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कृषि मंत्रालय की पहल-किसानों को नहीं चक्कर लगाने की जरूरत 

जांची जा सकेगी माटी की सेहत, लैब में किसानों के लिए सैम्पल की योजना जांच निशुल्क होगी

 

उदयपुर, 28 अक्टूबर। किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि मंत्रालय आगे आया है। इसके लिए किसानों को कहीं चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेंगी। ग्राम स्तरीय प्रयोगशाला बनाने के लिए पहली बार कृषि विभाग ने किसानों के समूहों को भी प्राथमिकता देने का निर्णय किया है। खेतों में किसान संतुलित उर्वरक व रसायनों का उपयोग कर सके, इसके लिए प्रदेश की 254 पंचायत समितियों में ग्राम स्तरीय मृदा प्रयोगशालाएं बनाई जाएंगी। इससे किसान मिट्टी-पानी की सेहत की जांच पंचायत समितियों में ही करवा सकेंगे ।

अच्छी बात है कि प्रयोगशाला के लिए जांच में काम आने वाले उपकरण व मशीनरी के लिए केन्द्र सरकार की ओर से आर्थिक मदद दी जाएगी । वहीं लैब संचालन के लिए कृषक समूहों को प्राथमिकता मिलने से किसानों को रोजगार की सुविधा भी मिल सकेगी। कृषि आयुक्तालय ने केंद्रीय प्रवर्तित आरकेवीवाई- सॉयल हेल्थ एंड फर्टीलिटी के तहत सभी जिला परिषद को ये आदेश कर दिए हैं।

तीन लाख लेंगे सैम्पल

अधिकारियों की माने तो ऑनलाइन प्रक्रिया होने से सैम्पल कलेक्शन में पारदर्शिता भी आएगी वहीं ऑनलाइन होने से केन्द्र स्तर पर अधिकारी महज एक क्लिक पर संबंधित क्षेत्र की मिट्टी की उर्वरता जान सकेंगे। इसका सबसे ज्यादा फायदा आगामी दिनों में किसानों के लिए बनने वाली विकास योजनाओं को लेकर होगा। योजना में इस वित्तीय वर्ष में प्रदेश में मिट्टी के तीन लाख सैम्पल लिए जाएंगे।

इसके लिए जिलेवार लक्ष्य जारी किए गए हैं। आगामी तीन सालों के दौरान प्रत्येक ग्राम पंचायत से सौ सैम्पल लिए जाएंगे। सैम्पल लेने के लिए पंचायतवार हर ग्राम पंचायत के एक तिहाई गांवों से सिंचित और असिंचित क्षेत्र का चयन किया जाएगा। सभी सैम्पल लेने की प्रक्रिया को एसएचएस मोबाइल एप पर अपलोड किया जाएगा। इस प्रकार की लैब का संचालन समूह को अपने खुद के भवन में करना होगा।

कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक, बीएल पाटीदार का कहना है की हर पंचायत समिति मुख्यालय पर लैब की स्थापना होनी चाहिए। ताकि किसानों को मिट्टी व पानी की जांच के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। इनका परीक्षण समय पर हो सकेगा। किसान को मिट्टी की उर्वरकता के बारे में भी जानकारी मिल सकेगी। लैब के लिए कार्य प्रक्रियाधीन है।  

जीयो टैगिंग की जाएगी 

हर एक सैम्पल की जीयो टैगिंग की जाएगी । 70 प्रतिशत सैम्पल विभाग के कृषि पर्यवेक्षक के माध्यम से और तीस प्रतिशत सैम्पल एफपीओ या जीएसएस के जरिए लिए जाएंगे। इस लैब में किसानों के लिए सैम्पल की योजना जांच निशुल्क होगी, जबकि सैम्पल प्रत्येक संग्रहण करने वाले को 23 रुपए प्रति सैम्पल पुनर्भरण राशि प्रदान की जाएगी। सैम्पल जांच का खर्च योजना के तहत वहन किया जाएग । सैम्पल की ज्यादा होने पर पांच सौ सैम्पल के लिए उद्यमी को प्रत्येक सैम्पल के लिए 20 रुपए की राशि बतौर प्रोत्साहन दी जाएगी। अब तक सेम्पल लेने के लिए जीयो टैगिंग नहीं होने के कारण अधिकारियों को सटीक हालात का पता नहीं चल पाता है।