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लंपी का कहर दूध की आवक 25 से 30 फीसदी घटी 

लंपी की बीमारी से कम हुआ दूध का उत्पादन

 

गोवंश में फैल रहे लंपी स्किन डिजीज से दूध का उत्पादन कम हो गया है। हालांकि मानसून के दौरान दूध की मात्रा बढ़ जाती है। ऐसे में इसकी कमी अभी महसूस नहीं की जा रही। सरस डेयरी में गत माह प्रतिदिन औसत 1.10 लाख लीटर दूध आ रहा था। जो वर्तमान में घटकर 1.5 लाख लीटर हो गया है।

अधिकारियों का कहना है कि मानसून के दौरान 1.25 से 1.30 लाख लीटर दूध डेयरी में आता है। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि गायों के दूध में 20 से 25 प्रतिशत तक की कमी आई है। इधर पशुपालन विभाग के डॉक्टर भी इस बात को मानते हैं कि दूध देने वाली गाय को बीमारी लगने पर उसके दूध में कमी आती है।
 

20 प्रतिशत दूध की कमी संभव
डॉ. सुरेंद्र छंगाणी ने बताया कि लंपी स्किन डिजीज होने पर गायों के दूध देने की क्षमता में करीब 20 प्रतिशत की कमी आती है। इस रोग के वायरस दूध में नहीं होते इसके साथ ही यह मानवों में नहीं फैलता ऐसे में इस रोग से ग्रसित गाय का दूध उबालकर काम में लिया जा सकता है।

 

40 प्रतिशत दूध कम हुआ
उदयपुर दुग्ध व्यापार संघ के जिलाध्यक्ष नरेंद्र पालीवाल ने बताया कि उदयपुर जिले में इस रोग से गायों की मौत कम हुई है। लेकिन गायों को बीमारी लगने से दूध का उत्पादन 40 प्रतिशत कम हो गया है। मानसून में जितना दूध आना चाहिए था। उतना अभी नहीं आ रहा है। ऐसे में दूध से बनने वाले उत्पादों पर इसका काफी असर पड़ रहा है। इसमें मावा, रसगुल्ला, घी, मिल्क पाउडर, पनीर आदि दुग्ध उत्पादों पर भी भारी असर पड़ा है।