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विश्व ह्रदय दिवस विशेष - मेरे 'दिल' की सच्ची कहानी

आईसीयू में पहुंचते ही मुझे दूसरा हार्ट अटैक आया उसमें मेरी ह्रदय गति एक बार  रुक गई

 

वर्ष 2015 दिनांक 30 जुलाई रात्रि 12:30 बजे अनायास  मेरे सीने में तेज दर्द उठा शरीर पूरा पसीने से तरबतर हो गया बाएं हाथ में दर्द का एहसास हुआ और बहुत बेचैनी महसूस करने लगा।हिम्मत कर धीरे से उठा लाइट जलाई और पत्नी को जगाया। पत्नी ने तुरंत पास कमरे में सो रहे बेटे को जगा दिया। जैसे ही मेरे पिताजी को पता चला उन्होंने तुरंत अपने तकिए के नीचे रखी आइसोड्रील की गोली मेरे जीभ के नीचे रख दी जिससे मैं अस्पताल तक पहुंचने की शक्ति जुटा पाया। अस्पताल पहुंचते ही तुरंत ईसीजी किया गया डॉक्टर ने ईसीजी देखते ही कह दिया कि यह हार्ट अटेक है। मुझे आईसीयू में पहुंचाने का निर्देश दिया। अब तक मैं पूरे होश में था तथा सारा वार्तालाप सुन रहा था। आईसीयू में पहुंचने के बाद क्या हुआ मुझे नहीं पता। आईसीयू में जो कुछ परिजनों से सुना वह आपको बताता हूं।
 

आईसीयू में पहुंचते ही मुझे दूसरा हार्ट अटैक आया उसमें मेरी ह्रदय गति एक बार  रुक गई। पल्स मॉनिटर पर सीधी लाइन देखते ही एक रेज़िडेंट डॉक्टर तथा एक नर्स जो पैर से विकलांग थी अपनी पूरी शक्ति लगाकर मेरे बेड की तरफ भागे। क्षण भर में मुझे सीपीआर तथा इलेक्ट्रिक शॉक दिए गए। बिना हिम्मत हारे उन्होंने अपना प्रयास जारी रखा। कुछ मिनट में ही उन्होंने चमत्कार देखा। मेरी देह एक झटके के साथ उछली और डॉक्टरों ने देखा कि पल्स  मोनिटर पर धड़कन  नजर आने लगी है। देवता स्वरूप डॉक्टर के चेहरे पर किसी की जिंदगी बचाने की सफलता की खुशी स्पष्ट नजर आ रही थी।
 

इसके पश्चात कई इंजेक्शन दिए गए। धीरे धीरे मेरी पल्स सामान्य होने लगी थी। मुझे लगा जैसे किसी गहरी नींद से उठा हूं। नींद खुलते ही  मुझे एहसास हुआ कि मेरे मुंह में कुछ भरा है। मैंने मुंह में उंगली डाली तो देखा कि मुंह में खून ही खून हो रहा है। मेरे पास खड़े बेटे ने डॉक्टर को सूचित किया डॉक्टर भी एक बार तो स्तब्ध रह गए। जांच करने पर ज्ञात हुआ कि जब झटके के साथ धड़कन पुनः चालू हुई थी तब जीभ दांतों के बीच आने से कट गई। जीभ पर टांके लगा कर रक्त स्राव रोका गया। डॉक्टर टीम ने जिस तरह से पूरे मनोयोग से मेरे जीवन को बचाया वह अविस्मरणीय है। मुझे एक नया जीवन जीने को मिला।
 

तीन चार दिन मेरे स्वास्थ्य को स्थिर होने दिया उसके बाद अहमदाबाद में एंजियोग्राफी करवाई तो पता चला कि तीन मुख्य धमनियों  में 90% से ज्यादा ब्लॉक है। घर के सभी सदस्यों ने डॉक्टर के साथ चर्चा कर निर्णय लिया की बाईपास करवाया जाए।साल हॉस्पिटल के कुशल डॉक्टर डॉ अनिल जैन द्वारा बाईपास सर्जरी की गई। आज नियमित  दवाइयां के साथ स्वस्थ जीवन यापन कर रहा हूं और इस बोनस जिंदगी को ज्यादा से ज्यादा सेवा हेतु समर्पित करने का प्रयास कर रहा हूं। सभी को यही संदेश देना चाहूंगा कि ऐसी कोई स्थिति महसूस हो कि किसी को हृदय संबंधी समस्या हो रही है तो देर किए बिना अस्पताल पहुंचाया जाना चाहिए तथा सीपीआर जरूरत पड़े तो घर पर भी दिया जा सकता है।सीपीआर से सभी को प्रशिक्षित होना चाहिए। सात्विक भोजन व्यायामघी- तेल का न्यून प्रयोग व तनाव से दूर रह कर हृदय संबंधी समस्या से बचा जा सकता है।