पुनः लकवा आने पर गंभीर रोगी का हुआ गीतांजली हॉस्पिटल में हुआ सफल इलाज
लकवा होने के बाद बिना डॉक्टर की सलाह के स्वयं दवाई लेना बंद कर देना हो सकता है जानलेवा
गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल उदयपुर में आने वाले रोगियों को मल्टी डिसिप्लिनरी दृष्टिकोण द्वारा इलाज किया जाता है| अभी हाल ही में उदयपुर निवासी 58 वर्षीय रोगी को स्वस्थ जीवन प्रदान किया गया। इस सफल उपचार को न्यूरोलॉजी विभाग के एचओडी के निरिक्षण में करने वाली टीम में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ निशांत अश्वनी, रेजिडेंट डॉ ध्रुव ,आईसीयू से डॉ शुभकरण शर्मा, डॉ संजय पालीवाल, डॉ सैयद जावेद व स्टाफ शामिल है।
विस्तृत जानकारी:
डॉ निशांत ने बताया कि रोगी को दो वर्ष पूर्व स्ट्रोक आया था। रोगी ने दवाई का सेवन बंद कर दिया था। रोगी को नवम्बर 2023 में पुनः स्ट्रोक आया तब रोगी गीतांजली हॉस्पिटल में बेहोशी की स्थिति में सर दर्द, चक्कर व उल्टी की शिकायत के साथ इमरजेंसी में आया। रोगी की हालत देखते हुए उसे तुरंत आई.सी.यू में भर्ती किया गया। एमआरआई करने पर लकवे की पुष्टि हुई। लकवे का प्रभाव दिमाग के पीछे वाले हिस्से में ज्यादा आया जिस कारण आँखों की रोशनी भी कुछ कम हो गयी। रोगी को 4 दिन पश्चात्आई.सी.यू से वार्ड में शिफ्ट किया गया। रोगी स्वस्थ है, आम आदमी की तरह दिनचर्या का निर्वाह कर रहा है एवं डॉक्टर से नियमित परामर्श हेतु हॉस्पिटल भी आ रहा है।
कभी भी लकवा या ब्लड प्रेशर हो ऐसे में रोगी को दवाइयों का सेवन डॉक्टर की परामर्श के बिना लेना बंद ना करें। दवाई के नियमित सेवन से लकवे को पुनः होने से रोका जा सकता है। इस रोगी ने दवाई का सेवन बिना डॉक्टर की परमर्श के बंद कर दिया था और इसको पुनः लकवा होने के चलते हालत काफी गंभीर हो गयी। लकवा होने पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है नही तो ये जानलेवा भी हो सकता है।
गीतांजली हॉस्पिटल मल्टी सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल है यहाँ के न्यूरोसाइंसेज विभाग में सभी एडवांस तकनीके व संसाधन उपलब्ध हैं जिससे जटिल से जटिल समस्याओं का निवारण निरंतर रूप से किया जा रहा है।
गीतांजली हॉस्पिटल पिछले 17 वर्षों से सतत रूप से हर प्रकार की उत्कृष्ट एवं विश्व स्तरीय चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है एवं जरूरतमंदों को स्वास्थ्य सेवाएं देता आया है।