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Update:उपकार मसाला विवाद- एक पक्ष ने कहा मालिकाना हक़ उनका जबकि दूसरा पक्ष बोला मालिकाना हक़ की बात झूठी

दोनों पक्षों की अर्जी ख़ारिज

 

उदयपुर। उपकार मसाले पर मालिकाना हक़ के मामले में एक पक्ष के ज़ाकिर हुसैन कानोड़वाला एवं उनके अधिवक्ता जी.डी.बंसल ने 3 सितंबर 2022 को दावा किया था कि एडीजे न्यायालय क्र.स. 1 ने आज गत 12 वर्षो से चल रहे उपकार मसालें के मालिकाना हक के विवाद का फैसला करते हुए बड़े भाई ज़ाकिर हुसैन कानोड़वाला के पक्ष में निर्णय सुनाया। वहीँ दूसरे पक्ष के कुतबुद्दीन कानोड़वाला ने दिनांक 5 सितंबर 2022 को उनके शिक्षा भवन स्थित कार्यालय पर प्रेसवार्ता कर बताया की न्यायालय के आदेश के संबंध में गलत व्याख्या कर गुमराह करने का प्रयास किया है।   

जयपुर से आये अधिवक्ता जी.डी.बंसल ने बताया कि विगत 12 वर्ष पूर्व ज़ाकिर हुसैन कानोड़वाला के छोटे भाई कुतुबुद्दीन कानोड़वाला ने छल से फर्जी हस्ताक्षर कर उपकार मसालें का मालिकाना हक जाकिर हुसैन से छीन लिया और न्यायालय में ज़ाकिर हुसैन कनोड़वाला को उपकार मसालें से बाहर करने हेतु वाद दायर कर दिया। जबकि कुतबुद्दीन कानोड़वाला ने कहा की कोर्ट के आदेश में इस प्रकार का कोई भी निष्कर्ष नहीं दिया गया है।  

अधिवक्ता जी.डी.बंसल ने बताया कि मामले की सुनवाई करते हुए एडीजे न्यायाधीश ने निर्णय सुनाते हुए कुतुबुद्दीन कानोड़ावाला के वाद को खारिज करते हुए उपकार मसालें के नाम को ज़ाकिर हुसैन को उपयोग करने की छूट दी। जबकि कुतबुद्दीन कानोड़वाला ने बताया की दोनों पक्षी को कोर्ट ने इस तकनीकी आधार पर अस्वीकार किये है की दोनों ही पक्ष ZAK logo के पंजीकृत मालिक है। इसके अलावा कोर्ट ने मामले के गुणावगुण पर कोई फैसला नहीं दिया है। 

अन्य अधिवक्ता सुशील कोठारी ने बताया कि उपकार फर्म के बंटवारें का वाद न्यायालय में वर्ष 2013 से विचाराधीन है। ज़ाकिर हुसैन के पुत्र हकीमुद्दीन कानोड़वाला ने आरोप लगाया कि उनके पिता जाकिर हुसैन ने वर्ष 1979 में उपकार कंपनी की स्थापना की थी तब से यंह कंपनी उनके पिता द्वारा ही संचालित की जा रही थी लेकिन लगभग 12 वर्ष पूर्व उनके चाचा कुतुबुद्दीन कानोडवावला ने छल से जाली हस्ताक्षर कर यह कंपनी अपने नाम करते हुए अपने बड़े भाई को उपकार कंपनी से बाहर करने का वाद दायर कर दिया। इस आरोप पर कुतबुद्दीन कानोड़ वाला ने बताया की कोर्ट में ज़ाकिर हुसैन कानोड़ वाला ने खुद यह स्वीकर किया है की दस्तावेज़ों पर उनके खुद के हस्ताक्षर है।