'डाॅ. असगर अली इंजीनियर लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड' डाॅ. फलेविया एग्निस को प्रदान किया गया
डॉ फलेविया एग्निस ने ’महिला अधिकार आन्दोलन एवं न्यायिक सुधार’ विषय पर व्यक्त किये अपने विचार
उदयपुर 11 फ़रवरी 2024। कल शाम 10 फ़रवरी 2024 शनिवार को ’’डाॅ. असगर अली इंजीनियर लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड’’ समारोह शहर के महाराणा कुंभा संगीत सभागार में आयोजित किया गया। इस वर्ष का प्रतिष्ठित अवार्ड मुम्बई हाईकोर्ट की ख्यातनाम एडवोकेट एवं महिला कार्यकर्ता डाॅ. फलेविया एग्निस को प्रदान किया गया
सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ दाऊदी बोहरा कम्युनिटी के चेयरमेन कमाण्डर मंसूर अली बोहरा ने बताया कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ दाउदी बोहरा कम्युनिटी, बोहरा यूथ संस्थान, इंस्टीट्यूट ऑफ़ इस्लामिक स्टडीज और सेंटर फाॅर स्टडी ऑफ़ सोसायटी एण्ड सेक्युलरिज्म की ओर से प्रतिष्ठित "डाॅ. असगर अली इंजीनियर लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड" समाज सेवा, मानवाधिकार, सामाजिक एवं साम्प्रदायिक सौहार्द्र के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है।इससे पूर्व यह अवार्ड दक्षिण भारतीय मलयाली साहित्यकार के पी रमानुन्नी, रिटायर्ड जस्टिस होस्बेट सुरेश, उर्दू साहित्यकार अब्दुस सत्तार दलवी को दिया जा चुका है।
कौन है डाॅ. फलेविया एग्निस
सेंटर फाॅर स्टडी ऑफ़ सोसायटी एण्ड सेक्युलरिज्म के निदेशक इरफ़ान इंजीनियर ने बताया कि डाॅ. फलेविया एग्निस सामाजिक एवं सांस्कृति संस्था ’’मजलिस’’ की सह-संस्थापक है। डाॅ. फलेविया महिला सशक्तिकरण, महिला एवं बाल अधिकार, घरेलू हिंसा, लिंग भेद, साम्प्रदायिकता और महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक एवं कानूनी अधिकारों के लिए कार्य करती है।
डाॅ. फलेविया एग्निस ने अपने जीवन के संघर्ष की दास्ताँ को 1984 में 'परवाज़' नामक किताब की शक्ल में उतारा है। जिसका अनुवाद मराठी, उर्दू, गुज़राती जैसी अनेक भारतीय भाषाओ में ही नहीं बल्कि रशियन भाषा में भी किया है। इसके अतिरिक्त उन्हें कई सम्मानों से नवाज़ा जा चुका है।
स्थानीय महाराणा कुंभा संगीत सभागार में शनिवार को सायं 7 बजे आयोजित हुए इस समारेाह में डॉ फलेविया एग्निस ने ’महिला अधिकार आन्दोलन एवं न्यायिक सुधार’ विषय पर भी अपने विचार व्यक्त करते हुए अपनी स्वयं की आपबीती और जीवन संघर्ष को साझा किया। डाॅ. फलेविया एग्निस ने बताया कि उन्होंने स्वयं घरेलु हिंसा की त्रासदी झेली है। अंततः घर की चारदीवारी को लाँघ कर स्नातक डिग्री से कानून में M.phil तक करने की संघर्ष भरी कहानी को साझा किया।
डाॅ. फलेविया एग्निस ने महिलाओ के खिलाफ होने वाले अत्याचार विशेषकर घरेलु हिंसा, यौन अत्याचार, दहेज़ उत्पीड़न, पोक्सो एक्ट की जानकारी देते हुए बताया कि महिलाओ की सशक्तिकरण के लिए कानून तो बने हुए है लेकिन अत्याचारियों को सजा तक पहुँचाने के लिए कानून के पेचीदगियों के चलते अक्सर अपराधी बच निकलते है। उन्होंने महिलाओ को अपने घर की चारदीवारी लांघकर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष का आह्वान किया।
समारोह की शुरुआत तिलावत ए कुरआन से की गई उसके पश्चात् सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ दाऊदी बोहरा कम्युनिटी के चेयरमेन कमाण्डर मंसूर अली बोहरा और सेंटर फाॅर स्टडी ऑफ़ सोसायटी एण्ड सेक्युलरिज्म के निदेशक इरफ़ान इंजीनियर ने मरहूम डॉ असगर अली इंजीनियर को श्रद्धांजलि देते हुए बताया की डॉ असगर अली इंजीनियर की पहचान न सिर्फ सुधारवादी बोहरा समाज के नेता और अग्रणी के रूप में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में एक इस्लामिक स्कॉलर के रूप में जाने जाते थे।
डॉ असगर अली इंजीनियर ने इस्लामिक स्कॉलर और धर्मनिरपेक्षता पर उल्लेखनीय कार्य करते हुए 78 किताबे लिखी है इसके अतिरिक्त उनके आर्टिकल नियमित रूप से टाइम्स ऑफ़ इंडिया जैसे प्रतिष्ठित अखबारों में छपते थे।
समारोह में समारोह की अध्यक्षता करते हुए उदयपुर की सामाजिक कार्यकर्ता सुधा चौधरी ने बताया डॉ असगर अली इंजीनियर ने उन्होंने बहुत कुछ सीखा है। उन्होंने डॉ फलेविया एग्निस के संघर्ष को सलाम करते हुए बताया कि समाज को ऐसे लोगो की सख्त आवश्यकता है जो देश में गिरते हुए धर्मनिरपेक्ष ढांचे का बचा सके और देश में शहीद भगत सिंह और बाबा साहेब आंबेडकर के संविधान को बचा सके।
वहीँ कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि डॉ सरवत खान ने डॉ असगर अली इंजिनियर को श्रद्धांजलि देते हुए बताया कि जो ज़हन सच्चा होता है वो किसी की गुलामी सहन नहीं करता है। डॉ असगर अली एक ऐसी ही व्यक्तित्व के मालिक थे। कार्यकर्म का सफल संचालन अनीस मियांजी ने किया जबकि धन्यवाद की रस्म नासिर जावेद ने अदा की
इस अवसर सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ दाऊदी बोहरा कम्युनिटी के संरक्षक आबिद अदीब, दाऊदी बोहरा जमाअत के अध्यक्ष अब्बास अली नाथ, सचिव ज़ाकिर पंसारी, बोहरा यूथ संस्थान के सचिव युसूफ आरजी के अलावा प्रोफ हेमेंद्र चंडालिया, पीयूसीएल, ऐपवा के कार्यकर्ता, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता राजेश सिंघवी समेत उदयपुर शहर के गणमान्य व्यक्ति, सामाजिक कार्यकर्ता आदि उपस्थित रहे।