आयड़ नदी में स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा एन जी टी आदेशों की अवेहलना का आरोप
झील प्रेमिया ने कहा नदी पेटे को छोटा कर मूल प्रवाह को किया जा रहा है बाधित
उदयपुर। झील प्रेमियों ने स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा नदी चौड़ाई को कम करने को एन जी टी न्यायालय के निर्णयों की अवेहलना बताया है। झील प्रेमी डॉ अनिल मेहता, तेज शंकर पालीवाल, नंद किशोर शर्मा, द्रुपद सिंह, रमेश चंद्र इत्यादि ने जिला कलेक्टर को आग्रह किया है कि वो नदी के मूल बहाव क्षेत्र में बनाई गई साईड दीवारों तथा भराव भर कर बनाई गई सरंचनाओं को हटवाएं। जिला कलेक्टर को तुरंत नदी की फ्लड जोन मार्किंग करवानी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि एन जी टी में झील संरक्षण समिति के जरिये सचिव डॉ तेज़ राज़दान द्वारा प्रस्तुत याचिका पर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने न्यायालय को भरोसा दिलाया था कि नदी के मूल प्रवाह को बाधित नही किया जाएगा।
जबकि, शनिवार को जब विधायक ताराचंद जैन द्वारा निरीक्षण के दौरान आयड़ यूनिवर्सिटी पुल क्षेत्र में नदी के दोनों मूल किनारों को नदी पेटे में खिसका कर पेटे में साइड दीवार व गार्डन इत्यादि बनाया होना पाया गया था।
स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने न्यायालय के समक्ष यह भी वादा किया था कि बीच मे बनाई जा रही चेनल की दीवारों तथा कुछ स्थानों पर छोटी टो वाल के अलावा कहीं भी आर सी सी का प्रयोग नही होगा। पूरे नदी पेटे में कंही भी कंक्रीटीकरण नहीं किया जाएगा। जो भी कार्य होंगे वे नदी प्रवाह की दिशा में होंगे। परियोजना क्रियान्वयन में किसी भी तरह से नदी में बरसाती जल प्रवाह की मात्रा या दिशा को प्रभावित नहीं किया जाएगा।
झील प्रेमियों ने कहा कि न्यायालय में प्रस्तुत लिखित वादे के बावजूद स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा नदी के मूल प्रवाह मार्ग को कम करने सहित नदी प्रवाह को बाधित करने वाले सीमेंट के कार्य करवाये जा रहे है।
झील प्रेमियों ने अंदेशा जताया है कि जब नदी में पूर्ण बरसाती प्रवाह होगा तब आने वाली गाद, मिट्टी, कंकड़, पत्थर, गंदगी के चेनल व पेट में जमने उनकी लुढ़कन, रगड़ से स्मार्ट सिटी लिमिटेड के 75 करोड़ के यह कार्य क्षति ग्रस्त हो सकते हैं। यहीं नहीं, नदी पेटे में भरा जा रहा मिट्टी भराव भी बह कर उदयसागर को उथला करेगा।
नदी निरीक्षण से पूर्व श्रमदान कर झील प्रेमियों ने झील से गंदगी को हटाया।