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राजसमंद के नाथद्वारा में बन रहें थीम पार्क पर हुआ विवाद 

पीड़ित का कहना है कि नगर पालिका द्वारा उनकी जमीन पर सौंदर्यीकरण थीम पार्क का काम किया जा रहा है जिसको लेकर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की है। 

 

मामला कुछ इस प्रकार है कि पीड़ित प्रार्थी का कहना है कि उनके बाप दादा जो कि श्रीनाथजी मंदिर में उत्कृष्ट कार्य करने पर 9 बीघा जमीन मंदिर मंडल से गोविंद लाल जी महाराज द्वारा दी गई जिसका उनके द्वारा पिछले लंबे समय से उपयोग उपभोग कर रहे थे, लेकिन पीड़ित का कहना है कि नगर पालिका द्वारा उनकी जमीन पर सौंदर्यीकरण थीम पार्क का काम किया जा रहा है जिसको लेकर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की है। 

हाई कोर्ट द्वारा कार्य को यथास्थिति रखने के ऑर्डर भी हुए हैं स्टे ऑर्डर की कॉपी उन्होंने नगर पालिका में भी भिजवाई हैं, उनका आरोप हैं कि उसके बावजूद भी नगरपालिका धड़ल्ले से कार्य कर रही हैं इस बारे में जब मीडिया कर्मी ने नाथद्वारा आयुक्त कौशल कुमार खाटूमरा से जानकारी चाही तो उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने जो स्टे दिया है उसकी पूर्ण रूप से पालना की है, हाई कोर्ट के स्टे पर नगर पालिका द्वारा किसी प्रकार का कोई कार्य नहीं किया जा रहा है।

उनका कहना हैं कुल रकबा (क्षेत्र ) 70 बीघा हैं, जबकि कोर्ट का स्टे 9 बीघा पर हैं जिसपर 149 में पट्टा इशू हुआ था, म्यूटेशन खोले जाने को लेकर उन लोगों का कोई पुत्रणी जमीन होने के नाम पर कोई केस चल रहा हैं, नगर पालिका द्वारा कोर्ट के स्टे तो किसी भी तरीके से वॉयड (void) नही किया ज़ा रहा, पालिका कोर्ट के आदेश को ध्यान में रखकर कार्य कार रही हैं। 

आयुक्त का कहना हैं जब उन्होने पूरी जमीन कि सीमांकन रिपोर्ट निकलवाई हैं उसी के हिसाब से कार्य किया ज़ा रहा हैं। क्यूंकि कि पूरा रकबा (क्षेत्र) 70 बीघा का हैं औऱ सीमांकन रिपोर्ट के हिसाब से पालिका द्वारा सिर्फ 48.5 बीघा के लगभग जमीन पर ही कार्य करवाया ज़ा रहा हैं, मतलब कि केस के प्रभावित जमीन के अलकवा भी औऱ जमीन छोड़ने के बाद कार्य चलाया ज़ा रखा हैं, इसी लिए कोर्ट आदेशों का सम्मान करते हुए ही 70 बीघा में से सिर्फ 48.5 बीघा पर काम चलाया ज़ा रहा हैं।

लेकिन दूसरी ओर पीड़ित प्रार्थी लक्ष्मी लाल जोशी का कहना है कि नगर पालिका उनकी पुश्तैनी जमीन जो कि मंदिर मंडल द्वारा उन्हें दी गई है उस पर कार्य कर रही है जिस पर अभी स्टे भी है, अब देखना यह होगा कि क्या प्रशासन उस पीड़ित प्रार्थी की किसी प्रकार की कोई सुनवाई करता है या फिर कोर्ट की अवमानना इसी तरह होती रहेगी।