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अधिक अस्पताल विकास की नहीं बल्कि पतन की कहानी

उदयपुर में सम्पन्न ओजस लाइफ का सेमिनार

 
बीमार होने पर दवाई की नहीं बल्कि खानपान बदलने की ज़रुरत 

उदयपुर में ओजस लाइफ का सेमिनार कल शाम शोभागपुरा स्थित पैशन द मल्टी आर्ट स्टूडियो में सम्पन्न हुआ जहाँ मुंबई से आये अतुल शाह ने प्रकृति के नियमों को समझने और स्वस्थ और सुखी जीवन के लिए महत्वपूर्ण पंचतत्वों को संतुलित करने के वास्तविक रहस्यों एवं भोजन और जीवन शैली को एक दवा के रूप में कार्य करने, जो न केवल स्वस्थ बनाती है, बल्कि एसिडिटी, गैस्ट्राइटिस, अस्थमा, मोटापा, हृदय रोग, मधुमेह, रक्तचाप, माइग्रेन, गुर्दे की समस्या, बवासीर, जोड़ों के दर्द (गठिया) जैसी विभिन्न जीवन शैली की बीमारियों से भी निजात दिलाती है। 

बदलते जीवन शैली और वर्तमान समय में कोरोना जैसी घातक बीमारियों से बचने के लिए मानव लाखो रूपये खर्च कर रहा है। वही दूसरी तरफ ओजस लाइफ संस्थान ने वर्तमान में चल रही कोरोना जैसी और साथ ही खान पान में मिलावट और अशुद्धता की वजह से होने वाली जैसे बीपी शुगर ह्रृदय रोग अस्थमा माइग्रेन किडनी पाइल्स जोड़ो में दर्द जैसी बीमारियों से बचने के लिए पैशन द मल्टी आर्ट स्टूडियो के द्वारा ओजस लाइफ सेमिनार का आयोजन किया। इस सेमिनार में शहर के कई डॉक्टर भी उपस्थित थे।

अधिक अस्पताल विकास की नहीं बल्कि पतन की कहानी 

सेमिनार में मुख्य वक्ता अतुल शाह ने बताया की पहला सुख निरोगी काया है। इस धरती पर करोडो जीव है लेकिन इन करोडो जीवो में अगर कोई बीमार है तो वह इंसान है। अगर कोई पशु बीमार भी होता है तो वह इंसानो की वजह से बीमार पड़ता है। इंसानो का बचा हुआ खाना खाकर या इंसानो द्वारा प्रकृति के साथ छेड़छाड़ की वजह से ही वह पशु बीमार पड़ता है। इंसानो की गलत जीवन शैली और खानपान की वजह से डॉक्टर्स की ज़रुरत भी इंसानो को ही पड़ती है, पशुओ को नहीं। अधिक से अधिक अस्पताल का निर्माण विकास की नहीं बल्कि पतन की कहानी है। 

डेड फ़ूड है बिमारियों की जड़ 

उन्होंने बताया की इंसान के बीमार होने की वजह उनका गलत खानपान है। दुनिया में दो तरह के भोजन होते है एक तो लिविंग फ़ूड जैसे फल फ्रूट, कच्ची सब्ज़ी (सलाद) आदि और दूसरा मृत (Died) फ़ूड यानि पका हुआ भोजन जिसमे मसालों की भरमार, यही पका हुआ भोजन इंसानो की 90 फीसदी बीमारियों का कारक है।

उन्होंने आगे बताया की 'पका हुआ भोजन' जिन्हे बगैर मिर्च मसाला और तेल के बगैर नहीं खाया जा सकता है, यही तथाकथित भोजन दुनिया का सबसे बड़ा भ्रम है। भोजन को जब भी पकाया जाता है उनमे कई प्रकार के केमिकल पैदा होते है जो इंसानी शरीर को हानि पहुंचाते है। उन्होंने बताया की भूख भी दो प्रकार की होती है एक तो होती है 'पेट की भूख' जिन्हे शांत करने के लिए न्यूट्रिशन की ज़रुरत होती है जो की फलो और सलाद के रूप में कच्ची सब्ज़ियों से पूरी हो जाती है। दूसरी होती है मानसिक भूख जिन्हे शांत करने के लिए पके हुए, तले हुए, भूने हुए मसालो से लबरेज़ लज़ीज़ खानो से पूरी होती है। लेकिन यही लज़ीज़ खाने इंसान के शरीर को बीमार कर देती है।

तोंद या पेट बाहर निकलने का कारण 

अतुल शाह ने बताया की आज बड़े शहरों में अधिकतर खासकर भारत में लोग मोटापे या तोंद की समस्या से झूझ रहे है। इसका सीधा सा कारण है ओवर ईटिंग। इंसान के शरीर को केवल 250 से 300 ग्राम खाने की ज़रुरत होती है वहां वह आराम से आधा से एक किलो खाना अपने पेट में ठूंस लेता है। और यदि पकवान लज़ीज़ है तो मात्रा और बढ़ जाती है। नतीजा एसिडिटी, कब्ज़ और पेट जनित बीमारियां। वही अगर रेगुलर डाइट में वह 250 ग्राम फ्रूट, जूस या सलाद लेता है तो कोई समस्या नहीं होगी। 

डेयरी प्रोडक्ट को बताया नुकसानदेह 

दूध केवल अपनी माँ का पीना चाहिए यह सत्य संसार के सभी प्राणी जानते है नहीं जानता है तो वह है इंसान। इंसानो ने गाय, भैंस, ऊंट, बकरी किसी को नहीं छोड़ा। दूध की ज़रुरत सिर्फ बचपन में होती है बाद में नहीं। इंसान के शरीर में बलगम बनने का मुख्य कारक दूध और डेयरी प्रोडक्ट है। बलगम से 80 से भी ज़्यादा बीमारियां होती है जिनमे मुख्यतः डायबिटीज़ टाइप 2, फैटी लिवर, लंग्स डिसीज़, अस्थमा, हार्ट डिसीज़, थाइराइड और कोलेस्ट्रॉल की समस्या प्रमुख है। 

बीमार होने पर दवाई की नहीं बल्कि खानपान बदलने की ज़रुरत 

इंसान जब भी बीमार होता है अपने शरीर को दवाइयों की दुकान बना लेता है। जबकि दवाई सिर्फ दर्द कम करती है रोग को जड़ से नहीं मिटाती। एक दवाई असर न करे तो दूसरी, दूसरी बदलकर तीसरी। ज़रुरत खानपान बदलने की है और हम दवाईंयां बदलते रहते है। इंसान के बीमार होने की वजह वह खुद होता है। प्रकृति की नियमो का उल्लंघन करने की सज़ा बीमारी के रूप में होती है। यदि व्यक्ति प्रकृति के बनाये नियमानुसार खानपान और जीवन शैली अपनाये तो वह कभी बीमार नहीं हो सकता। 

रीजनल और सीज़नल फ़ूड अपनाये 

अतुल शाह ने बताया की भगवान ने अलग अलग स्थानों पर रहने वालों के लिए अलग अलग प्रकार की पैदावार की है। जैसे की अरब देशो में जहाँ खेती बाड़ी नगण्य है, अन्य फ्रूट्स वहां पैदा नहीं होते लेकिन खजूर भरपूर मात्रा में पैदा होते है और खजूर वहां के लोगो की सभी ज़रूरते पूरी कर सकता है। कश्मीर में जहाँ माइनस डिग्री के नीचे तापमान रहता है वहां के लिए गरम मसाले और ड्राई फ्रूट्स है। लेकिन हम लोग राजस्थान, गुजरात जैसे गरम प्रदेशो में रहकर भी गरम मसालों और छत्तीस प्रकार के मसालो का इस्तेमाल करते है। जिनका नुकसान हमें ही भुगतना पड़ता है। 

पंचतत्व ही आधार स्तम्भ है 

पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश यह पंचतत्व इंसानो का आधार स्तम्भ है। पृथ्वी यानि मिटटी, मिटटी से ही सारी पैदावार होती है। जल के बिना जीवन अधूरा है, वायु (ऑक्सीजन) के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती, अब बचती है अग्नि जिसका अर्थ है सूर्य अर्थात सनलाइट और पांचवा तत्व है आकाश अर्थात खाली स्थान। इसी इंसान के शरीर में खाली स्थान की पूर्ति बाकि चार चीज़ो से पूर्ण होती है। और यदि नहीं होती ब्लॉकेज की समस्या उत्पन्न होती है।  

सनलाइट का बताया महत्व 

सनलाइट शरीर में विटामिन 'डी' की कमी को पूरा करने का सबसे सस्ता साधन है। कैंसर जैसी बीमारियों का मुख्य कारण सनलाइट की कमी है।  यहाँ तक कोरोना से प्रभावित भी वहीँ लोग ज़्यादा हुए जिनके शरीर में विटामिन डी की कमी पायी गई। यह रिपोर्ट में अखबारों में भी छपी थी लेकिन फार्मा लॉबी के रसूख के चलते मुख्य सुर्खियां नहीं बन पाई। इसलिए नियमित तौर पर धूप में बैठना चाहिए। 

क्या है ओजस लाइफ ?
ओजस लाइफ एक संस्था है जिन्हे अतुल शाह संचालन करते है। अतुल शाह ने अपने साथ घटित बीमारी को और उससे उभरने में क्या क्या किया उसके बारे  में भी अपना अनुभव साझा किया। अतुल शाह खुद एक बिजनेसमैन है जिन्हे Muscle necrosis नामक गंभीर बीमारी थी। आग से पकाया हुआ भोजन इस बीमारी का प्रमुख कारण था। इसके बाद उन्होंने पके हुए भोजन का सेवन करना बंद कर दिया था। और इसी समय में उन्होंने अपना वज़न कम किया और अपने आप को स्वस्थ बनाया। तत्पश्चात अतुल शाह ने ओजस लाइफ नामक संस्था की शुरुआत की जहाँ लोगो को उनकी बीमारी और उनके निदान के लिए जागरूक किया जाता है।   

इससे पूर्व सेमिनार की शुरुआत में प्रिया मोगरा ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया। वहीँ डॉ ए एल तापड़िया ने अतुल शाह को पगड़ी और उपरणा ओढ़ाकर स्वागत किया। डॉ एन सी जैन ने अतुल शाह का जीवन परिचय दिया। जबकि सेमीनार के आयोजनकर्ता सुरेश राठी ग्रुप, विशाल तापड़िया, नीरा तापड़िया एवं एस एल तापड़िया थे।