Bhilwara-26 जुलाई 2024 की प्रमुख खबरे
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News-अवैध कोयला भट्टियों को लेकर जिला प्रशासन सख्त
उपखंड क्षेत्र करेड़ा में 6 कोयला भट्टियां धराशाही
भीलवाड़ा, 26 जुलाई। उपखण्ड क्षेत्र करेड़ा के ग्राम रामपुरिया, ग्राम पंचायत नारेली में शुक्रवार को 6 अवैध कोयला भट्टियों को प्रशासन द्वारा ध्वस्त किया गया।
उपखंड अधिकारी बंशीधर योगी ने बताया कि गुरुवार को जिला कलक्टर नमित मेहता द्वारा कलेक्ट्रेट में आयोजित राजस्व अधिकारियों की बैठक में बिलानाम भूमि पर संचालित अवैध कोयला भट्टियों पर कार्यवाही कर उन्हें ध्वस्त करने के निर्देश प्रदान किए गए। जिसकी अनुपालना में शुक्रवार को उपखण्ड क्षेत्र करेड़ा के ग्राम रामपुरिया, ग्राम पंचायत नारेली में 6 अवैध कोयला भट्टियां जो बिलानाम भूमि पर संचालित हो रही थी पर कार्यवाही करते हुए जे.सी.बी. की सहायता से ध्वस्त किया गया। उपखंड अधिकारी ने बताया कि उपखण्ड क्षेत्र करेड़ा में बिलानाम भूमि पर संचालित एवं अन्य अवैध कोयला भट्टियों पर भी आगे लगातार कार्रवाई की जाएगी।
News-बच्चों के पोषण के लिए स्तनपान हर नवजात के लिए अमृततुल्य
जिले में विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन 1 से 7 अगस्त तक
भीलवाडा, 26 जुलाई। प्रदेश में शिशुओं के स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए स्तनपान के संरक्षण, प्रचार व समर्थन करने के लिए इस वर्ष की थीम "Closing the gap: Breast-feeding support for all'' तथा MoHFW भारत सरकार द्वारा प्रसव केन्द्रों पर बच्चे के जन्म के पश्चात शीघ्र स्तनपान एवं नई माताओं को सहायता प्रदान करने पर ध्यान केन्द्रित करते हुए जिले में विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन 1 अगस्त से किया जायेगा। स्तनपान हर नवजात के लिए अमृततुल्य होता है। मां का दूध बच्चे के लिए संपूर्ण व सर्वोत्तम आहार माना जाता है, इसमें बच्चे के पोषण के लिए आवश्यक सभी चीजें इसमें समाहित होती हैं। यही कारण है कि सभी माताओं को, अपने नवजात को प्रथम 6 माह के लिए स्तनपान कराने की सलाह दी जाती है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. चेतेन्द्र पुरी गोस्वामी ने बताया कि 1 से 7 अगस्त तक मनाये जाने वाले विश्व स्तनपान सप्ताह स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए सक्षम वातावरण को बढावा देने, बाल मृत्युदर को कम करने, पोषण में सुधार व शिशु के विकास को बढाने में स्तनपान की भूमिका पर जोर देने के लिए यह एक महत्वपूर्ण मंच है। जिले में स्तनपान से होने वाले लाभ को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए जिला व ब्लॉक स्तर, सीएचसी, पीएचसी, सब सेन्टर व ग्राम स्तर तक अगस्त माह के पहले सप्ताह (1-7 अगस्त) को विश्व स्तनपान सप्ताह के रूप में मनाया जा रहा है। सप्ताह के दौरान जिले में सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के हितधारकों की क्षमतावर्धन और भागीदारी सुनिश्चित कर प्रथम 6 माह के लिए केवल स्तनपान और कम से कम 2 वर्षा तक स्तनपान जारी रखने के महत्व पर जागरूकता पैदा की जायेगी।
सीएमएचओ डॉ0 गोस्वामी ने बताया कि सप्ताह के दौरान सामान्य व सिजेरियन सेक्शन से दोनो हीं प्रसवों की स्थितियों में जन्म के एक घण्टे के भीतर स्तनपान की शुरूआत सुनिश्चित करने पर ध्यान दिया जायेगा। नवजात शिशु के लिए पीला गाढ़ा चिपचिपायुक्त मां के स्तन का दूध कोलेस्ट्रम संपूर्ण आहार होता है, जिसे बच्चे के जन्म के तुरंत बाद एक घंटे के भीतर ही शुरू कर देना चाहिए सामान्यता बच्चे को 6 महीने की अवस्था तक स्तनपान करवाया जाना चाहिए। शिशु को छह महीने की अवस्था और 2 वर्ष अथवा उससे अधिक समय तक स्तनपान कराने के साथ-साथ पौष्टिक पूरक आहार भी देना चाहिए। उन्होंने बताया कि माँ का दूध बच्चे के लिए अनमोल उपहार है। नवजात शिशु और बच्चे को सुरक्षा और स्नेह तथा पर्याप्त पोषण की आवश्यकता होती है। इन सभी आवश्यकताओं को स्तनपान पूरा करता है। मां का दूध, बच्चे के सम्पूर्ण विकास हेतु पोषण का सबसे अच्छा स्रोत है तथा बच्चे को छह महीने की अवस्था तक मां के दूध के अलावा अन्य कोई वैकल्पिक आहार नहीं दिया जाना चाहिए।
बच्चे के लिए स्तनपान के लाभ
1. बच्चे को स्तनपान/माँ के दूध से प्रोटीन, वसा, कैलोरी, लैक्टोज, विटामिन, लोहा, खनिज, पानी और आवश्यक एंजाइम पर्याप्त मात्रा में प्राप्त होते है।
2. बच्चों को स्तन का दूध जल्दी और आसानी से पचता हैं।
3. मॉं का दूध बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है, जो कि बच्चे को भविष्य में कई प्रकार के संक्रमणों से भी बचाता हैं।
4. यह बच्चे के मस्तिष्क के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है।
5. यह मितव्ययी और संक्रमण से मुक्त होता हैं।
6. स्तनपान बच्चे और मां के बीच भावनात्मक संबंध को बढ़ाता है।
माँ के लिए स्तनपान के लाभ
1. यह स्तन और डिम्बग्रंथि के कैंसर होने की संभावना को कम करता है।
2. यह प्रसव से पहले खून बहना और एनीमिया की संभावना को कम करता है।
3. यह माँ को अपनी पुरानी शारीरिक संरचना प्राप्त करने में सहायता करता हैं। स्तनपान कराने वाली माताओं के बीच मोटापा सामान्यत कम पाया जाता है।