बर्ड विलेज मेनार तालाब वेटलैंड घोषित
राज्य सरकार ने राज्य के 44 वेटलैंड के लिए अंतिम अधिसूचना जारी कर दी है
राज्य सरकार ने राज्य के 44 वेटलैंड के लिए अंतिम अधिसूचना जारी कर दी है। इसमें उदयपुर जिले के बर्ड विलेज मेनार के नाम पर भी मुहर लग गई है। अधिसूचना के आदेश अब वन विभाग को मिल गए हैं। इसके साथ ही विभाग अब मेनार वेटलैंड के संरक्षण पर काम करेगा। इसके लिए सबसे पहले इसका मैनेजमेंट प्लान बनाएगा।
उदयपुर जिले के वल्लभनगर तहसील में आने वाले मेनार गांव के वेटलैंड को अधिसूचना में मेनार तालाब वेटलैंड कॉम्प्लेक्स नाम दिया गया है। पहले इसको अधिसूचित कर दिया था और अब अंतिम अधिसूचना जारी कर दी गई है, जिससे आर्द्रभूमि और उसके बफर की सीमा के साथ-साथ इस क्षेत्र में निषिद्ध और विनियमित गतिविधियों निर्धारित कर दिया गया है।
मेनार गांव में ब्रह्म तालाब और ढंड तालाब स्थित है और इनको मिलाकर ही मेनार तालाब वेटलैंड कॉम्प्लेक्स बनाया गया है। इसमें ढंड-ब्राह्म वेटलैंड कॉम्प्लेक्स का कुल क्षेत्रफल 132 हेक्टेयर है। इसमें 80 ढंड और 52 हेक्टेयर ब्राह्म तालाब का है। पिछले सप्ताह बातचीत में डीएफओ सुपांग शशी ने बताया कि अब वन विभाग मैनेजमेंट प्लान बनाएगा ताकि इस वेटलैंड के संरक्षण पर काम हो सकेगा।
इन पर रहेगी पाबंदियां
- किसी भी प्रकार अतिक्रमण नहीं हो सकेगा
- अवैध शिकार
- ठोस, खतरनाक व ई- अपशिष्ट पदार्थों के संग्रहण एवं निष्कासन
- मछलियों एवं माइग्रेटरी पक्षियों को पर्यटकों की और से खाद्य पदार्थ देने पर
- 50 मीटर के भीतर नाव घाटों को छोड़कर कोई भी स्थायी प्रकृति का निर्माण
- वाणिज्यिक खनन, पत्थर उत्खनन और क्रशिंग इकाइयां
- जल निकाय का क्षेत्रफल/क्षमता कम करना
- नया उद्योग स्थापित करने पर
- मौजूदा उद्योगों के विस्तार पर
- जनता द्वारा मछलियों और प्रवासी पक्षियों को खाना खिलाना
इन पर रोक नहीं
- गाद निकालना
- अस्थायी संरचनाओं का निर्माण
ग्रामीणों का अहम रोल रहा
देशी विदेशी परिदों के आश्रयस्थल के रूप में विश्व विख्यात मेनार गांव के ग्रामीणों ने नाम दिलाया है। उनकी वजह से इस गांव ने बर्ड विलेज के रूप में आज नाम कमाया है। मेनार के जलाशयों पर पक्षी दर्शन के लिए आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ने के बाद वहां परिंदो की अठखेलियों में किसी प्रकार का खलल ना पड़े इस कारण कई बातों का ध्यान रखते है। तालाब पेटे में किसी तरह की बुवाई नहीं की जाती है। साथ ही गांव के दोनों जलाशयों का पानी किसी भी माध्यम से सिंचाई के लिए उपयोग नहीं लिया जाता है।