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आखिरकार लंबे संघर्ष के बाद हितेंद्र के शव का अंतिम संस्कार  

हितेन्द्र गरासिया का शव 206 दिन बाद गांव पहुंचा

 

परिवार का संघर्ष मानवधिकार, विदेश मंत्रालय व हाईकोर्ट तक लगाई गुहार 

परिजनों के लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार उदयपुर के हितेन्द्र गरासिया का शव कई महीनों के बाद गांव पहुंच ही गया। जयपुर में पोस्टमार्टम करवाने के बाद हितेन्द्र का शव मंगलवार को पैतृक गांव गोड़वा लाया गया।  एंबुलेंस के गांव में पहुंचते ही परिवार के साथ ग्रामीणों की आंखो में नम हो गई। इस मौके पर बड़ी तादाद में ग्रामीण भी जमा हो गए। ऋषभदेव डीएसपी विक्रम सिंह समेत आला पुलिस अधिकारी और 5 थानों की फोर्स भी मौके पर मौजूद रही। दोपहर में हितेन्द्र का अंतिम संस्कार हुआ।

 

रुस से शव लाने के लिए परिजनों ने किया संघर्ष

17 जुलाई 2021 को हितेंद्र गरासिया की रुस में मौत हो गई थी। 3 दिसंबर को परिजनों को बिना बताए शव को रुस में दफना दिया। 4 दिसंबर को रशियन दूतावास ने हितेद्र की मौत पर दुख जताया था। 7 दिसंबर को भारतीय दूतावास ने शव पहुंचाने का भरोसा दिलाया था। 15 दिसंबर को हाईकोर्ट जोधपुर में परिजनों ने याचिका लगाई। 17 को केंद्र सरकार ने मामला रशियन जांच एजेंसी के पास बताया। 20 दिसंबर को हाईकोर्ट ने शव दफनाने की सहमति देने पर रोक लगाई।

परिजनों को मांगी पावर ऑफ अटॉर्नी से शव दफनाने का खुलास हुआ। 12 जनवरी को सरकार ने हाईकोर्ट में तीन दिन में शव लाने की बात कही। इसरे बाद से परिवार लगातार नई दिल्ली में प्रर्दशन कर रहा दिन में शव लाने की बात कही। इसरे बाद से परिवार लगातार नई दिल्ली में प्रर्दशन कर रहा था। 28 जनवरी 2022 - प्रियंका गांधी से मिलकर परिवार ने मदद मांगी थी। 6 फरवरी 2022  रूस से शव को दिल्ली भेजा गया। इसके बाद शव परिजन जयपुर लेकर आए।
 

7 फरवरी 2022 जयपुर में पोस्टमार्टम हुआ। शिनाख्ती के बाद परिवार शव लेने को तैयार हुआ। 8 फरवरी 2022 - जयपुर से खेरवाड़ा के पैतृक गांव में शव लेकर परिजन पहुंचे। दोपहर बाद अंतिम संस्कार कर दिया गया।