मुख्यमंत्री की ओल्ड पेंशन बजट घोषणा का मजाक उड़ा रही प्राचार्या
सेवानिवृत्त व्याख्याता को पेंशन लाभ दिलाने की राह में बन रही रोड़ा
व्याख्याता ने दी आमरण अनशन की चेतावनी
उदयपुर। किसी भी राजकीय कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने के बाद वह सरकारी नियमानुसार सरकारी पेंशन पाने का अधिकारी होता है और जिस विभाग से वह सेवानिवृत्त हुआ है उस विभाग द्वारा पेंशन विभाग को पेंशन के सभी जरूरी कागज भेज दिये जाने के बाद उस विभाग की जिम्मेदारी समाप्त हो जाती है लेकिन नाथद्वारा स्थित सेठ मथुरादास बिनानी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. करूणा जोशी अपने ही महाविद्यालय से गत माह सेवानिवृत्त हुए व्याख्याता डॉ. अभिमन्युसिंह चौहान को पेंशन पाने की राह में रोड़ा बनी हुई है।
डॉ. अभिमन्युसिंह चौहान ने उक्त सन्दर्भ में जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस वर्ष के बजट में घोषणा की थी कि राज्य में वर्ष 2004 से चल रही पेंशन योजना को बंद कर पुनः ओल्ड पेंशन योजना लागू होगी। उक्त घोषणा के पश्चात राजस्थान स्वेच्छैया ग्रामीण शिक्षा सेवा {RVRES} के तहत राज्य के विभिन्न महाविद्यालयों से अप्रेल 2022 के बाद 22 प्रोफेसर सेवानिवृत्त हुए थे, जिसमें उक्त महाविद्यालय में से मैं एक था।
उन्होंने बताया कि उक्त महाविद्यालय के राजनीति विज्ञान के व्याख्याता पद से मैं गत 30 नवम्बर को सेवानिवृत्त हुआ हूं और कॉलेज ने मेरी पेंशन शुरू करने के लिये पेंशन संबंधी सभी कागजात पेंशन विभाग को भेज दिये थे लेकिन महाविद्यालय प्राचार्या डॉ. करूणा जोशी ने दुर्भावनावश पेंशन विभाग को पत्र लिखकर मेरी पेंशन प्रक्रिया रूकवा दी। जब पेंशन विभाग के सहायक निदेशक ने कॉलेज की प्राचार्या को पत्र लिखकर इस का कारण पूछा और उन्हें मुख्यमंत्री की बजट घोषणा की अवहेलना न करने एवं राज्य सरकार की मंशा के विपरीत न जाते हुए पेंशन जारी करने के लिये कहा तो उलटा डॉ. करूणा जोशी ने सहायक निदेशक को कॉलेज आयुक्तालय का हवाला देते हुए उन्हें धमकी देते हुए इस सन्दर्भ में हस्तक्षेप नहीं करने को कहा। साथ ही सहायक निदेशक को पत्र के माध्यम से विभिन्न प्रकार की बातें कहते हुए काफी खरी खोटी सुनायी।
डॉ. करूणा जोशी ने पत्र में बताया कि वे आयुक्तालय से प्राप्त होने वाले आदेश को ही मानेगी जबकि कॉलेज द्वारा पेंशन विभाग को सभी कागजात भेज दिये जानें के बाद आयुक्तालय का इस मामलें को लेनादेना नहीं रह जाता है और जानबूझ कर करूणा जोशी मुझे परेशान करने की नीयत से कार्य कर रही है। इससे यह प्रतीत होता है कि वे मुख्यमंत्री की बजट घोषणा को ही नहीं मानती सिर्फ आयुक्तालय के आदेश को सर्वोपरि मानती है। जबकि आयुक्तालय मुख्यमंत्री बजट घोषणा के अधीन ही आता है। राजस्थान स्वेच्छैया ग्रामीण शिक्षा सेवा के तहत हाल ही में सेवानिवृत्त हुए व्याख्याताओं को पेंशन मिलनी प्रारम्भ हो गयी है तो मेरी पेंशन रोकने का कारण समझ में नहीं आ रहा है।
उन्होंने बताया कि मेरी पेंशन को नहीं रोकने का एक अनुरोध पत्र पुनः प्राचार्य डा करुणा जोशी को प्रेषित करूंगा। यदि एक सप्ताह के भीतर उन्होंने सकारात्मक निर्णय नहीं लिया तो मजबूर हो कर मैं सेठ मथुरादास बिनानी राजकीय महाविद्यालय, नाथद्वारा के कैंपस में धरने पर बैठूंगा और फिर हफ्ते भर बाद आमरण अनशन शुरू करूंगा। मैं शांतिपूर्वक गांधीवादी माध्यमों से प्राचार्य को दुर्भावनापूर्व हठ छोड़ने के लिए बाध्य करूंगा। राजकीय नीति की अवहेलना करने से उन्हें रोकने का प्रयास किया जायेगा। उन्होंने बताया कि 2 माह पश्चात स्वयं डॉ.करूणा जोशी सेवानिवृत्त होने वाली है। माननीय उच्च न्यायालय से पत्र के माध्यम से यह भी अनुरोध करूंगा कि मेरे पेंशन प्रकरण को रोक कर मेरे जीवन यापन की सुविधा जानबूझ कर छीनने की कोशिश करने वाली प्राचार्या का पेंशन प्रकरण भी उनकी सेवानिवृत्ति के पश्चात तब तक रोक दिया जाएं, जब तक मुझे पेंशन न मिले।
उल्लेखनीय है कि 1 अगस्त 2011 में प्रदेशभर की अनुदानित संस्थाओं व्याख्याताओं,शिक्षक व तमाम सेट-अप को राज्य सरकार में समायोजन कर लिया गया था। इसके पश्चात प्रदेश में अप्रेल 2022 से सेवानिवृत्त होने वाले कार्मिकों को पुराना पेंशन लाभ मिल रहा है। साथ ही एनपीएस {नेशनल पेंशन सकीम}के तहत कटौती भी बजट घोषणा के बाद बंद कर दी गई। यह भी बताना आवश्यक है कि समायोजन के समय राज्य भर में अनुदानित संस्थाओं से करीब दस हजार कर्मचारियो को राज्य की सेवा में लिया गया। डॉ अभिमन्यु सिंह चौहान ने यह भी बताया कि उनके समान ही कुछ अन्य महाविद्यालयों से सेवानिवृत्त होने वाले व्याख्याताओं को पेंशन मिलना प्रारंभ भी हो चुका है। स्वयं माननीय मुख्यमंत्री ने इस संबंध में एक लाभार्थी डॉ रोजी शाह के वीडियो समेत ट्वीट कर सार्वजनिक जानकारी साझा की थी। डॉ चौहान ने प्राचार्य की हठधर्मिता को उनके राजनीतिक द्वेष और राजकीय आदेशों की अवज्ञा भी बताया । अपने कई संदेशों में सरकार की OPS संबंधी निर्णय को प्राचार्य कांड की संज्ञा भी दे चुकी हैं। डॉ.चौहान इस संबंध में मुख्यमंत्री कार्यालय और उच्च शिक्षा विभाग को भी अवगत करा चुके हैं।