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बड़ी झील पर बढ़ता डिस्पोजेबल कचरा महाशीर के लिए घातक 

स्वच्छता श्रमदान व महाशीर मछली संरक्षण संवाद आयोजित 

 

उदयपुर 3 मार्च 2025 । फिशरीज कॉलेज के पूर्व डीन तथा विख्यात मत्स्यकी विशेषज्ञ डॉ वी एस दुर्वे के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए झील कार्यकर्ताओं द्वारा बड़ी झील पर श्रद्धांजलि स्वरूप स्वच्छता श्रमदान व महाशीर संरक्षण संवाद आयोजित किया गया। इस अवसर पर अभिनव स्कूल के एन सी सी कैडेट्स  ने झील किनारे विसर्जित डिस्पोजेबल कचरे को हटाया। डॉ दुर्वे के झील संरक्षण कार्यों व शोध परियोजनाओं में योगदान का स्मरण किया गया।

श्रमदान पश्चात आयोजित संवाद में डॉ अनिल मेहता ने कहा कि बड़ी झील महाशीर संरक्षण क्षेत्र है। लेकिन झील पर भारी मात्रा में प्लास्टिक के चम्मच, प्लेट्स व अन्य पॉलीथिन कचरे का विसर्जन हो रहा है। इस सिंगल यूज प्लास्टिक के कण महाशीर मछली की भोजन श्रृंखला में प्रवेश कर उनके पाचन तंत्र व तंत्रिका तंत्र पर विषैला प्रभाव डालेंगे। महाशीर मछलियों का प्रजनन भी बाधित होगा।

तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि माइक्रोप्लास्टिक कण सम्पूर्ण जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा है। झील किनारों तक लोग बेरोकटोक पहुंच झील को गंदा कर रहे हैं। वाहनों की धुलाई भी झील में हो रही है। झील सफाई की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं बनाई गई है।

नंद किशोर शर्मा ने कहा कि बड़ी झील एक मात्र ऐसी  झील है जो अब तक प्रदूषण से अछूती रही। बड़ी झील सज्जनगढ़ इकोसेंसिटिव जोन में आती है। लेकिन  इसमें प्रदूषणकारी गतिविधियां बढ़ रही है। कुशल रावल ने कहा कि झील परिधि के 100 मीटर परिधि क्षेत्र को तुरंत प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र घोषित कर देना चाहिए। झील किनारे लगने वाली खाने पीने की स्टॉल, ठेलों पर कठोर प्रतिबंध लगाना होगा कि वे झील में कचरा विसर्जन नहीं होने दे।

द्रुपद सिंह ने कहा कि झील किनारे घूमने जाने वाले युवाओं व अन्य भ्रमणार्थियों की जिम्मेदारी है कि वे झील में कचरा, शराब की बोतले, सिगरेट के बट विसर्जित नहीं होने दे।