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स्कूलों की दुर्दशा पर हाईकोर्ट ने  लगाई फटकार

शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं
 

राजस्थान हाईकोर्ट ने धरियाावद क्षेत्र की 11 सरकारी स्कूलों में मूलभूत ढांचे और शिक्षकों की भारी कमी को लेकर नाराजगी जाहिर की है।

एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने शिक्षा और वित्त विभाग को आड़े हाथों लिया। कोर्ट ने कहा कि पिछले दो वर्षों में इन स्कूलों में लगभग 50 प्रतिशत पद खाली हैं और इन्हें भरने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

मुख्य सचिव को कोर्ट में झालावाड़ जिले में हुई एक दुखद घटना के संदर्भ में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होने का आदेश दिया गया। कोर्ट ने कहा कि यह स्थिति बेहद चिंताजनक है, जहां स्कूलों में शौचालय, भवन और अन्य जरूरी सुविधाएं तक नहीं हैं। याचिका में कहा गया कि धरियाावद क्षेत्र की इन 11 स्कूलों में टॉयलेट, टीनशेड, भवन और शिक्षकों की भारी कमी है जिससे बच्चों की पढ़ाई और सुरक्षा दोनों प्रभावित हो रही है।

जस्टिस मुनीश बर्डी और जस्टिस रवि वियानी की खंडपीठ ने सरकार द्वारा पेश किए गए आंकड़ों को नाकाफी बताते हुए सख्त टिप्पणी की।

कोर्ट ने कहा कि सरकार की ओर से दिए गए जवाब में सिर्फ आंकड़े गिनाए गए हैं, लेकिन समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस कार्य नहीं किया गया है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 12 अगस्त को तय की है और सरकार से शिक्षकों की भर्ती व ढांचागत विकास के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा है।

याचिका गुलाबचंद मीणा द्वारा दायर की गई थी जिसमें क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने की मांग की गई है। यह मामला न केवल शिक्षा विभाग की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि ग्रामीण इलाकों में आज भी बच्चों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है।