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उदयपुर नगर निगम - 272 भूखंडो में फर्जीवाड़े का मामला 

मामले को लेकर मनोनीत पार्षद और उपमहापौर हुए आमने सामने

 

उदयपुर नगर निगम को करीब 10 साल पहले यूआईटी से हस्तांतरित 14 कॉलोनियों के साथ मिले 272 भूखंडों में से कई पर फर्जी दस्तावेज तैयार करने का मामला नगर निगम के जी का झंझाल बन गया है। जांच समिति की बुधवार को हुई दूसरी बैठक में मनोनीत पार्षद अजय पोरवाल जाँच समिति की बैठक में पांच भूखंडो के दस्तावेज भी प्रस्तुत किये जिसमे गड़बड़ी हुई है। 

पोरवाल ने इन्हें फर्जी बताते हुए कहा कि अधिकारियों की मिलीभगत के बिना ऐसा संभव नहीं है, जो हकीकत भी सामने नहीं ला रहे। जांच समिति ने आज गुरुवार को इन पांचों भूखंडों का भौतिक सत्यापन भी किया।

जाँच समिति के अध्य्क्ष उप महापौर पारस सिंघवी ने आज प्रेसवार्ता में कहा की जांच पूरी हुए बिना किसी पर आरोप लगाना गलत है। उन्होंने कहा की जाँच में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ बोर्ड की ओर से कार्यवाही की जाएगी।  पारस सिंघवी ने यह भी कहा अजय पोरवाल लगातार 272 भूखंडो के मामले में  सवाल उठा रहे है जो की गलत है। करीब 90% भूखंडो पर नियमानुसार दस्तावेज़ बने हुए है। 

दरअसल, यूआईटी ने निगम को जो 14 कॉलोनियां दी थी, उनमें कई भूखंड खाली थे। ये भूखंड स्वत: निगम के पास आ गए। इन्हीं में से कुछ बेशकीमती जमीनों पर अवैध कब्जों के आरोप हैं।

एक महीने में दूसरी बार हुई जांच समिति की बैठक में मनोनीत पार्षद पोरवाल ने कहा कि सेक्टर-11 में प्लाॅट नंबर 746, 747, 748 हैं। हर प्लाट 5400 स्क्वायर फीट का है। जब कॉलोनी हस्तांतरित की गई थी, तब यूआईटी की पत्रावली में ये तीनों प्लाट इंडियन ऑयल के नाम से निरस्त बताए गए थे। फिर इनकी रजिस्ट्रार कार्यालय में रजिस्ट्री कैसे हुई। इन दस्तावेजों की एजिंग (बनने के समय की जांच) निकलवाई जाए। 

पोरवाल ने बताया यूआईटी ने जो प्लाट बेचे, उनका उल्लेख पत्रावली में था, लेकिन खाली प्लॉट का जिक्र नहीं था। सेक्टर-8 में एक नंबर प्लाट का पत्रावली में उल्लेख नहीं है। यह प्लाट यूआईटी ने नहीं बेचा, लेकिन निगम ने इसका नामांतरण कर दिया। सेक्टर-4 की एक दुकान का के फिजिकल वैरिफिकेशन की मांग की थी, लेकिन एक माह बाद भी यह काम नहीं हुआ।