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लंबे समय से दुर्गंध सहने को मजबूर है आयुर्वेदिक कॉलेज के छात्र और मरीज़

राणाजी चौराहे पर खाली पड़ी जमीन पर कचरे का डम्पिंग ग्राउंड बनने से दुर्गन्ध से परेशान है मरीज़ और छात्र

 

उदयपुर 20 जुलाई 2022 । उदयपुर के राणाजी चौराहे पर मौजूद मदन मोहन मालवीय राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र और आने वाले मरीज़ दुर्गन्ध के बीच में रहने को मजबूर है। आयुर्वेदिक कॉलेज में आने वाले मरीज और छात्र दोनों को ही इस असहनीय दुर्गन्ध के बीच जीना पड़ रहा है। 

दुर्गन्ध भी ऐसी की कोई सही सलामत व्यक्ति अगर यहाँ पर आए तो उसकी अच्छी खासी तबीयत भी ख़राब हो जाये ऊपर से बारिश का मौसम इस दुर्गन्ध को और बढावा दे रहा है। कॉलेज परिसर में पहुँचते ही पार्किंग से ही ये दम घोटने वाली दुर्गन्ध शुरू हो जाती है और पुरे परिसर में महसूस होती है। लोग सालों से इसी दुर्गन्ध में काम करने को मजबूर है लेकिन इस मुसीबत से कोई निजात नहीं मिल रही। 

दरअसल कॉलेज के ठीक पास ही मौजूद खाली पड़ी जमीन को लम्बे समय से डंपिंग ग्राउंड बना दिया गया है। आसपास के स्थानीय बस्ती के लोग इस खाली पड़ी जमीन पर सालों से घर का कचरा डालते आ रहे है। इस बात से बिलकुल बेखबर की उनके द्वारा डाले गए इस कचरे से होने वाले बेक्टीरिया उनकी सेहत के लिए भी हानिकारक है और कोरोना काल में और भी जानलेवा हो सकते है। 

जब कॉलेज के प्रिंसिपल महेश दीक्षित से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया की इस बारे में प्रशासन को पहले भी अवगत कराया गया। जिसके चलते नगर निगम द्वारा इस जमीन के आस पास बाउंड्री भी बना दी गई थी, लेकिन कुछ दिन पहले किसी ने ये बाउंड्री भी तोड़ दी, आस पास में बनी होटलों के बचे हुए खाने को भी यही डाला जाता है, जिस से यहाँ आवारा श्वान और मवेशी दिन भर यहाँ इकठ्ठा रहते है, पूर्व में कुछ लोगो को यहाँ कचरा डालने से मना भी किया गया था लेकिन फिर से स्थिति वैसी ही हो गई। 

दीक्षित ने बताया की ये खाली पड़ी जमीन विवादित है। विवाद के चलते न्यायालय ने स्टे दिया हुआ है। दीक्षित ने कहा की अगर यह जमीन कॉलेज प्रशासन को मिल जाये तो इसकी सफाई करवा कर उद्यान बनाया जाए। लेकिन  न्यायालय द्वारा स्टे आने के बाद इस जमीन पर कुछ भी करना न्यायालय के आदेशों की अव्ह्लेना करना होगा, इसी लिए न तो इसकी सफाई करवाई जा सकती है ना ही कुछ और विकल्प किया जा सकता है। 

दीक्षित ने कहा की पूर्व में भी मिडिया द्वारा कई बार इस मामले को उजागर किया गया लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। ऐसे में इन विवादों के चलते कॉलेज में आने वाले लोग और आस पास की रिहायशी बस्तियों में रहने वाली जनता सभी इन असहनीय परिस्थितियों में रहने के लिए मजबूर है।