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बिल बनाने के नाम पर निजी अस्पताल में मरीज़ को रोके रखने का आरोप

शोभागपुरा स्थित निजी अस्पताल पारस हेल्थ केयर पर लगा आरोप 

 

उदयपुर ने इन दिनों मरीज़ो को बिल बनाने के नाम पर जबरन हॉस्पिटल में रोक कर रखने के मामले अक्सर सामने आने लगे गई। जबकि ऐसे ही एक मामले में एक निजी अस्पताल श्री वेदांता हॉस्पिटल को सीएमएचओ के आदेश पर सीज़ किया जा चूका है। लेकिन फिर भी ऐसे मामलो के कमी नहीं आ रही है।  

ऐसा ही एक कथित मामला उदयपुर के शोभागपुरा स्थित पारस हेल्थ केयर में सामने आया जहाँ इलाज करवाने पहुंची एक सरकारी महिला डॉक्टर और उसके परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन पर बिना वजह ही अस्पताल में भर्ती करने और सर्वर डाउन होने के नाम पर दिन भर रोके रखा और वहां जाने नहीं दिया ताकि अस्पताल के बिल में इज़ाफ़ा हो सके।  

दरअसल शहर के नीमच माता स्थित सरकारी स्वस्थ्य केंद्र में कार्यरत 45 वर्षीया डॉ नीता रौत दो दिन पूर्व अपनी किसी समस्या को लेकर अपने पति दिनेश मण्डावत के साथ कथित अस्पताल गई थी। जहाँ डॉक्टर्स ने सभी जांचे करने के बाद उनके शरीर में गांठ होने के चलते ऑपरेशन करने की बात कह कर अस्पताल में भर्ती होने को कहा।

जिस पर डॉ नीता अपने पति के साथ सोमवार सुबह पांच बजे पारस हेल्थ केयर पहुंची थी। सुबह निर्धारित समय पर आने के बाद डॉक्टर ने उन्हें ऑपरेशन नहीं किये जाने की बात कही। 

डॉ नीता के पति दिनेश का आरोप है कि सुबह 11 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक उन्हें बिना वजह हॉस्पिटल में बिठा कर रखा गया और जबरन उनको भर्ती भी कर लिया गया। और इतने घंटो के बाद हॉस्पिटल से जाने की बात कही तो वहां मौजूद नर्सिंग स्टाफ ने सर्वर डाउन होने की वजह से डिस्चार्ज नहीं करने की बात कही. जब उन्होंने अस्पताल रिसेप्शन पर पता किया तो रिसेप्शन स्टाफ ने सर्वर डाउन होने जैसी किसी बात से इंकार कर दिया। 

इस बात से नाराज़ होकर उन्होंने अस्पताल प्रशासन पर बिल में इज़ाफ़ा करने के आरोप लगाते हुए नाराज़गी ज़ाहिर की तो अस्पताल के सीनियर डॉक्टर्स वहां पहुंचे और आखिरकार उन्हें अस्पताल से छुट्टी देनी पड़ी।  हालाँकि इस पूरे घटना में महिला डॉक्टर के पति और परिजनों द्वारा अस्प्तालप्रशासन पर आरोप लगे गए है लेकिन अगर इस तरह की घटना वाकई में ही एक सरकारी डॉक्टर के साथ हो सकती है तो आम इंसान के साथ किस तरह का व्यवहार किया जाता होगा यह एक सोचने का विषय है।