सरकार की नज़रे कच्ची बस्तियों की जमीन पर :अर्जुन देथा
उदयपुर, 14 अप्रेल 2025। यह सरकार पूंजीपतियों की दलाल सरकार है, अभी इसकी नजर वक्फ की जमीनों पर गयी है, चर्च और मंदिरों की जमीनों पर भी इसकी नज़र है। पहले रेल और सेना की जमीनें ले चुकी है। ऐसे में कच्ची बस्ती वासियों को होशियार रहने की जरूरत है।
यह विचार कच्ची बस्ती फैडरेशन की शिराली भवन में हुई बैठक में वरिष्ठ समाजवादी नेता अर्जुन देथा ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि देश की सरकारे पूंजीपतियों के विकास के लिए जंगल के जंगल अडाणी को सौंप रही है, जहां जंगल उजाड़े जा रहे है, पहाड़ के पहाड़ माईनिंग और रिसोर्ट के लिए दिये जा रहे है, लेकिन गरीब को उसके मकान का पट्टा देने के लिए सरकार को जंगल की जमीन होने का बहाना बनाना पड़ रहा है। इससे सरकार के चरित्र को समझा जा सकता है।
देथा ने कहा कि वामपंथी दलो, समाजवादी पाटी और जन संगठनों ने कच्ची बस्ती वासियों को पट्टे देने और मूलभूत सुविधाएं देने की मांग को लेकर और देश की आम जनता, मजदूर, किसानों की मांग को लेकर 1 मई 2025 को टाऊनहॉल से रैली निकाल जिला कलेक्टर कार्यालय पर धरना लगाने का निर्णय लिया है, जिसकी सफलता से ही हम अपनी मंजिल को पाने के रास्ते में आगे बढ़ सकते है।
उन्होंने कहा कि सरकारें उदयपुर में धर्मेन्द्र के सांसद रहते हुए यहां मकान एलोट करती है और यहां की जनता को उसके मकान के पट्टे के नाम पर अंगुठा दिखाती है, यह कैसी सरकार है?
बैठक में कच्ची बस्ती फैडरेशन के अध्यक्ष प्रताप सिंह देवडा ने कहा कि उदयपुर में 50 वर्ष पहले कच्ची बस्ती फैडरेशन के नेता बी.एल. सिंघवी, भंवरलाल बारबर, आयलदास के नेतृत्व में बस्तीयां बसाने की लडाई लड़ी गयी, जिसका गौरवशाली इतिहास है, उन्होंने कहा कि भाजपा और कांग्रेस पार्टी हर चुनाव में सरकार में आने पर कच्ची बस्ती वासियों को पट्टे देने की घोषणाएं करती है, लेकिन आज तक उदयपुर की कच्ची बस्ती वासियों को उन्होंने ठगा ही है। उन्होंने बताया कि उदयपुर 34 कच्ची बस्तीया है, जिनमें 12 हजार मकान है, लेकिन अभी तक मात्र लगभग 4 हजार निवासियों को उनके मकान के पट्टे दिये गये है जो भी आधे अधूरे दिये गये है।
बैठक में कच्ची बस्ती फैडरेशन के महासचिव और पूर्व पार्षद राजेश सिंघवी ने कहा कि आवास इंसान का मौलिक है और सरकारों की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वह अपने नागरिकों के आवास की व्यवस्था करें, लेकिन अनैतिक सरकारों से नैतिकता की उम्मीद करना बेकार है। उन्होंने कहा कि इस सरकार से व्यापक एकता बना जनसंघष से ही पट्टे की मांग को मनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि संविधान निर्मात्री कमेटी की सदस्य स्वतंत्रता सैनानी बलवंत सिंह मेहता ने उदयपुर में कच्ची बस्तीयों की लडाई में पुलिस के लठ खाकर अपना खुन दिया है। ऐसे में हमें बलवंत सिंह मेहता के सपने को साकार करने के लिए इस लड़ाई को लड़ना होगा।
बैठक में हीरालाल सालवी ने कहा कि गरीब की लड़ाई लाल झण्डा ही लड़ता है। हमने गरीबों एक होने का नारा देकर हजारों लोगों को बसाया, लेकिन भाजपा, आर.एस.एस. हिन्दु एक हो नारे देकर उन्हें भविष्य के अंधकार में धकेल रही है, जिससे आम जनता को सचेत रहने की जरूरत है।
बैठक में पूर्व पार्षद राजेन्द्र वसीटा ने कहा कि आज भी उदयपुर की कच्ची बस्ती वासियों का लाल झण्डें के प्रति विश्वास है और वक्त आने पर अपनी एकता भी बताते रहे है। उन्होंने कहा कि नगर निगम में कच्ची बस्ती वासियों को उनके मकान कथित वन भूमि पर होने के नाम पर पट्टे नहीं दिये, लेकिन मकान निर्माण करने पर उन्हें अतिक्रमण का नोटिस दे रहे है, जो नगर निगम का अपने अधिकारों से अपना अतिक्रमण है।
बैठक में कच्ची बस्ती फैडरेशन के सचिव दामोदर कुमावत ने कहा कि पिछले समय देवाली में कुछ मकानों के पट्टे दिये गये, लेकिन उस बस्ती डी-नोटिफाईड कर लाखों रुपये पट्टे देने के नाम पर वसूल कर लूट मचायी गयी। उन्होंने कहा कि देवाली में नहरी क्षैत्र के आधार पर वहां के निवासियों को पट्टे नहीं देकर उनके साथ कुठाराघात किया जा रहा है।
बैठक में अजमद शेख, घासीराम खटीक, कमल किशोर, गोपाल जायसवाल, देवी सिंह, मुनव्वर खान, मोहम्मद नासीर, रघुनाथ सिंह भाटी, शमशेर खान, धनराज निमावत, शराफत खान आदि ने भी विचार व्यक्त कर 1 मई 2025 को आयोजित रैली और प्रदर्शन में कच्ची बस्ती वासियों को शामिल होने की अपील की।