रा में सूरजपोल अग्रवाल समाज मन्दिर से भगवान लक्ष्मी नारायण स्वयं साक्षात् बग्गी में विराजमान हो नगर वासियों को दर्शन लाभ प्रदान कर नगर के हालात जाने।

ऐसी अनोखी थी अग्र शोभायात्रा - शोभायात्रा में सर्व प्रथम पायलट जीप, उसके पीछे गजराज पर अग्रध्वज पताका लिये अग्रबन्धु विराजमान थे, पांचों समाज के प्रतिनिधित्व करते पांच अश्वारोही के पीछे अनेक स्केटधारी युवक-युवतियां अठखेलिया करते चल रहे थे। उनके पीछे अग्रवाल दिगम्बर जैन समाज के अग्रवाल बाल मन्दिर के विद्यार्थी बालक-बालिकाओं का जैन बैण्ड अग्रसेन मंगल गान मधुर धुने बिखरते चल रहा था स्कूल के अनेक विद्यार्थी जुलूस की शोभा बढ़ा रहे थे।

समाज के अनेक बुलेट मोटर साईकिल सवार चार चांद लगा रहे थे इन्दौर के पांच ढोल छाप देते हुये समाज जनों को नाचने झूमने हेतु बाध्य कर रहे थे। समाज की सैंकडों युवतियां, महिलाएं सजधज कर एक्टिवा पर सवारी कर अग्रपथ घोष कर रही थी। इनके पीछे पुनः एक बैण्ड अग्रसंगीत की स्वर लहरियां एवं मधुर धुने बिखरे रहा था। समाज के सैकड़ों अग्रबन्धु श्वेत वस्तु सिर पर साफा गले में दुप्पटा उपरणा पहन झूमते नाचते अग्रगमन करते चल रहे थे। उसके साथ बग्गी में कुलदेवी आद्यलक्ष्मी की साक्षात् विराजमान थे। 

जगह-जगह पूजा आरती रस्म पूरे मार्ग हर समाज हर वर्ग के नागरिक कर रहे थे। एक बग्गी में अग्रसेन जी मां माधवी संग विराजमान थे। तीन बग्गियों में अग्रसेन जी के 18 पुत्र विराजमान थे। उनके पीछे एक ऊंट गाड़ी में अनेक बच्चे सवार थे। जुलूस के आकर्षण का केन्द्र पच्चासों महिलाओं की कलश यात्रा भी थी। इनके पीछे एक और मास्टर बैण्ड महिलाओं की अगुवाई करते उन्हें नाचने गाने झूमने हेतु गजपुर करने वाली धुने बजा रहा था। जिस पर समाज की सैंकड़ों महिलाओं का हुजूम अग्र साम्राज्य की प्रचलित लाल चुन्दड़ अनेक प्रकार के आभुषण माथे पर मोर रसड़ी ठीकड़े पहने सभी के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई थी। पानी के केम्पर युक्त ठेले प्यास बुझाते चल रहे थे। अग्रवाल वैष्णव समाज द्वारा सज्जित मोबाईल की लत से बच्चों को करे मुक्त का संदेश देते चल रही थी।