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उदयपुर में मिट्टी व फाईबर से निर्मित 65 संतों की मूर्तियों का म्यूजियम शुरू

पर्यटन क्षेत्र में शहर एक कदम और बढ़ा

 

उदयपुर 27 सितम्बर। प्रताप सेलिब्रिटी वेक्स म्यूजियम की ओर से गुलाबबाग स्थित समोर बाग में मिट्टी व फाईबर से निर्मित किये गये 65 संतो की मूर्तियों के साथ शहर में संत म्यूजियम की आज से शुरूआत हुई। इसके साथ ही पर्यटन क्षेत्र में शहर एक कदम और आगे बढ़ा है।
 

म्यूजियम का उद्घाटन आज मुख्य अतिथि सत्येन्द्र साहू, विशिष्ठ अतिथि चितलवाना के प्रधान हिन्दुसिंह चौहान,पार्षद अरूण टांक, पुलिस उपाधीक्षक अनिल सारण, पुलिस उपाधीक्षक जितेन्द्र सिंह राठौड़, श्रम आयुक्त संकेत मोदी, चितलवाना के पंचायत समिति सदस्य सुरेन्द्र विश्नोई, चितलवाना के विद्यालय के प्राचार्य भारू मंजू ने फीता काटकर म्यूजियम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर सत्येन्द्र साहू ने कहा कि संतो का म्यूजियम निर्माण करने से युवा पीढ़ी को उनके दिखायें मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। हमें अपनी संस्कृति व सभ्यता को बचानें के लिये हमें संतों का सहारा लेना चाहिये।

म्यूजियम के निदेशक प्रताप विश्नेाई ने बताया कि विश्व में हॉलीवुड व बॉलीवुड के स्टेच्यू सभी जगह उपलब्ध है लेकिन संतों के स्टेच्यू कहीं देखनें को नहीं मिलते है। यहां पर बच्चों के मनोरंजन के वी आर गेमिंग के साधन भी उपलब्ध है। प्रत्येक स्टेच्यू को इस प्रकार से बनाया गया है कि वह स्वतः ही अपनी जीवनी बोलता है। टूरिज़्म क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये इस प्रकार के म्यूजियम की आवश्यकता थी। शहर में इससे पूर्व दैत्य मगरी में एक वेक्स म्यूजियम का संचालन पूर्व में ही किया जा रहा है। यहां पर 65 सतों की मूर्तियां स्थापित की गई है जिसमें से मेवाड़ से मींराबाई को शामिल किया गया है।

 

    निदेशक प्रताप विश्नोई ने बताया कि पूरे म्यूजियम को देखने में लगभग एक घण्टे का समय लगता है। सभी संतों के बारें में जानकारी देने हेतु गाईड उपलब्ध रहेगा। शहर में इसके अलावा तीन अगल-अलग क्षेत्रों में और वेक्स म्यूजियम का निर्माण किया जायेगा। प्रताप सेलिब्रिटी वेक्स म्यूजियम देश में 14 स्थानों पर म्यूजियम का संचालन किया जा रहा है। 

आर्किटेक्ट कमलेश शर्मा ने बताया कि आज तक हमनें भले ही भारत के संतो के इतिहास व विरासत के बारें में बताया है लेकिन 10 हजार वर्गफीट के इस म्यूजियम का एलीवेशन पूर्णतया आधुनिक तरीके से किया गया है ताकि भारतीय संस्कृति  को कहीं न कहीं वैश्विक स्तर पर दर्शाया जा सकें।