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रेजिडेंट डॉक्टर्स ने काली पट्टी बाँध कर किया राज्य सरकार की बॉन्ड नीति का विरोध

रेजिडेंट्स ने कहा की सरकार की नीतियाँ ना सिर्फ non service बल्कि सेवारत रेजिडेंट डॉक्टर्स के लिए भी दमनकारी है

 

उदयपुर 5 अक्टूबर 2022 । रेजिडेंट डॉक्टर्स ने काली पट्टी बाँध कर राज्य सरकार की यह बॉन्ड नीति का विरोध दर्ज करवाया। रेजिडेंट डॉक्टर्स के अनुसार अत्यंत जल्दी बाजी अपारदर्शिता के साथ एवं अपरिपक्व तरीके से लगाई गई है तथा सरकार द्वारा बॉन्ड नीति की विज्ञप्ति निकाले जाने के बाद भी राजस्थान के सभी मेडिकल कॉलेजों में अभ्यर्थियों का बिना किसी पारदर्शी प्रक्रिया के SR पदों पर नियुक्त हो जाना, भ्रष्टाचार और धांधली को प्रदर्शित करता है। 

उन्होंने बताया की दूसरी तरफ रेजिडेंट्स पर गाई जाने वाली बॉन्ड नीति जिसकी प्रक्रिया इस साल परीक्षा के पूर्व ही शुरू हो जानी चाहिए थी वह अब 6 माह बाद अक्टूबर माह में शुरू की जा रही है। इस मध्य अवधि में सभी रेजिडेंट्स को बिना पूर्व सूचना तथा बंधपत्र की शर्तों के विपरीत दस्तावेज प्रदान नहीं करने एवं सरकार की लेटलतीफी से सभी रेजिडेंट्स को लगभग  5 माह बिना आय के आजीविका के लिए संघर्ष करना पड़ा। यह सरकार की प्रताड़ित करने वाली व दमनकारी नीति को दर्शाता है इसके लिए राज्य सरकार न सिर्फ रेजिडेंट्स को 5 माह का वेतन दें और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर उचित कार्यवाही करें एवं उनके पद से हटाया जाए। 

रेजिडेंट्स ने कहा की सरकार की नीतियाँ ना सिर्फ non service बल्कि सेवारत रेजिडेंट डॉक्टर्स के लिए भी दमनकारी है। In-service रेजिडेंट डॉक्टर्स को भी मेडिकल कॉलेज स्तर पर सीनियर रेजिडेंटशिप  के लिए समान अवसर प्रदान किए जाए जिससे भविष्य में in-service पीजी डॉक्टर्स भी असिस्टेंट प्रोफेसर के पद हेतु समान रूप से योग्य हो पाए।

रेजिडेंट्स की मांग 

जहां एक तरफ राज्य के तकरीबन 5 हजार से अधिक एमबीबीएस डॉक्टर्स चिकित्सा अधिकारी की भर्ती निकालने तथा पद संख्या बढ़ाने के लिए आंदोलनरत है वहीं दूसरी तरफ सरकार उनकी मांगों को दरकिनार करते हुए एवं दमनकारी नीति अपनाते हुए रेज़िडेंटस को उनकी योग्यता एवं संसाधनों की उपलब्धता के विपरीत उन पदों पर कार्य करवाना चाह रही है। 

 वर्तमान परिस्थितियों में इन हजारों डॉक्टर्स की उपलब्धता एवं साथ ही बॉन्ड नीति की विसंगतियों को देखते हुए इस बॉन्ड नीति को तुरंत प्रभाव से रोका जाए तथा इसे लागू करने की संभावनाओं पर पुनर्विचार किया जाए एवं नीति की विसंगतियों को दूर करने एवं बांड की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक कमेटी गठित की जाए जिसमें रेज़िडेंट डॉक्टर्स के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए। 

राज्य सरकार एवं समस्त रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के बीच हुए समझौते (9/12/21) के बिंदु संख्या 3, 5 और 6 को क्रियान्वित करने के संबंध में आज तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। अतः उन बिंदुओं को जल्द से जल्द अमल में लाया जाए। 

सुपर स्पेशलिटी में लैटरल एंट्री बंद होनी चाहिए और जो भी लैटरल एंट्री हुई उसको पुनः उनके मूल डिपार्टमेंट में भेजा जाए और सभी रिक्त पद RPSC द्वारा एक पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से भरे जाए जिससे सभी को समान अवसर प्राप्त हो। 

इन विभिन्न समस्याओं के हल हेतु रेज़िडेंट डॉक्टर्स पिछले कई दिनों से प्रयासरत हैं। काली पट्टी बांधकर संकेतिक विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया जा रहा है। अगर फिर भी सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिए गए तो रेजीडेंट डॉक्टर्स को भविष्य में और सख्त कदम उठाने पड़ सकते हैं।