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मोइयतपुरा मस्जिद को ध्वस्त कर नवनिर्माण की मांग की याचिका जिला न्यायालय ने खारिज की

चार्टर्ड इंजीनियर ने भी मस्जिद को फिलहाल गिराने की आवश्यकता नहीं बताई है

 

उदयपुर 14 सितंबर 2024। शहर के बोहरवाड़ी स्थित मोइयतपुरा मस्जिद के मामले उदयपुर जिला न्यायालय ने सैयदना मुफदद्ल सैफुद्दीन की तरफ से 6 जुलाई 2023 को मस्जिद ध्वस्त कर नवनिर्मित करने की मांग की थी।  जिसे विस्तृत सुनवाई के उपरांत ज़िला न्यायालय ने क्षेत्राधिकारिता के अभाव में ख़ारिज किया गया।  

उक्त मामले में सुधारवादी बोहरा समुदाय से संबंधित दाऊदी बोहरा जमात (बोहरा यूथ) की ओर से अधिवक्ता अरुण व्यास ने बताया कि दरअसल सैयदना साहब की ओर से मोइयतपुरा मस्जिद के स्थानीय प्रतिनिधि शब्बीर मुस्तफा ने मरम्मत की आवश्यकता के मद्देनज़र सैयदना साहब की ओर से याचिका दायर कर उसका मालिकाना हक़ सोल ट्रस्टी के रूप में बताते हुए यह तर्क दिया था कि उनके रखरखाव या नवनिर्माण की ज़िम्मेदारी भी उनकी है। अतः मस्जिद को पूरी ध्वस्त कर नवनिर्माण की अनमति दी जाए। 

याचिका के विरुद्ध दाऊदी बोहरा जमात की ओर से आपत्ति दर्ज कराते हुए पक्ष रखा गया कि 1991 में राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार आज भी इस मोइयतपुरा मस्जिद पर रिसीवरी कायम है और बोहरवाड़ी पुलिस चौकी के कर्मचारी इसका ताला खोलते और बंद करते है।  साथ ही, मस्जिद का पानी, बिजली का बिल भी दाऊदी बोहरा जमात द्वारा जमा कराया जा रहा है।  मस्जिद 150 वर्ष पुरानी कलात्मक, सुंदर और हेरिटेज बिल्डिंग है, जिसको मात्र मरम्मत की आवश्यकता है, न की गिराकर नयी बनाने की ।  

अधिवक्ता अरुण व्यास ने बताया कि न्यायालय से चार्टर्ड इंजीनियर और कोर्ट कमिश्नर को नियुक्त किया था, चार्टर्ड इंजीनियर ने भी मस्जिद को फिलहाल गिराने की आवश्यकता नहीं बताई है।  
 
दोनों पक्षों को सुनने के बाद पर जिला न्यायाधीश संख्या 2 उदयपुर, दमयंती पुरोहित ने 9 सितंबर 2024 को प्रार्थी की ओर से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र को ख़ारिज कर दिया।  न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि प्रार्थी पक्ष मस्जिद का पुनर्नवीनीकरण चाहता है तो सम्पूर्ण जांच रिपोर्ट व एस्टीमेट के साथ कोर्ट रिसीवर को पक्षकार बनाते हुए अथवा रिसीवर के माध्यम से राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करना चाहिए, क्योकि मूलभूत ढांचे को परिवर्तन करने के लिए न तो इस न्यायालय को न ही रिसीवर को अधिकार प्राप्त है।