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उदयपुर की पहचान कोफ्तगिरी मेटल शिल्प कला को जीआई टैग मिला  

हैंडीक्राफ्ट के लिए प्रसिद्ध लेकसिटी के खाते में आई एक और उपलब्धि 

 

उदयपुर । अपने हेंडीक्राफ्ट के लिए विख्यात लेकसिटी को एक और उपलब्धि मिली है।  उदयपुर की पहचान कोफ्तगिरी मेटल शिल्प कला को जीआई टैग मिला है।  वहीँ, दिल्ली में मंगलवार को हुए कार्यक्रम में उदयपुर के स्टोन हैंडीक्राफ्ट से जुड़े स्टार्टअप कासा आर्ट को अवार्ड मिला।  यह अवार्ड स्टार्टअप करने वाली इंटरनेशनल मैगजीन आंत्रप्रेन्योर डॉट कॉम ने दिया।  इस मौके पर अलग-अलग स्टार्टअपके लिए करीब 50 लोगों को अवार्ड मिले। 

अब तक शहर की पहचान वुडन, सिल्वर वर्क, मार्बल, मेटल, कांच के हैंडीक्राफ्ट के रूप में थी, लेकिन अब स्टोन से बनाए जाने वाले इस स्टार्टअप ने उदयपुर के हेंडीक्राफ्ट मार्केट की तस्वीर बदल दी है।  इसमें स्टोन का प्रयोग करते हुए लग्जरी हैंडीक्राफ्ट तैयार कर रहे है। 

जीआई टैग मिलने से कोफ्तगिरी मेटल शिल्प के उत्पाद ब्रांड बनेंगे

कोफ्तगिरी मेटल शिल्प कला के उत्पाद भविष्य में ब्रांड बन सकेंगे। कोफ्तगिरी शिल्प का इस्तेमाल ढाल, तलवारों, खंजर और अन्य उपयोगी सामग्री जैसे डिब्बे, बक्से इत्यादि के निर्माण में किया जाता है। नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. राजीव सिवाच ने बताया कि राजस्थान की पांच पारंपरिक कलाओं जोधपुर की बंधेज, उदयपुर की कोफ्तगिरी मेटल शिल्प, राजसमंद की नाथद्वारा पिचवाई शिल्प, बीकानेर की उस्त कला और बीकानेर की हस्त कढ़ाई कला को जीआई टैग दिया गया है। इससे विलुप्त हो रही इन कलाओं को जीवित रखने में मदद मिलेगी।

कासा आर्ट के रोमिल धाकड़ ने बताया कि साल 2015 में स्टार्टअप की शुरुआत की थी। इसमें हैंडीक्राफ्ट के प्रोडक्ट को तैयार करने के लिए यहां पाए जाने वाले क्वार्ट्ज और अगेट पत्थरों का उपयोग किया जाता है। इन प्रोडक्ट को लग्जरी टच देने के लिए आर्टिफिशियल ज्वेलरी बनाने के काम में आने वाले सेमी प्रेशर स्टोन का उपयोग होता है। इन पत्थरों को अफगानिस्तान, अफ्रीका जैसे देशों से मंगवाते हैं। इनकी खासियत यह है कि ये पत्थर आपकी ग्रह राशि को बैलेंस करते हैं। अभी कासा आर्ट स्टार्टअप द्वारा टेबल, लैंप, होम डेकोर के प्रोडक्ट, बाथरूम के आइटम, बाथटब आदि तैयार किए जा रहे हैं। इन प्रोडक्ट को रियाद, ओमान, दुबई, अमेरिका, बेल्जियम, मैक्सिको, ऑस्ट्रेलिया, इटली आदि देशों में एक्सपोर्ट किया जा रहा है।