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उदयपुर में माय वेल एप द्वारा जल प्रबंधन का सफल प्रयोग पूरे भारत के लिए स्वीकार

जल शक्ति मंत्रालय ने जारी किया माय वेल एप

 

उदयपुर 24 नवंबर 2022। दक्षिणी राजस्थान व् इसकी सीमा से जुड़ा उत्तरी गुजरात विश्व मानचित्र पर "सामुदायिक सहभागिता से भूजल संग्रहण व् संरक्षण" के अनूठे कार्य के सफल उदहारण के रूप में उभरा है। मारवी परियोजना-जन भागीदारी से भूजल के सुप्रबंधन का अनुकरणीय मॉडल विश्व स्तर पर स्वीकार हो रहा है। 

उदयपुर मे सफल व परिणाम मूलक प्रयोग के बाद जल प्रबंधन मे जन भागीदारी बढ़ाने के माय वेल मोबाइल एप को जल शक्ति मंत्रालय ने देश भर के लिए जारी किया है। 

नई दिल्ली मे आयोजित कार्यक्रम मे विशेष सचिव देबाश्री मुखर्जी, संयुक्त सचिव आनंद मोहन व वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी की उपकुलपति डॉ स्वीनी ने इसे जारी किया। 

योजना के मार्गदर्शक, वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर बसंत माहेश्वरी ने बताया कि इस एप के माध्यम से किसान सहित आमजन भूजल, सतही जल, वर्षा की मात्रा, पानी की गुणवत्ता, बांध के जलस्तर की जांच और अन्य मापदंडों को एकत्रित कर डालते है। इससे सामूहिक निगरानी चित्रण तो होता ही है, नागरिकों के द्वारा एकत्रित आंकड़े जल के प्रभावी प्रबंधन को भी सुनिश्चित करते हैं। इस दृष्टि से यह एक नागरिक विज्ञान उपकरण है। इस ऐप का उपयोग नागरिकों को उनके भूजल संसाधनों का प्रबंधन करने में प्रशिक्षण देने के लिए किया जाएगा। 

उल्लेखनीय है कि मारवी योजना मे ऑस्ट्रेलिया इंडिया वॉटर पार्टनरशिप के तहत वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी, विद्या भवन, महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय, सी एस आई आर ओ,आई डब्लू एम् आई, डेवलपमेंट सपोर्ट सेंटर, ऑस्ट्रेलियन काउंसिल फॉर इण्टरनॅशनल एग्रीकल्चर रिसर्च इत्यादि  संस्थाएँ मिल कर कार्य कर रही है।

परियोजना से जुड़े विद्या भवन पॉलिटेक्निक के प्राचार्य डॉ अनिल मेहता ने बताया कि माय वेल एप का प्रयोग आयड नदी बेसिन मे समग्र जल प्रबंधन की इंडिया डेनमार्क शोध योजना मे भी किया जा रहा है।