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बिन माँ के बच्चे को मिला जीवनदान

कोरोना काल में जान गंवाने वाली योगिता कुंवर के पुत्र गर्व को 61 दिन के संघर्ष के मिली नई ज़िंदगी

 

डॉ अनूप पालीवाल, डॉ धीरज दिवाकर और मीडिया ग्रुप और समाजजनो का रहा विशेष सहयोग 

उदयपुर । कोरोना की दूसरी लहर में ईएसआईसी हॉस्पिटल में सीज़ेरियन प्रसव द्वारा एक महिला अपरिपक्व बच्चे को जन्म देकर चल बसी थी। इस दौरान सरकारी और कई निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने अपरिपक्व बच्चे की जान बचाने से पल्ला झाड़ लिया था। लेकिन कहते है 'जाको राखे सांईया मार सके न कोई', तो कुदरत को कुछ और ही मंज़ूर था। 

दरअसल उदयपुर के राजेश सिंह राठौड़ की पत्नी योगिता कुंवर की गर्भावस्था में मृत्यु हो गई, मृत्यु के समय योगिता कुंवर ने एक अपरिपक्व बच्चे को जन्म दिया, नवजात चूँकि अपरिपक्व और प्री मेच्योर था तो डॉक्टरों ने कह दिया कि इसका बचना मुश्किल है। परेशान राजेश सिंह ने अपनी पत्नी को वादा किया था कि वह बच्चे नहीं मरने देंगे, और उनका यही विश्वास इस पूरे घटनाक्रम में उनकी हिम्मत का स्त्रोत रहा। 

ऐसी विकट परिस्थिति में बच्चे को रेडिएंट चिल्ड्रन हॉस्पिटल नामक निजी चिकित्सालय में भर्ती करवाया गया जहाँ पर डॉ धीरज दिवाकर और डॉ अनूप पालीवाल की टीम ने 61 दिन बाद बच्चे को नया जीवनदान दिया। रेडिएंट हॉस्पिटल के डॉ अनूप पालीवाल ने बताया कि “जब सबसे पहले बच्चे को एडमिट किया गया तो उसी हालात बहुत नाज़ुक थी, इन्फेक्शन पूरे शरीर में फेल गया था, सांस लेने में दिक्कत थी और क्यूंकि बेबी प्री मेच्युर था तो कमजोरी भी थी।  हमने हमारा श्रेष्ठ देने की कोशिश की, ज़िन्दगी और मौत भगवान् के हाथ में है, हमें ख़ुशी है कि बच्चा अब पूरी तरह सवस्थ है” 

राजेश के इस मिशन में शहर के विभिन्न समाजजनो, भामाशाहो और उदयपुर न्यूज़ के संस्थापक और एडिटर मनु राव का विशेष सहयोग रहा जिन्होंने अपने मीडिया के ज़रिये और व्यक्तिगत तौर पर भी इस मिशन को कामयाब बनाया। साथ ही शहर के कई भामाशाह हुसैन मशरकी, हितेश कुमावत और ब्राह्मण समाज, कुमावत समाज, छापरवाल दर्जी समाज, सुथार समाज ,वैष्णव समाज, जैन समाज, राजपूत समाज, सिंधी समाज एवं बजरंग सेना मेवाड़ के सहयोग से एक नवजात को नई ज़िन्दगी मिल सकी

गत सोमवार को बच्चे को डिस्चार्ज किया गया। इस अवसर पर अस्पताल के डॉक्टर, स्टाफ एवं  सभी जिन्होंने गर्वराज को बचाने में योगदान दिया था उनके सम्मान में एक छोटा सा कार्यक्रम किया गया।  इस मिशन के सभी सहयोगियों को उपरना, पगड़ी एवं तस्वीर भेट कर सम्मान किया गया।