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One Nation One Election को केबिनेट की मंज़ूरी 

सरकार द्वारा आगामी शीतकालीन सत्र में इसे पेश करने की संभावना

 

One Nation One Election को लेकर उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट आज बुधवार 18 सितंबर 2024 को केंद्रीय मंत्रिमंडल के सामने रखी गई। कैबिनेट से इसे मंजूरी भी मिलने के बाद सरकार द्वारा आगामी शीतकालीन सत्र में इसे पेश करने की संभावना है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने लोकसभा चुनावों के एलान से पहले मार्च में यह रिपोर्ट पेश की थी।  

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर कोविंद समिति की रिपोर्ट स्वीकार कर लिया है। कोविंद समिति को एक साथ चुनाव कराने के लिए व्यापक समर्थन मिला है। मंत्रिमंडल ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव को मंजूरी दी है। उन्होंने यह भी कहा कि कोविंद समिति की सिफारिशों पर पूरे भारत में विभिन्न मंचों पर चर्चा की जाएगी। बड़ी संख्या में दलों ने एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया है। हम अगले कुछ महीनों में आम सहमति बनाने का प्रयास करेंगे। 

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा "हम इसके साथ नहीं है। एक राष्ट्र एक चुनाव लोकतंत्र में काम नहीं कर सकता। अगर हम चाहते है कि हमारा लोकतंत्र ज़िंदा रहे तो चुनाव ज़रूरत के मुताबिक होने चाहिए। यह संविधान के खिलाफ है। वहीँ RJD नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा "यह एक राजनैतिक स्टंट है, लेकिन व्यावहारिक नहीं है और कई विशेषज्ञों ने इस पर अपने विचार दिए है।  हालाँकि सरकार क्षेत्रीय दलों को खत्म करना चाहती है और इससे संवैधानिक संकट पैदा होगा। " 

क्या है One Nation One Election ?

उच्च स्तरीय समिति ने पहले चरण के तौर पर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की है। इसके 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने की बात कही गई है। समिति ने सिफारिशों के क्रियान्वयन पर विचार करने के लिए एक 'कार्यान्वयन समूह' के गठन का भी प्रस्ताव रखा है। समिति के मुताबिक, एक साथ चुनाव कराने से संसाधनों की बचत होगी। विकास और सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा मिलेगा। लोकतांत्रिक ढांचे की नींव मजबूत होगी। 

एकल मतदाता सूची और एकल मतदाता पहचान पत्र 

समिति ने राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से चुनाव आयोग की ओर से एक समान मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार करने की भी सिफारिश की थी। फिलहाल भारत का चुनाव आयोग लोकसभा और विधानसभा चुनावों को ही देखता है। नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए स्थानीय निकाय चुनाव राज्य चुनाव आयोगों की ओर से कराए जाते हैं। 

एकल मतदाता सूची और एकल मतदाता पहचान पत्र के संबंध में कुछ प्रस्तावित परिवर्तनों को कम से कम आधे राज्यों से समर्थन की जरूरत होगी। इसके अलावा विधि आयोग भी जल्द ही एक साथ चुनाव कराने पर अपनी रिपोर्ट लेकर आने वाला है। सूत्रों के मुताबिक, विधि आयोग सरकार के सभी तीन स्तरों लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और नगर पालिकाओं-पंचायतों जैसे स्थानीय निकायों के लिए 2029 से एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश कर सकता है। त्रिशंकु सदन जैसे मामलों में एकता सरकार (यूनिटी गवर्नमेंट) के प्रावधान की सिफारिश कर सकता है।