सीएमएचओ-आरसीएचओ के बीच फिर गहराया विवाद
पद को लेकर शुरू हुआ था दोनों में आपसी विवाद
उदयपुर 6 जनवरी 2025। सीएमएचओ डॉ शंकर बामणिया और आरसीएचओ डॉ अशोक आदित्य के बीच एक बार फिर विवाद गहरा गया है। दरअसल, डॉ शंकर बामणिया का कहना है कि उन्होंने अनियमित भुगतान और गबन के मामले में डॉ अशोक आदित्य को एक नोटिस भेजा है। जबकि डॉ अशोक आदित्य बोले-मुझे अभी तक कोई नोटिस नहीं मिला। सीएमएचओ उन्हें बदनाम करने के लिए साजिश रच रहे हैं।
दरअसल, सीएमएचओ ने बीती शाम खबरनुमा अंदाज में एक टेक्स्ट मैसेज कुछ वाट्सऐप ग्रुप में भेजा था, जिसमें डॉ आदित्य का फोटो भी लगा था।सीएमएचओ डॉ बामणिया से जब इस नोटिस की ऑफिशियल कॉपी मांगी गई तो वे कॉपी उपलब्ध नहीं करा पाए। वे बोले-नोटिस शुक्रवार को निकाला था और डॉ आदित्य को भिजवा दिया है। इधर, डॉ आदित्य से जब नोटिस के संबंध में पूछा गया तो वे बोले-उन्हें अभी तक ऐसा कोई नोटिस नहीं मिला है। मैं सीएमएचओ के खिलाफ लीगल एक्शन लूंगा।
डॉ आदित्य ने बताया कि उन्होंने चिकित्सा विभाग के डायरेक्टर रवि माथुर को मामले से अवगत कराया है। उन्होंने डायरेक्टर को बताया कि उन्हें मीडिया के मार्फत ये पता लगा कि उन्हें सीएमएचओ से नोटिस दिया गया, जबकि हकीकत में उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला। उन्हें बदनाम किया जा रहा है।
डॉ आदित्य के खिलाफ टेक्स्ट मैसेज में सीएमएचओ ने ये भेजा
सीएमएचओ डॉ बामणिया ने टेक्स्ट मैसेज में लिखा कि अप्रैल 2020 से मार्च 2023 में अनियमित भुगतान और वसूली के संबंध में 13.19 लाख रुपए गबन की राशि वसूली के संबंध में डॉ अशोक आदित्य को फिर नोटिस जारी किया है। जिसमें उन्हें गबन की राशि राजकोष में जमा कराने के निर्देश दिए हैं। अगर 15 दिन में राशि जमा नहीं कराई तो जिला कोष अधिकारी को लिखकर वेतन से कटौती कराई जाएगी।
6 लोगों को गत वर्ष मिल चुका है नोटिस
कोर्ट स्टे लाने के बाद गत वर्ष अप्रैल माह के पहले सप्ताह में डॉ आदित्य समेत 6 लोगों के खिलाफ गबन मामले में नोटिस निकाला गया था। इनमें पूर्व सीएमएचओ दिनेश खराड़ी, सहायक प्रशासनिक अधिकारी आशीष डामोर, डॉक्टर अंजना मीणा, फार्मासिस्ट दीपिका राणावत व फार्मासिस्ट प्रेरणा पुजारी भी शामिल थे। ये मामला अप्रैल 2020 से मार्च 2023 के बीच हुई ऑडिट का था। इनमें अनियमित भुगतान एवं गबन के आरोप लगे थे। उस समय भी सभी से अलग-अलग राशि जमा कराने को कहा गया था।
ऑडिट के पैरा बनने के बाद सीधे कार्मिक अधिकारी की सैलरी से वसूली के लिए नोटिस देना अपरिपक्वता- पूर्व सीएमएचओ डॉ दिनेश खराड़ी
वहीँ इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखते हुए पूर्व सीएमएचओ डॉ दिनेश खराड़ी ने Udaipur Times को बताया कि उनके कार्यकाल का मात्र 17292/- रुपये का मैटर है जो ऑफिस के क्लर्क ने टी ए/डी ए के रूप में उठाया है जिसकी पर्सनल जिम्मेदारी होती है। ऑडिट होना नार्मल प्रक्रिया है जो हर विभाग में होती है। ऑडिट वाले पैरा बनाकर पूछते है उसका जवाब देना होता है वर्तमान में बैठे सीएमएचओ एवं ऑफिस क्लर्क को ऑडिट वाले इससे संतुष्ट नहीं होते है तो संबंधित अधिकारी / कार्मिक से पूछा जाता है वो जवाब देता है। जवाब संतोषप्रद नहीं होता है तो कार्यवाही होती है जो लंबा प्रोसेस है, लास्ट में जब प्रूफ हो जाता है की पैसा ग़लत खर्च हुआ है तब जाकर वसूली होती है वो भी निदेशालय जयपुर के आदेश के बाद। ऑडिट के पैरा बनने के बाद सीधे कार्मिक अधिकारी की सैलरी से वसूली के लिए नोटिस देना सीएमएचओ (वर्तमान) की अपरिपक्वता को दर्शाता है की उससे उचित ज्ञान नहीं है।
पद को लेकर शुरू हुआ था दोनों में आपसी विवाद
सीएमएचओ डॉ बामणिया और डॉ अशोक आदित्य के बीच गत वर्ष मार्च में पद को लेकर विवाद शुरू हुआ था। जब राज्य सरकार ने डॉ बामणिया को हटाकर डॉ आदित्य को सीएमएचओ बना दिया था। इस आदेश के खिलाफ एक सप्ताह में डॉ बामणिया कोर्ट से स्टे ले आए और पद पर बने रहे। 5 माह तक दोनों एक ही पद पर जमे रहे। डॉ आदित्य राज्य सरकार के आदेश से तो डॉ बामणिया कोर्ट के आदेश से सीएमएचओ पद पर आसीन थे लेकिन दोनों के बीच प्रशासनिक और वित्तीय अधिकारों को लेकर जंग चल रही थी। बाद में सरकार ने डॉ बामणिया को ये अधिकार दे दिए।