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बालिका उद्यान वन में लड़कियां आज भी पेड़ों को राखी बांधती है

दरअसल यह पेड़ इन्हीं बालिकाओं के जन्म पर परिवार के सदस्यों द्वारा उदयपुर के गोगुंदा के मजावडी गांव में स्थित बालिका उद्यान वन में लगाए गए थे।

 

उदयपुर के गोगुंदा के मजावडी गांव में स्थित बालिका उद्यान वन में लड़कियां आज भी पेड़ों को राखी बांधती है। दरअसल यह पेड़ इन्हीं बालिकाओं के जन्म पर परिवार के सदस्यों द्वारा उदयपुर के गोगुंदा के मजावडी गांव में स्थित बालिका उद्यान वन में लगाए गए थे।

ऐसे में यह बालिकाएं इन पेड़ों को अपना भाई मानते हुए राखी बांधती है और पूरे वर्ष इनकी रक्षा भी करती है। मजावाड़ी गांव के पूर्व सरपंच कपिल देव पालीवाल ने गांव की बंजर जमीन को हरा-भरा बनाने के लिए एक अनूठे अभियान की शुरुआत की थी, जिसमें गांव में किसी भी बालिका के जन्म पर 121 पौधे लगाने का आव्हान किया था।

इस आव्हान के बाद पूरी बंजर जमीन हरी भरी हो चुकी है और वहां लाखों की तादाद में पेड़ लगे हुए हैं। हर वर्ष रक्षाबंधन के मौके पर गांव की बालिकाएं बालिका उद्यान वन पहुंचती है और वहां पेड़ों को राखी बांधकर पूरे उत्साह के साथ रक्षाबंधन का पर्व मनाती है। अपने जन्म के मौके पर लगाए गए पेड़ों को भाई मानकर राखी का यह पर्व मनाया जाता है।

गांव में पेड़ों के प्रति ग्रामीणों का इतना लगाव बढ़ चुका है की छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक पर्यावरण प्रेमी हो गए हैं और पेड़ों के साथ रक्षाबंधन मनाने की यह परंपरा भी पर्यावरण प्रेम की अनूठी निशानी है। गांव की 1200 बीघा जमीन बंजर पड़ी हुई थी ऐसे में कपिल देव पालीवाल ने शुरुआती दौर में करीब ढाई सौ बीघा जमीन पर काम करना शुरू किया और वहां हर तरह के फल के पौधे लगाए।

करीब 50000 से ज्यादा पौधे जड़ी बूटियां के लगाए गए तो वहीं नवग्रह उद्यान भी बालिका उद्यान वन में बनाया गया है। यह बालिका वन अब पर्यटन की दृष्टि से भी पर्यावरण प्रेमियों की पसंद बन रहा है और बड़ी तादाद में लोग इस बालिका वन का भ्रमण करने के लिए मजावड़ी गांव पहुंचते हैं।