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फ़ूड पोइज़निंग मामला - प्रशासन आया हरकत में, अब तक कुल 167 मरीज़ मिले 

कब तक लोगो के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होता रहेगा ? क्या प्रशासन तभी जागेगा जब लोग फ़ूड पोइज़निंग का शिकार बनने के बाद अस्पताल पहुंचे ?
 
उदयपुर के जगदीश चौक, राव जी का हाटा, जड़ियो की ओल समेत वल्लभनगर के करणपुर से भी मिले मरीज़ 

उदयपुर में कल सोमवार को निर्जला एकादशी के व्रत के बाद शहर के भीतरी इलाको जगदीश चौक, राव जी का हाटा, कसारो की ओल, जड़ियो की ओल समेत वल्लभनगर के करणपुर गांव से लोगो को कांगणी के आटे के व्यंजन के सेवन से फ़ूड पोइज़निंग का मामला सामने आया है। जहाँ एमबी अस्पताल में वर्तमान में 144 लोग भर्ती है वहीँ बाकि लोगो को उपचार के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है। 8 से 10 लोग जगदीश चौक सीएचसी में भर्ती है जबकि वल्लभनगर के करणपुर से भी 28-29 लोगो के भर्ती होने की सूचना है। 

अस्पताल का दौरा करने पहुंचे एसडीएम गिर्वा युवराज कौशिक ने बताया की फ़ूड पोइज़निंग के शिकार लोगो ने जहाँ से कांगणी का आटा ख़रीदा है, लोगो से जानकारी जुटाने के बाद उन दुकानों से सैंपल एकत्रित कर जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जायेगी। 

एसडीएम गिर्वा युवराज कौशिक ने बताया की फ़ूड पोइज़निंग के शिकार लोगो ने 'डबल स्वास्तिक' ब्रांड का आटा ख़रीदा था। जिनमे से कई पाउच पर न तो एक्सपायरी डेट अंकित न रेट अंकित थी। वहीँ कई लोगो ने धानमंडी के अग्रवाल चक्की वाला से और स्थानीय किराणा दुकानदारों से खुला आटा ख़रीदा था।  ऐसे में संभव है एक ही ब्रांड का आटा या एक्सपायरी डेट का आटा होने की सम्भावना हो सकती है। हालाँकि प्रशासन जाँच में जुटा हुआ है। 

ऐसे में सवाल उठता है की समय समय पर स्वास्थ्य विभाग और खाद्य निरीक्षक बाज़ारो में बिकने वाले खुले और खाद्य सामग्रियों की जाँच करता रहता है फिर यह मिलावटी सामान बाजार में धड़ल्ले से कैसे बिकता है? आये दिन अखबारों में कभी नकली घी, नकली मावे की खबर छपती रहती है। कुछ कार्यवाहियां भी होती है लेकिन बहुत कम सजा होने और उसके उपरांत ज़मानत से छूटने के बाद मिलावट करने वाले पुनः सक्रीय हो जाते है। मिलावटी खाद्य सामग्री के आमजन के स्वास्थ्य के साथ रोज़ खिलवाड़ होता है। 

जिला कलेकटर चेतन राम देवड़ा ने एमबी अस्पताल का दौरा करने के बाद बताया की फ़ूड पोइज़निंग के कुल 167 मामले सामने आये है।  यह सभी मामले कल निर्जला एकादशी के व्रत के बाद काम में लिया जाने वाला कांगणी आटे के सेवन के बाद सामने आया है। स्वास्थ्य विभाग के फ़ूड इंस्पेक्टर उस आटे की जाँच के सैंपल ले रहे है और जांच की जा रही है की क्या कारण रहे है। वहीँ कलेक्टर ने आमजन से अपील भी की है की खाने पीने की कोई भी वस्तु खरीदने से पहले यह सुनिश्चित करे की कहीं वह एक्सपायरी डेट की तो नहीं अथवा खुली हुई न हो। 

क्या प्रशासन हरकत में तभी आता है जब फ़ूड पोइज़निंग के ऐसे मामले सामने आते है? क्या ऐसी ब्रांड के डिस्ट्रीब्यूटर्स और दुकानों को सीज़ नहीं किया जाना चाहिए ?  कब तक लोगो के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होता रहेगा ? क्या प्रशासन तभी जागेगा जब लोग फ़ूड पोइज़निंग का शिकार बनने के बाद अस्पताल पहुंचे ?

वहीँ अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत नमक संगठन ने भी फ़ूड पोइज़निंग के मामले को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन देते हुए मांग की है की खुली हुई और मिलावटी खाद्य सामग्री बेचने वालो के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए ताकि आमजन के स्वास्थ्य को कोई हानि नहीं हो।