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मजबूरी में 8 कमरों वाले 2 क्वार्टर में चल रहा इलाज 

लापरवाही की मिल रही शिकायतों के बीच मंगलवार को सीएमएचओ डॉ. शंकरलाल बामनिया ने किया औचक निरीक्षण

 

उदयपुर, 23 नवंबर। घासा में ग्रामीण क्षेत्र की चिकित्सा व्यवस्था धराशायी हो गई है। चिकित्सक व कर्मचारी शासन सरकार की मंशा पर पानी फेर रहे हैं। कहीं दवाओं का अभाव है तो कहीं चिकित्सकों की लापरवाही से इलाज का संकट है। ग्रामीण क्षेत्र की चिकित्सा व्यवस्था को मजबूत करने का लाख प्रयास किया जा रहे है, लेकिन व्यवस्था पटरी पर आने की बजाय और बदतर होती जा रही है। जिला चिकित्सालय पर मरीजों का भार सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की बदहाली की कहानी बता रहा है। 

घासा में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में मरीजों को भर्ती करने के पर्याप्त जगह नहीं है। वजह अस्पताल की पुरानी बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। सीलन के चलते इस बिल्डिंग में बैठना दुर्घटनाओं को न्योता देने जैसा है। मजबूरी में ये सीएचसी वर्तमान में एक मात्र डॉक्टर के भरोसे स्टाफ के 8 कमरों वाले 2 सरकारी क्वार्टर में चल रही है। असुविधा के बीच यहां पर मरीजों की संख्या भी अपेक्षा के हिसाब से काफी कम है। इसके चलते स्थानीय लोगों को सरकारी चिकित्सा सुविधाओं का लाभ नहीं मिल रहा।

दूसरी और सनवाड़ सीएचसी में चिरंजीवी योजना को लेकर अनदेखी बरती जा रही है। सनवाड़- फतहनगर में करीब 20 हजार की आबादी है। बावजूद इसके प्रतिदिन का आउटडोर (ओपीडी) यहां 400 के मुकाबले केवल 215 के करीब है। जबकि यहां पर पहले से 4-4 डॉक्टर मौजूद हैं। योजना के कायदे से कुल ओपीडी के हिसाब से यहां भर्ती मरीजों की संख्या 40 फीसदी यानी करीब 160 होनी चाहिए, जबकि वर्तमान में यहां ऐसे मरीजों की संख्या 40 के करीब ही है। ऐसे ही पलाना कला पीएचसी में मरीजों की आवश्यकता के अनुपात में जगह की कमी खल रही है। इसके साथ ही यहाँ आने वाले मरीजों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 

इन्ही शिकायतों के कारण सीएमएचओ बामनिया ने किया औचक निरीक्षण  

चिकित्सा संस्थानों में लापरवाही की मिल रही शिकायतों के बीच मंगलवार को सीएमएचओ डॉ. शंकरलाल बामनिया ने इन जगहों का औचक निरीक्षण किया। सीएचसी घासा की पुरानी बिल्डिंग देखकर वहां स्टाफ को बैठने से इनकार किया। वहीं कमरों में चल रही सीएचसी में व्यवस्थाएं और सुधारने के निर्देश दिए। सीएमएचओ डॉ. बामनिया ने कहा कि घासा पहले पीएचसी था, जिसे कुछ समय पहले ही क्रमोन्नत कर सीएचसी घोषित किया गया है। पुरानी बिल्डिंग में बैठना खतरे भरा है। नई बिल्डिंग के लिए अभी विभाग को बजट नहीं मिला है। इसलिए मजबूरी में स्टाफ क्वाटर्स में इसका संचालन किया जा रहा है। निरीक्षण के दौरान अन्य जगहों पर जो भी कमियां मिली हैं। उसे सुधारने के लिए कहा गया है। 

ऐसे में सनवाड़ सीएचसी में जिम्मेदार चिकित्सा अधिकारियों को काम काज सुधारने के साथ योजना के तहत भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए। इसके अलावा साफ-सफाई व्यवस्था सुधारने, जांच सुविधा का दायरा बढ़ाने के लिए भी सख्त निर्देश दिए।