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लेकसिटी या जाम सिटी ? सडको पर वाहनों के दबाव से बढ़ते ट्रैफिक से आमजन परेशान

कागजों में बंद है शहर का ट्रैफिक प्लान

 

शहर में ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर कई कदम उठाए जाते हैं लेकिन धरातल पर व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं हो पातीं। जहां ट्रैफिक जाम की समस्या अब आम हो गई है। इस क्षेत्र में सबसे अधिक आवाजाही देसी विदेशी पर्यटकों की रहती है। और सबसे अधिक पर्यटक स्थल भी इन्हीं स्थानों पर हैं। शहर का दायरा बढ़ने के साथ साथ सडको पर वाहनों का दबाव भी बढ़ता जा रहा है। 

आए दिन लगाने वाले जाम से निजात के लिए प्रशासन के पास कोई उपाय है तो सिर्फ ट्रैफिक डायवर्जन। नतीजा आमजन के वक्त की बर्बादी और बढ़ रहा ईधन खर्च । रैली हो या कोई प्रदर्शन, किसी भी तरह की भीड़ हुई तो यहाँ जाम लगना आम बात है। डायवर्जन के नाम पर किसी भी रोड को कभी भी बंद कर दिया जाता है। और यही कारण से अगर दुसरे रोड पर जाम हो तो इससे जिम्मेदारों को कोई सरोकार नही। यही वजह से सड़क दुर्घटनाओ में भी इजाफ़ा होता जा रहा है। 

लेकसिटी के नाम से प्रसिद्ध हमारा शहर अब “जाम सिटी” में तब्दील होता नज़र आ रहा है। शहर की बढती आबादी के साथ ही वाहनों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है, जो की काफ़ी आश्चर्यजनक है। लेकिन सड़क और यातायात का प्रबंधन उस तुलना में भी नही बदला है। यही कारण है की शहर में हादसे भी बढ़ रहे है।  उदयपुर में कर्ष पर्यन्त 7145 दुर्घटनाए हुई है। यह आंकड़े काफ़ी गंभीर है।  
 
यहाँ  कागजों तक ही सीमित है शहर का ट्रैफिक प्लान 

  • नगर निगम व यूआईटी मास्टर प्लान के साथ ही ट्रैफिक प्लान बनाती है परंतु वह कागजों में ही रह जाता है। प्लान में ट्रैफिक सिस्टम तय होता है लेकिन इम्प्लीमेंट नही होता है। 
  • उदयपुर लेकसिटी होने से यहाँ पर्यटकों का बूम रहता है । लेकिन जाम से आमजन के साथ पर्यटक भी परेशान है। 
  • शहर में यातायात के दबाव बदने पर हर छह माह में सड़क व वाहनों का सर्वे होता है। इसके तहत सड़क को चौडी करने, वैकल्पिक तौर पर फ्लाईओवर व एलिवेटेड रोड आदि का विकल्प होना चाहिए परंतु शहर में बरसो से ऐसा कोई सर्वे नही हुआ।                                                                                                                  
  • अब तक उदयपुर ही नही पूरे राज्य में ट्रैफिक मैनेजमेंट कोर्से की कोई व्यवस्था नही हुई है। जबकि अन्य कोर्स कराए जा रहे है। 
  • पार्किंग नही है तो नए वाहनों का रजिस्ट्रेशन  नही होगा लेकिन यहाँ धड़ल्ले से वाहनों के रजिस्ट्रेशन बिना पार्किंग के हो रहे है ।

अब जानते है की ट्रैफिक मैनेजमेंट के बारे में किन बातोँ का ज्यादा ध्यान रखना है

किस रोड पर कितना यातायात दबाव बढाए कहा कितनी सड़क की आवश्कता है ? शहर में सार्वजनिक परिवहन के साधन कितने है? कहाँ कहाँ पार्किंग स्थालो की आवश्कता है ? यह सब ट्रैफिक मैनेजमेंट का हिस्सा है। लेकसिटी में आने वाले पर्यटक अपने साथ अच्छी यादे ले कर जाए। इसके लिए ज़रूरी है इन सभी बातो को ध्यान में रखते हुए शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को अच्छा किया जाए। जिस रूप में वाहनों का दबाव बढ़ रहा है। शहर को एक मास्टर प्लान की दरकार है।  

भारत सरकार के सड़क सुरक्षा सलाहकार वीरेंद्र सिंह राठोड ने कहा की किसी भी शहर की सुंदरता समुचित यातायात व्यवस्था से जानी जाती है। शहर की सड़कों पर समय-समय पर ट्रैफिक वॉल्यूम सर्वे करते रहने से पार्किंग नीति, सार्वजनिक परिवहन सेवा, शहर में अर्बन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी व इंटेलीजेंट ट्रैफिक सिस्टम आदि विभागों से प्रभावी समन्वय होना चाहिए।