कोरोना का न्यू स्ट्रेन - क्या बढ़ने वाली है और मुश्किलें
ब्रिटिश यूनिवर्सिटीज़ की शोध में खुलासा
वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण से विश्व अभी झूझ ही रहा था की इस वायरस के बदले स्वरुप न्यू स्ट्रेन ने विश्व में दस्तक देनी शुरू कर दी है। भारत में भी कोरोना वायरस के बदले स्वरूप न्यू स्ट्रेन के लगभग 29 मामले सामने आ चुके है। अब एक नई शोध के मुताबिक सामने आया है की अगर कोरोना की न्यू स्ट्रेन का म्यूटेशन बरकरार रहता है तो इस महामारी को नियंत्रित करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
इम्पीरियल कॉलेज लंदन, यूनिवर्सिटी ऑफ़ एडिनबर्ग तथा यूनिवर्सिटी ऑफ़ बर्मिंघम समेत कई यूनिवर्सिटी की स्टडी में सामने आया है की कोरोना का यह नया रूप काफी खतरनाक है। जहाँ लॉकडाउन के ज़रिये कोरोना के पुराने स्वरुप को रोकने में काफी हद तक सफलता मिली थी वहीँ कोरोना के बदले स्वरुप न्यू स्ट्रेन के लिए इस प्रकार की योजनाए असफल साबित हो सकती है।
उल्लेखनीय है की कोरोना वायरस की न्यू स्ट्रेन VOC-202012/01 या B-1-1-7 पहली बार ब्रिटेन में सितम्बर माह मिली थी। राजधानी लंदन समेत कई हिस्सों में फैलने के बाद ब्रिटिश सरकार ने इसे खतरनाक मानते हुए कई इलाको में लॉकडाउन लगा दिया था। वहीँ भारत समेत कई देशो ने ब्रिटेन से आने वाली फ्लाइट्स पर रोक लगा दी।
बताया जाता है की UK से मिली कोरोना की न्यू स्ट्रेन के जेनेटिक में 23 बदलाव पाए गए है। यह बदलाव वायरस को अधिक संक्रामक बना रहे है। इस वायरस की चपेट में अब युवा वर्ग भी आ रहा है। जबकि कोरोना के पुराने स्वरुप से काफी हद तक युवा बचे हुए थे। न्यू स्ट्रेन कम उम्र के लोगो के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है।
हालाँकि कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर भारत में कई स्थानों पर ड्राई रन जारी है। लेकिन मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और इम्युनिटी बढ़ाना अभी फिलहाल यही हथियार का सहारा है वायरस के खिलाफ जंग में।
Source: Jansatta