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GMCH में 75 वर्षीय वृद्ध महिला की देहदान 

अंतिम इच्छा को पुत्र ने किया पूरा

 

उदयपुर। गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर में सेक्टर-14 निवासी स्वर्गीय श्रीमती ललिता पुरी गत 8 वर्षों से लीवर व हार्ट की बीमारी से झूझ रही थी, अभी हाल ही उनका देहान्त हो गया। उनके पुत्र श्री विकास पुरी ने बताया कि पिछले 5 वर्षों से जब भी उनकी माता जी की तबियत ज्यादा खराब होती और हॉस्पिटल ले जाना पड़ता था तब हमेशा उन्होंने यही कहा कि उनके देहांत के पश्चात् उनके पार्थिव शरीर का देहदान कर दिया जाए और यही उनकी अंतिम इच्छा भी थी। 

उनकी 75 वर्षीय माता जी का मानना था कि जीते जी तो सब काम आ जाते हैं परन्तु यदि मरने के बाद भी देह काम आ सके और जिससे भावी डॉक्टर्स अनुसन्धान कर सकें और समाज को अच्छे डॉक्टर मिले इसके लिए ये सोच रखना बहुत आवश्यक है और हमारी ज़िम्मेदारी भी।   

एनाटोमी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रकाश के.जी ने जानकारी देते हुए बताया कि स्वर्गीय श्रीमती ललिता पुरी ने देहदान की इच्छा को उनके पुत्र द्वारा पूरा किया गया। समाज में इस जागरूकता का आना बहुत आवश्यक है। 

देहदान प्रक्रिया के समय जीएमसीएच डीन डॉ डी.सी. कुमावत, एडिशनल प्रिंसिपल डॉ मनजिंदर कौर, फार्माकोलॉजी प्रोफेसर डॉ अरविन्द यादव, एनाटोमी विभाग में डॉ मोनाली सोनवाने, डॉ चारू, डॉ हिना शर्मा, डॉ सानिया के, डॉ शोभित श्रीवास्तव, एमबीबीएस प्रथम वर्ष के विद्यार्थी, गीतांजली यूनिवर्सिटी के फैकल्टी व देहदान दाता का परिवार मौजूद रहे। 

देहदान हेतु दो और रजिस्ट्रेशन उदयपुर निवासी इन्द्र लाल पोरवाल व उनकी पत्नी श्रीमती मंजू पोरवाल का किया गया, उनके द्वारा संकल्प पत्र भरा गया और उन्हें डोनर कार्ड भी प्रदान किया किया गया। हाल ही में 74 वर्षीय शंकर लाल कुमावत व उनकी धर्मपत्नी 67 वर्षीय श्रीमती उषा कुमावत ने भी देहदान हेतु संकल्प पत्र भरा था। 

जीएमसीएच के सीईओ प्रतीम तम्बोली ने गीतांजली हॉस्पिटल के समस्त सदस्यों की ओर से स्वर्गीय श्रीमती ललिता पुरी को विनम्र श्रद्धांजलि दी व उनके परिवार को उनकी अंतिम इच्छा पूरी करने हेतु शत-शत नमन किया और साथ ही पोरवाल दंपत्ति के संकल्प पत्र भरने के हौंसले को सराहा। 

इन सवालों को समझे देह दान कैसे कर सकते हैं और जरूरी क्यों है?

देह दान क्यों करना चाहिए?

विज्ञान की प्रगति के लिए मृत्यु पश्चात अपना शरीर दान करना एक अनूठा और अमूल्य उपहार है दान किए गए शरीर का उपयोग भविष्य के डॉक्टरों और नर्सों को पढ़ाने प्रशिक्षण देने सर्जन को प्रशिक्षित करने व वैज्ञानिक अनुसंधान करने के लिए किया जाता है। 

देह दान कौन कर सकता है?

कोई भी भारतीय नागरिक जो 18 वर्ष से अधिक आयु का है और कानूनी रूप से वैध सहमति देने योग्य है वह शरीर रचना में भाग एनाटॉमी जीएमसीएच उदयपुर में एक संपूर्ण शरीर दाता के रूप में पंजीकृत करा सकता है। यदि पंजीकृत ना हो तब भी मृतक के शरीर पर कानूनी अधिकार रखने वाले परिजन अभिभावक मृतक का शरीर दान कर सकते हैं। 

अधिक जानकारी हेतु किससे संपर्क कर सकते हैं?

अधिक जानकारी हेतु गीतांजलि मेडिकल कॉलेज के शरीर रचना विभाग में संपर्क कर सकते हैं।