"मैं निश्चित तौर पर उदयपुर न्यायालय के लिए जरूर कुछ करूंगा"- केंद्रीय कानून मंत्रीकिरेन रिजिजू
किरेन रिजिजू सुखाड़िया विश्वविद्यालय में शुरू कानूनविदों के दो दिवसीय सम्मेलन में शरीक हुए...
"ईकोर्ट फेस थ्री योजना के तहत वर्चुअल कोर्ट और पेपरलेस हो जाएगी कानूनी प्रक्रिया" - किरेन रिजिजू
उदयपुर, 25 फरवरी: केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि अब नए तकनीकी दौर में वर्चुअल कोर्ट का जमाना आ गया है। हमें हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए एक शहर से दूसरे शहर तक महंगा इंधन खर्च करके जाने की जरूरत नहीं है। ईकोर्ट फेस थ्री में यह सब कुछ संभव हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हम भारतीय न्याय व्यवस्था को पेपरलेस और वर्चुअल बनाने जा रहे हैं। रिजिजू शनिवार को यहां मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के विवेकानंद सभागार में दो दिवसीय सम्मेलन के पहले दिन उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
भारत सरकार के विधि आयोग और मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के विधि महाविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में "भारत में सतत विकास: क्रमागत उन्नति और कानूनी परिप्रेक्ष्य" विषयक इस सम्मेलन में रिजिजू ने कहा कि ईकोर्ट फेस 2 के तहत कोविड-19 लॉकडाउन में भी वर्चुअल मोड पर न्यायालय चल रहे थे। पूरी दुनिया में यह आश्चर्य का विषय था अब हम ईकोर्ट फेस थ्री में आगे बढ़ रहे हैं, जिसके तहत न्यायिक प्रक्रिया को और चुस्त-दुरुस्त बनाएंगे। उन्होंने कहा कि भारत में न्यायालय में लंबित केसों की लंबी फेहरिस्त है। केस पेंडिंग होना और न्याय में विलंब होना देश और समाज को शोभा नहीं देता।
सरकार चाहती है कि न्याय प्रक्रिया तेज हो। न्यायाधीशों पर काम का अत्यधिक दबाव है। हम उसे भी कम करना चाहते हैं। इसलिए केंद्र सरकार डायनामिक लीगल सिस्टम विकसित करना चाहती है। उन्होंने कहा कि पिछले 8 सालों में सरकार ने 1486 ऐसे कानून हटा दिए जिनकी कोई प्रासंगिकता नहीं थी और 67 ऐसे कानूनों को हटाने की प्रक्रिया जारी है जो किसी भी परिपेक्ष में काम के नहीं है। इसके लिए संसद में बिल लेकर आ गए हैं। जो कानून काम का नहीं होगा उसको हटाने का अभियान तेज किया जाएगा।
मैं निश्चित तौर पर उदयपुर न्यायालय के लिए जरूर कुछ करूंगा
उन्होंने कहा कि उदयपुर न्यायालय की कई समस्याएं मेरे सामने आई है। यहां का भवन भी छोटा है और यहां पर बुनियादी समस्याएं भी है। स्मार्ट रूम, शौचालय और अन्य लोगों के बैठने की समुचित व्यवस्था की समस्याओं के बारे में मेरा ध्यानाकर्षण किया गया है। यदि मेरे पास प्रस्ताव भेजा जाएगा तो मैं निश्चित तौर पर उदयपुर न्यायालय के लिए जरूर कुछ करूंगा। उन्होंने कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में दुनिया विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है। भारत यदि कामयाब है तो विश्व कामयाब होगा।
अब वैश्विक मंच पर पूरी दुनिया भारत की ओर आशा भरी नजर से देख रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक मंचो पर क्लाइमेट जस्टिस शब्द दिया है जिस को प्रभावी बनाने की दिशा में सब लोग मिलकर चिंतन कर रहे हैं। यह हम सब लोगों की सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम पर्यावरण और वन्यजीवों के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझें। पश्चिमी देशों की तरह हमें भी सुविधाजनक तरीके से जीने का हक है लेकिन हम अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते हैं। हमें वह समझना होगा तभी हम बेहतर ढंग से आगे बढ़ पाएंगे। उदयपुर शहर को सकारात्मक ऊर्जा से भरा हुआ बताते हुए उन्होंने कहा कि यह धरती हमारी मां है और इसे बचाने के लिए हम सबको अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। हमें समझना होगा कि हम पेड़ क्यों काट रहे हैं, हम शिकार क्यों कर रहे हैं। मैं देखता हूं जंगल सूख गए हैं। खाली हो गए हैं। अगर हम धरती को मां मानते हैं तो इसके संरक्षण और देखभाल की जिम्मेदारी भी हमारी है। उन्होंने कहा कि मेरे गांव की रौनक बदल गई है। वहां पर वन्य प्राणी अब दिखाई नहीं पड़ते हैं। यह हम सब लोगों के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार ग्रीन इकोनॉमी की तरफ बढ़ रही है और शीघ्र ही हम अपना लक्ष्य पूरा कर लेंगे।
इस अवसर पर केंद्रीय कानून राज्यमंत्री प्रो. एस पी सिंह बघेल ने कहा कि भारत सरकार ने 10 करोड़ शौचालय बनाकर स्वस्थ भारत अभियान के तहत इज्जत घर बनवाए हैं। यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। कार्बन उत्सर्जन के क्षेत्र में भी हम लोगों ने 20% एथेनॉल वाला इंजन तैयार किया है। साथ ही सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाकर एक नजीर पेश की है। बघेल ने कहा कि जानकारी के अभाव में कई सरकारी योजनाएं आखरी आदमी तक नहीं पहुंच पाती है। इसके लिए उन्होंने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे इस तरह की योजनाएं वंचित वर्ग तक पहुंचाने में मदद करें।
साथ ही उन्होंने कानून के अध्ययनरत विद्यार्थियों से कहा कि वे जरूरतमंद और गरीब आदमी की पैरवी के लिए आगे आएं ताकि सबके लिए न्याय सुलभ हो सके। उन्होंने कहा कि भारत इको सिस्टम वाला देश है जहां देवी देवताओं की सवारी जिन प्राणियों पर होती है हम सब उनकी पूजा करते हैं। वेदों में भी यही अंकित है। पर्यावरण को बचाने के लिए हम सबको मिलकर काम करना होगा।
इस अवसर पर राजस्थान उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव ने कहा कि पूरी दुनिया में हर क्षेत्र में प्रदूषण बढा है लेकिन विकास की रफ्तार को तेज भी करना है और प्रदूषण को भी रोकना है इसके लिए हमें चिंता नहीं चिंतन करना होगा। सामाजिक और आर्थिक विकास को बढाते हुए पर्यावरण को भी सुरक्षित रखना होगा, यह सुनिश्चित करना जरूरी है। हमारे यहां प्रकृति की पूजा होती है और उसके संरक्षण के लिए कानूनों का प्रावधान भी है लेकिन यदि इन कानूनों को हम हमारे दायित्वों में कर्तव्यों में शामिल कर लें तो प्रकृति के संरक्षण का काम आसान हो जाएगा। राइट टू लाइफ और विकास की गतिविधियां साथ-साथ चलाने के लिए जिम्मेदारी भरा व्यवहार भी आवश्यक है।
उद्घाटन सत्र में विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी ने कहा कि विकासशील देशों में सतत विकास पर्यावरण संरक्षण से ही संभव है। उन्होंने उपनिषदों वेदों और कौटिल्य अर्थशास्त्र के उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे यहां पर पशुओं की पूजा की जाती है और हम पेड़ों को देवता के रूप में पूजते हैं। राजस्थान के विश्नोई समाज का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पेड़ों को बचाने के लिए लोगों ने अपना बलिदान कर दिया। इसी प्रकार चिपको आंदोलन इसी का प्रतिरूप था। हमें भी अपने स्वार्थ और लालच से परे जाकर पर्यावरण बचाने के लिए प्रयास करने होंगे।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आईवी त्रिवेदी ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि यह सौभाग्य का विषय है इस तरह का महत्वपूर्ण आयोजन विश्वविद्यालय में हो रहा है। उन्होंने कहा कि हमारी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आनंद पालीवाल के विधि आयोग में सदस्य बनने के बाद विश्वविद्यालय प्रांगण में इस तरह का आयोजन होना गर्व का विषय है इसके लिए उन्होंने प्रोफेसर पालीवाल के सकारात्मक प्रयासों के लिए बधाई दी ।इससे न केवल विद्यार्थियों को सीखने समझने और शोध में मदद मिलेगी बल्कि एक समृद्ध अकादमिक वातावरण भी तैयार होगा।
इस दो दिवसीय आयोजन में विभिन्न सत्रों में कानून विद और कानूनी शिक्षा से जुड़े विद्वान चर्चा विमर्श करेंगे