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बेदला पंचायत की डर्टी पिक्चर

बीमारी दूर करने के लिए बनाये गए बेदला पीएचसी के पीछे इस कचरे को डालकर पँचायत क्षेत्र में संक्रमण को दे रही न्योता

 

गांव में साफ सफाई के लिए पँचायत ने सालाना 3 लाख 60 हजार रुपये का टेंडर किया है

सरकार भले ही स्वच्छ भारत अभियान को लेकर पूरे भारत के लोगो मे आमजन में जागरूकता पैदा करने का काम कर रही हो लेकिन कई जगहों पर लापरवाह जनप्रतिनिधियों के शासित होने से सरकार के इस मिशन पर पानी फिर जाता है। ऐसा ही मामला सामने आया है शहर से सटी बेदला ग्राम पंचायत का। जहाँ पंचायत द्वारा घर घर कचरा संग्रहण को लेकर चलाये गए अभियान से जुड़े कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी का पूरा निर्वहन न करते हुए अपने काम से कन्नी काट रहे है।

पँचायत द्वारा गांव के घर घर से रोजाना कचरा इक्क्ठा किया जाता है लेकिन इस कचरे को उचित स्थान पर डालने की बजाए बेदला पँचायत इसे गांव में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के पीछे डलवाकर अपने काम से इतिश्री कर रही है। ऑटो द्वारा इस कचरे को खुले में डाले जाने के बाद मवेशी इस कचरे में पड़ी पॉलीथिन और अन्य प्लास्टिक सामग्री को खा रहे है।  यही नही पूरे गांव की इस गन्दगी को पँचायत द्वारा इस जगह पर डलवाने का काम किया जा रहा है। इस कचरे के ढेर में तब्दील होने के बाद पँचायत द्वारा इसे हटाने का काम किया जाता है लेकिन तब तक यह कचरा कई मवेशियों के मुंह का निवाला बन जाता है।

इस गंदगी को रिहायशी बस्ती के पास में डालने पर क्षेत्र के लोगो ने कई बार इसका विरोध भी किया लेकिन पँचायत के कान में जु तक नही रेंगी । इस कचरे के ढेर को देखकर आप अंदाजा लगा सकते है कि यह कितने दिनों से यहाँ अटा पड़ा हुआ है जबकि पँचायत को कचरा उठाने और उसके डंपिंग के लिये बजट का प्रावधान है । यही नही बीमारों की बीमारी दूर करने के लिए बनाये गए इस अस्पताल के पीछे इस कचरे को डालकर पँचायत क्षेत्र में संक्रमण को न्योता दे रही है ।

इस कचरे से दिन भर बदबू आती है जिससे अस्पताल का स्टाफ भी परेशान रहता है । गांव में साफ सफाई के लिए पँचायत ने सालाना 3 लाख 60 हजार रुपये का टेंडर किया है,जिसमे कचरा संग्रहण कर उसे तितरडी स्थित प्लांट पर पहुचाने की शर्त है लेकिन कचरे का ढेर जस का तस बना हुआ है ।