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उदयपुर में यूनियन ऑफ इंडिया एडवोकेट्स कॉन्फ्रेंस-  अदालतें डिजिटल किए जाने पर ज़ोर

केन्द्रीय विधि राज्य मंत्री किरण रिजीजू का संबोधन 

 

उदयपुर 17 सितंबर 2022 । यूनियन ऑफ इंडिया काउंसिल वेस्ट जोन की ओर से केन्द्र सरकार के दो दिवसीय कॉन्फ्रेस का आयोजन इन्द्र रेजीडेंसी, उदयपुर रिसोर्ट में हुआ आयोजन।  

कांफ्रेंस में इमर्जिंग लीगल इश्यूज पर हो चर्चा में केन्द्रीय विधि राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने मौजूद न्यायाधीश व कानून के जानकारों को संबोधित किया, कॉन्फ्रेस में राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा और मध्यप्रदेश के 300 से ज्यादा केन्द्र सरकार की सभी एजेंसियो और विभागों के गर्वमेंट काउंसिल मौजूद रहें। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अजय रस्तोगी उद्घाटन सत्र में मौजूद रहे। 

विधि राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने बताया कि कांफ्रेंस के पहले दिन कानून में आने वाली कुछ तकलीफ पर चर्चा होगी। कुछ मुद्दों पर चर्चा की है जिसमें वेस्ट जोन के सभी न्यायाधीश भी मौजूद रहे इस तरह की कॉन्फ्रेंस में जो मुद्दे सामने रखे जाते हैं उससे जनता को भी यह पता चलता है कि कानून मंत्री और सरकार क्या सोचती है और यह भी बात स्पष्ट हो जाएगी की कानून मंत्री ने अपनी बात सामने रखी है और कांफ्रेंस में मौजूद न्यायाधीश व विभिन्न विभागों के लीगल ऑफिसरों की बात भी सुनी है। 

रिजिजू ने कहा कि उदयपुर में इस कॉन्फ्रेंस कॉल आयोजित करने का मकसद ही यही है कि राजस्थान हाईकोर्ट में अभी कुछ जजों की नियुक्ति होनी है जो कि अभी पेंडिंग है लेकिन यह पेंडेंसी लॉ मिनिस्टर की वजह से नहीं बल्कि जो व्यवस्था बनाई गई है उन व्यवस्थाओं के चलते पेंडिंग है। इसीलिए मैंने इस मुद्दे को भी कॉन्फ्रेंस में रखा है इस कांफ्रेंस का मकसद यह है कि लोगों को जल्द से जल्द न्याय कैसे दिला सके। इस बात को लेकर सभी एजेंसीज जुडिशरी लॉ ऑफिसर तालमेल करके आम आदमी को न्याय तुरंत मिले और कोई भी केस लंबित ना रहे इसका तरीका निकालने का प्रयास करेंगे। यही हमारी प्राथमिकता है। 

किरण रिजिजू ने देश में अदालतें डिजिटल किए जाने पर ज़ोर देने तथा देश के सभी हाईकोर्ट में एडिशन सोलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया लगाये जाएंगे, ताकि भारत सरकार के मामलों की प्रभावी पैरवी हो सके। हाईकोर्ट और लोअर कोर्ट का आधारभूत सुविधाएँ बढ़ाने के लिए सरकार प्रभावी कदम उठाएगी।  

उन्होंने कहा की न्यायिक सिस्टम को रिलुक करने का समय आ गया है। कोलेजियम सिस्टम पर भी विचार करने पर ज़रूरत है ताकि जल्दी नियुक्तियाँ तेज़ी से हो सके।  उन्होंने कहा की भारत की न्यायपालिका स्वतंत्र है लेकिन सोश्यल मीडिया में न्यायपालिका की छवि पर विपरीत और ग़लत टिप्पणी करने वालों के खिलाफ कार्यवाही होगी।  इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के सीजे ने भी चिंता जताई है।